अवैध उत्खनन पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी..कहा गरीब आदमी होता तो कानून का पाठ पढ़ा देते, यहां ऐसा क्यों नहीं…

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बिलासपुर। अंबिकापुर में अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ने कार्रवाई न करने को लेकर जमकर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई गरीब आदमी होता तो अभी नियम कानून की आड़ में उसके खिलाफ कार्रवाई कर देते। ठेका कंपनी के खिलाफ कार्रवाई न करने व बहानेबाजी को लेकर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई। नाराज कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

मामला अंबिकापुर का है। खनिज विभाग ने ठेका कंपनी को सरकारी कामकाज के लिए मुरुम का उत्खनन करने परमिट जारी किया है। परमिट की आड़ में ठेका कंपनी पहाड़ को काटकर अवैध उत्खनन करने लगी है। इसे लेकर जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि अनुमति की आड़ में ठेका कंपनी द्वारा पहाड़ को काटा जा रहा है। निर्माण कार्य के बहाने मुरुम की बेतहाशा खोदाई की जा रही है। भारी मशीनों से खोदाई और परिवहन के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इसके अलावा पहाड़ के अस्तित्व पर भी संकट गहराने लगा है। जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने राज्य शासन के अधिवक्ता से पूछा कि अवैध उत्खनन का एक और शिकायत मिली है। कोर्ट ने इस संबंध में जानकारी मांगी। राज्य शासन की ओर से जानकारी दी गई है कि प्रकरण पंजीबद्ध ना होने के कारण आगे की कार्रवाई नहीं हो पा रही है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कड़ी टिप्पणी भी की है।

पहाड़ काटकर बना रहे खेल मैदान

अवैध उत्खनन के कारण पहाड़ के अस्तित्व को लेकर भी खतरा पैदा हो गया है। कोर्ट ने पूछा कि एक और शिकायत मिली है। इस पर राज्य शासन ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा खेल मैदान बनाने के लिए खनन करने सीमांकन किया गया है। अभी खनन प्रारंभ नहीं किया है। शासन के जवाब के बाद कोर्ट ने पूछा कि ठेका कंपनी कौन है। शासन ने बताया कि तिरुपति बिल्डकान को निर्माण कार्य के लिए खनन की अनुमति दी गई है। डिवीजन बेंच ने पूछा कि खनिज विभाग ने खनन के लिए जो जगह दी है उसके आजू-बाजू देखते की कोई व्यवस्था है या नहीं। अवैध उत्खनन दिखता क्यों नहीं है। जहां परमिट जारी किया गया है उसके अगल-बगल उत्खनन हो रहा है। इसे रोका क्यों नहीं जा रहा है। चीफ जस्टिस ने पूछा कि इसके रोकने या फिर निगरानी की कोई व्यवस्था खनिज विभाग के पास है या नहीं। नाराज चीफ जस्टिस ने चीफ सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।