कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक पटवारी ने किसानों को अनोखा गिफ्ट दिया है। स्थानीय कार्यालय में होने वाले राजस्व कार्यों को अब तहसील में शिफ्ट कर किसानों को परेशान करने का गिफ्ट दे दिया है।
बता दें कि राजस्व रिकार्ड में हेरफेर के नाम से प्रसिद्ध शहर कोरबा में जमीनों के फर्जी दस्तावेज बनाकर बेचने का खेल खुलेआम बेधड़क चल रहा है। ताजा प्रकरण कोरबा हल्का पटवारी के सील चोरी का है। सील चोरी होने के बाद से पटवारी साहब कार्यालय में बैठने से सहम गए है। उन्होंने कार्यालय में लगने वाले जमीन दलालो की घेरेबंदी से परेशान होकर अपना दफ्तर तहसील कार्यालय में शिफ्ट कर दिया है। हालांकि इससे मूल किसानों को पटवारी को ढूंढ कर काम कराने में परेशानी हो रही है और जमीन दलालो को काम कराने में आसानी हो रही है।
जमीन दलालों का कार्यालय में जमी पैठ
जमीन दलालो की अधिकारियों बीच जमी पैठ से जमीन वाले किसान चिंतित है। किसानों की अधिकांश जमीने आज दलालो के कब्जे में है। सूत्र बताते है शहर के कुछ जमीन दलाल सिर्फ नम्बर सेटकर सरकारी जमीन को निजी बनाने के खेल में लगे हुए हैं। हां ये बात अलग है ऐसे जमीन माफियाओं पर बड़े अधिकारियों का आशीर्वाद है।
जहां न जाए सूरज की किरणें लाल वहां दलाल करते कमाल
जमीन दलाल को ऐसी हस्ती के तौर पर लोग जानते हैं जो सूरज की किरणें भी जहां नहीं पहुंच पाती है वहां पर भी ये कमाल कर जाते हैं।लेकिन उनका क्या जो बेहाल हैं अपने निवास, आमदनी और जाति प्रमाणपत्र जैसे छोटे छोटे कामों के लिए।
पटवारी के कार्यालय शिफ्ट करने की मनमानी के चलते स्कूलों के छात्र-छात्राओं का जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। इसका कारण यह कि तहसील कार्यालय कोरबा शहर से लगभग 5 किलोमीटर दूर पड़ता है और सबसे बड़ी समस्या वहां तक पहुंचने के सीधे सड़क से आवागमन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। किसी तरह से गिरते पड़ते वहां तक पहुंच भी गए तो पता चलता है कि पटवारी साहब तो अभी कार में फलाने दलाल के साथ निकल गए हैं और साहब तो कार्यालय से छुटने के बाद मिसाइल हैं.. कहां वापस आने वाले।
शैक्षणिक कार्यों के साथ मतदाता सूची होगी प्रभावित
इसके चलते विद्यार्थियों और पालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पुरानी बस्ती, मोती सागर पारा, रामसागर पारा, सीतामढ़ी, टीपी नगर, राताखार के छात्र-छात्राओं को जाति, निवास और आमदनी प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटकना पड़ रहा हैं, चेहरे पीले पड़ गए हैं तो दूसरी ओर पटवारी दलालों के साथ धूप में लाल हो रहे हैं।
अब सही समय पर प्रमाण पत्र नहीं बनने से विद्यालय, महाविद्यालय में प्रवेश की समस्या सामने आएगी तो वही दूसरी ओर मतदाता सूची में नए मतदाताओं के नाम जोड़े जाने में समस्या आएगी।