कोरबा। “Jaya Kishori” ऐसी कथावाचक और भजन गायिका हैं जिनका नाम आपने कई बार सुना होगा। सोमवार को उन्हें देखने और सुनने का भी सौभाग्य प्राप्त हो सकेगा। भगवान् कृष्ण की भक्ति में लीन आज के युग की मीरा बाई कही जाने वाली जया किशोरी जी का जीवन परिचय उनकी आयु, जन्म, पति, परिवार सभी के बारे में आज आप यहाँ से जान सकेंगे। तो चलिए जानते हैं जया किशोरी का जीवन-परिचय।
मूल रूप से राजस्थान से नाता रखने वाली जया शर्मा एक कथावाचक होने के साथ साथ मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। शायद आप नहीं जानते होंगे जया किशोरी जी का असली नाम या मूल नाम जया शर्मा है।
Jaya Kishori का जन्म 13 जुलाई 1995 में राजस्थान के एक छोटे से गाँव सुजानगढ़ में हुआ था। जया जी एक गौड़ ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। कथा सुनने में रूचि रखने वाले सभी लोग उन्हें अच्छे से जानते होंगे और उनके बारे में और अधिक जानने की दिलचस्पी भी रखते हैं।
जया जी की माता का नाम गीता देवी हरितपल है और इनके पिताजी का नाम शिव शंकर शर्मा (राधे श्याम हरितपाल) है। आपको बता दें की जया शर्मा जी की एक छोटी बहिन भी हैं जिनका नाम चेतना शर्मा है। इनका अपना कोई भाई नहीं है। समय दिया। उन्होंने अपनी 12th की पढ़ाई के समय श्रीमद भागवत कथा को तैयार किया था। वह अपनी पढ़ाई के साथ साथ भजन ,गीता के पाठ भी करती थी। इन्होने रेगुलर कॉलेज नहीं किया क्यूंकि वह अपना अधिकतर समय अध्यात्म को देना चाहती थी।
उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा को Shri Shikshayatan School, Mahadevi Birla World Academy (महादेवी बिरला वर्ल्ड अकैडमी) कोलकाता से पूरी की है।
इन्होने बीकॉम की डिग्री Bachelor Of Commerce (B.Com) के साथ साथ वेदों, श्रीमद भागवद गीता, शास्त्रों की भी शिक्षा ली है।
किशोरी जी के परिवार का माहौल शुरू से ही आधात्म की ओर रहा है। मात्र 6-7 साल की उम्र में जया जी का आध्यात्मिक सफर शुरू हुआ था। परिवार में इनके दादा दादीजी का इनके ऊपर काफी प्रभाव पड़ा उनके दादा दादीजी उन्हें भगवान् श्री कृष्ण जी की कहानियां सुनाया करते थे।
मात्र 9 साल की उम्र में किशोरी जी ने लिंगाष्टकम, शिव तांडव स्त्रोत, मधुराष्टकम्रा, शिवपंचाक्षर स्तोत्रम्, दारिद्रय दहन शिव स्तोत्रम् जैसे कई स्त्रोत याद कर लिए थे। साथ ही गीत संगीत भी शुरू कर दिया था।
जया जी ने मात्र 10 वर्ष की आयु में अमोघफलदायी सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड गया था। वह अपने एक इंटरव्यू में बताती हैं की उनके आध्यात्मिक जीवन की सफलता में उनके माता पिता का योगदान रहा है। जया जी के गुरूजी का नाम गोविंद राम मिश्र है। इनके गुरूजी गोविंद राम मिश्र जी द्वारा जया शर्मा जी को ”किशोरी” की उपाधि दी गयी थी।
जिसके बाद से जया शर्मा जी ”जया किशोरी” नाम से जाने जानी लगी। जया जी हमेशा से ही खुद को एक साधारण लड़की मानती हैं। वह खुद को साध्वी या संत कहलाना पसंद नहीं करती। जया किशोरी जी का खाटू श्याम जी पर अटूट विश्वास है।