Korba : गिट्टी की बजाए नदी-नाले के पत्थरों से पुल बनाते हैं मनरेगा वाले, VIDEO में देखिए बीच जंगल में कैसे ईमानदारी से कर रहे भ्रष्टाचार

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0 ग्राम पंचायत गुरमा के आश्रिम ग्राम धनपुरी में चल रहा दस लाख का पुलिया निर्माण, तीन एमएम की गिट्टी की बजाय ढलाई में डाल दिए बोल्डर

कोरबा। किसी कांक्रीट के स्ट्रक्चर के निर्माण की प्लानिंग में निर्धारित मापदंडों का पालन जरूरी है, जिसमें रेत-सीमेंट की मात्रा के साथ गिट्टी की साइज खास मायने रखती है। पर मनरेगा शाखा के तकनीकी विंग ने इंजीनियरिंग के अपने अलग पैमाने तय कर रखे हैं। तभी तो मनरेगा के तहत गुरमा में बनने वाले एक पुलिया में गिट्टी की बजाय नदी-नालों से निकलने वाले गोल पत्थरों और बोल्डर से ढलाई करते देखा गया। भ्रष्टाचार इस कदर बेलगाम है कि सुदूर वनांचलों में गुणवत्ता और मापदंड को ताक पर रख किए जा रहे स्तरहीन निर्माण कार्य पर नजर रखने वाला भी कोई नहीं।
जनता की सुविधा के लिए बड़ी प्लानिंग के बाद स्वीकृत निर्माण कार्य कुछ लोगों के लिए कैसे कमाई का जरिया बन जाते हैं, इस वीडियो देखकर समझा जा सकता है।

 मामला ग्राम पंचायत गुरमा का है, जो जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर चिर्रा के करीब स्थित है। इसके आश्रित ग्राम धनपुरी में एक पुलिया का निर्माण हो रहा। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत बन रहे इस पुलिया में कायदे से तीन एमएम की गिट्टी का इस्तेमाल होना चाहिए, पर यहां मनरेगा के तकनीकी सहायक नदी-नालों में मिलने वाले पत्थर-बोल्डर से ही ढलाई करा रहे हैं। ऐेसे में कांक्रीट स्ट्रक्चर की मजबूती काम्प्रोमाइज होगी और पुलिया के कमजोर होने से कभी भी उसके ढह जाने का खतरा बना रहेगा। इस क्षेत्र मेें सड़क निर्माण किया जा रहा है, जिसके रास्ते में एक स्थान पर जमीन नीची होने के कारण बारिश में जलभराव की स्थिति निर्मित हो सकती है। इसे ही ध्यान में रखते हुए पुलिया का निर्माण किया जा रहा है। पर इस तरह गुणवत्ता को ताक पर रख किए जा रहे निर्माण की उम्र कितनी होगी, यह कह पाना किसी के लिए भी मुमकिन न होगा।

तीन मीटर स्पॉन के पुलिया बन रहा दस लाख की लागत से

इस मामले को उजागर करते हुए समाजसेवी बिहारीलाल सोनी ने बताया कि धनपुरी में बन रहे इस पुलिया के लिए दस लाख की लागत खर्च की जा रही है। सड़क के बीच जलभराव की स्थिति में आवागमन बाधित न हो, इसे ध्यान में रख मनरेगा के तहत तीन मीटर स्पॉन के इस पुलिया का निर्माण किया जा रहा है। आम लोगों के लिए खासकर बारिश में आवागमन का माध्यम बहाल रहना जरूरी है, क्योंकि आम राहगीरों के अलावा वक्त बे वक्त एंबुलेंस आदि की आपात स्थिति के लिए मार्ग दुरुस्त होना जरूरी है। पर इस तरह पुलिया निर्माण में भ्रष्टाचार किया जा रहा, जो कभी भी धराशायी हो सकता है, जिससे एक बार फिर मुश्किलों में जीवन यापन करने वाले ग्रामीणों को ही परेशानी होगी।

क्यों चुप हैं मनरेगा के जिम्मेदार, कटघरे मेें कार्यप्रणाली

इस तरह निर्धारित पैमाने के 20 एमएम गिट्टी बजाय जंगल में जहां-तहां मिलने वाले बोल्डर से ढलाई कर ठेकेदार जहां अपना पैसा बचा रहा है, शासन और जनता को नुकसान की तैयारी की जा रही। इस तरह से विभागीय योजना को पलीता लगाया जा रहा, तो दूसरी ओर अनाधिकृत रूप से गौण खनिज का इस्तेमाल भी किया जा रहा। अचरज की बात तो यह है कि मनरेगा के जिम्मेदार तकनीकी अमला भी इस भर्राशाही में चुप्पी साध रखी है, जो उनकी कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में लाती है। श्री सोनी का कहना है कि ग्रामीण अंचल में इस प्रकार का भ्रष्टाचार चल रहा है और इसे देखने वाला कोई नहीं है।