कोरबा। विभागों में पदस्थ बाबुओं पर अधिकारियों का काबू नहीं हैं। ताजा मामला वन विभाग का है। जहां बाबू की मनमानी के किस्से दूर-दूर तक हो रहे हैं। हो भी क्यों न ! क्योंकि साहब का प्रमोशन के साथ ट्रांसफर सीसीएफ कार्यालय में बिलासपुर में हुआ लेकिन बिलासपुर की कुर्सी रास न आई , और साहब वापस जुगाड़ लगाकर कोरबा अटैच हो गए। मतलब साहब को बढ़ा हुआ वेतन भी मिल रहा और डिवीजन के कार्यो की मलाई भी।
वैसे तो वन विभाग में जंगल राज का बोल बाला हैं। विभाग की खरीदी और वन्यप्राणियो के नाम से मिलने वाले फंड को विभागीय अधिकारी डकार रहे हैं। तभी तो कुछ चापलूस और करप्ट कर्मचारियों को डिविजन खूब भा रहा हैं। बात है विभाग में पदस्थ बाबू की.. तो पदोन्नति के साथ उनका बिलासपुर वन वृत्त में ट्रांसफर हुआ था। बिलासपुर स्थांतरण होने के बाद विभाग के कुछ और कर्मचारियों को उम्मीद जगी कि चलिए खिलाड़ी दूसरी टीम में शामिल हो गए तो अब हमे भी मैच खेलने का मौका मिलेगा, पर उनकी आशाओं पर तुषारापात हो गया।
साहब तो लंबे समय से विभाग में कप्तानी कर रहे हैं सो अपने अनुभव का लाभ लेते हुए जुगाड़ ऐसे लगाया की सब चारो खाने चित्त हो गए। साहब बिलासपुर पदस्थ रहकर कोरबा डिविजन में अटैच कराकर फिर से चौका छक्का लगा रहे हैं। अब उनके इस जुगाड़ को देखकर विभागीय साथी कसमसा रहे हैं। आखिर कर भी क्या सकते है बेचारे। हालाकि एक दूसरे को जरूर कहते फिर रहे है ” क्या बताए हमारी तो किस्मत ही खराब हैं।”
खैर जिस अंदाज में बाबू की कुर्सी पर साहब का कब्जा है उससे तो बाहर के लोगो को कम अंदर बैठे उनके सहकर्मी ज्यादा टेंशन में हैं।
इस संबंध में बिलासपुर सीसीएफ राजेश चंदेले से चर्चा करने पर वे कहते हैं -” कोरबा डिविजन में अटैच बाबू की जानकारी मुझे नही है। विभाग से इनकी खबर लेकर ही बता पाऊंगा की आखिर उन्हें अटैच क्यों किया गया हैं! “