Korba: भूविस्थापितों के आंदोलन का आगाज, खदान बंद कराया फिर जीएम आॅफिस के गलियारों में लंच करते दिखे, कहा- फैसले के दिन तक डटे रहेंगे

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कोरबा। सोमवार को भूविस्थापितों ने अपने आंदोलन का शंखनाद करते हुए कुसमुंडा खदान बंद करा दिया। इसके बाद वे जीएम कार्यालय में धरने पर डट गए। इस बीच प्रभावित ग्रामीण अपने दोपहर का भोजन जीएम कार्यालय के गलियारों में बैठकर करते नजर आए। शांति और अहिंसा की राह लेकर अपने अधिकारों की लड़ाई में उतरे भूविस्थापितों का यह अनोखा प्रदर्शन अफसरों से लेकर आम लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गया है। दूसरी ओर प्रशासन-पुलिस के साथ एसईसीएल के अधिकारियों में आंदोलन के इस तरह के आगाज से हड़कंप मच गया है। भूविस्थापितों का कहना है कि अब यह आंदोलन फैसले के दिन तक जारी रखा जाएगा।

 

नौकरी के लंबित प्रकरणों का निपटारा समेत अन्य मांगों को लेकर आग्रह और अनुग्रह की राह पर चलते-चलते थक चुके भूविस्थापितों ने पुल: आंदोलन का ऐलान किया था। वादे के अनुरूप रोजगार प्रकरणों के निराकरण को लेकर उन्होंने सोमवार को कुसमुंडा खदान बंद करने की चेतावनी पूरी की। सोमवार की सुबह बड़ी संख्या में भू-विस्थापित कुसमुंडा खदान के भीतर घुस गए और खदान में उत्पादन व परिवहन के काम को ठप कर दिया गया। करीब दो घंटे तक प्रदर्शन के बाद भी प्रबंधन भू-विस्थापितों को लेकर गंभीर नहीं हुआ तो वे सीधे जीएम कार्यालय के बाद घुस गए और नौकरी के लंबित प्रकरणों का निपटारा करने की मांग पर अड़ गए। इस बीच दोपहर का भोजन भी उन्होंने जीएम आॅफिस के भीतर ही किया। दोना-पत्तल लेकर वे दफ्तर के गलियारों में कतार लगाए बैठ गए और वहीं भोजन भी किया। उनका कहना है कि अनुग्रह-आग्रह का वक्त खत्म हो चुका है और वे एसईसीएल प्रबंधन से अपने अधिकार छीनकर लेंगे। इसी कड़ी में उन्होंने आर-पार की लड़ाई शुरू करते हुए सोमवार को यह प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी के एक हिस्सा को छीन लिया है।

 

इसलिए जमीन के बदले पैसा और ठेका नहीं, स्थाई रोजगार देना होगा, छोटे-बड़े सभी खातेदार को नौकरी देना होगा। भू विस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है। पुराने लंबित रोजगार, को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है किसान सभा भू विस्थापितों की समस्याओं को लेकर शुरू किया गया यह आंदोलन अब फैसले के दिन तक जारी रखा जाएगा।

 

उल्लेखनीय होगा कि 31 अक्टूबर 2021 को लंबित प्रकरणों पर रोजगार देने की मांग को लेकर कुसमुंडा क्षेत्र में 12 घंटे खदान जाम करने के बाद एसईसीएल के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष दस से ज्यादा गांवों के किसान 805 दिनों से अनिश्चित कालीन धरना पर बैठे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान सभा शुरू से ही उनके साथ खड़ी है। भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव,रघु यादव, सुमेन्द्र सिंह कंवर ठकराल ने कहा कि भू विस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।