Korba : अनुग्रह-आग्रह का वक्त खत्म, अब छीनकर लेंगे अपने अधिकार, खदान बंदी कर अब आर-पार की लड़ाई करेंगे भूविस्थापित

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0 एसईसीएल कुसमुंडा व प्रशासन से त्रिपक्षीय वार्ता विफल, लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण की मांग पर 15 जनवरी को होगा आंदोलन

कोरबा। अपने अधिकारों की लड़ाई जीतने आग्रह और अनुग्रह की राह पर चलते-चलते थक चुके भूविस्थापितों ने आंदोलन का ऐलान किया है। रोजगार प्रकरणों के निराकरण को लेकर आयोजित त्रिपक्षीय वार्ता विफल हो गई और अधिकारियों पर आम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए भूविस्थापित नाराज हो गए और बैठक से बाहर निकल गए। उन्होंने 15 जनवरी को कुसमुंडा खदान बंद करने की चेतावनी देते हुए कहा कि अब अनुरोध नहीं, अपने हक को छीनकर हासिल करने का समय आ गया है।

 

छत्तीसगढ़ किसान सभा और रोजगार एकता संघ द्वारा एसईसीएल के खदानों से प्रभावित भू विस्थापित किसानों की लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण की मांग पर कुसमुंडा महाप्रबंधक को ज्ञापन सौंपते हुए 15 जनवरी को कुसमुंडा खदान बंद की घोषणा की गई थी। खदान बंदी से पहले कुसमुंडा भवन में प्रबंधन, प्रशासन के साथ भू विस्थापितों को बैठक के लिए बुलाया गया। बैठक सकारात्मक नहीं होने और प्रबंधन द्वारा फिर गुमराह कर खदान बंद नहीं करने के प्रस्ताव को भू विस्थापितों ने नहीं माना। अधिकारियों पर गुमराह करने और भू विस्थापितों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए भू विस्थापित बैठक से उठ कर बाहर निकल गए।
किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि भू विस्थापित रोजगार के लंबित प्रकरणों का निराकरण की मांग करते हुए थक गए हैं। अब अपने अधिकार को छीन कर लेने का समय आ गया है। विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दीये गए विस्थापित परिवारों की जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है। 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन करने के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। कोयला खदानों के अस्तित्व में आ जाने के बाद विस्थापित किसानों और उनके परिवारों की सुध लेने की किसी सरकार और खुद एसईसीएल के पास समय ही नहीं है। विकास की जो नींव रखी गई है उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया जमीन किसानों का स्थाई रोजगार का जरिया होता है। सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी के एक हिस्सा को छीन लिया है। इसलिए जमीन के बदले पैसा और ठेका नहीं, स्थाई रोजगार देना होगा, छोटे-बड़े सभी खातेदार को नौकरी देना होगा। भू विस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है। पुराने लंबित रोजगार, को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है किसान सभा भू विस्थापितों की समस्याओं को लेकर उग्र आंदोलन की तैयारी कर रही है।

803 दिनों से धरने पर हैं दस से ज्यादा गांव के किसान

 

उल्लेखनीय है कि 31 अक्टूबर 2021 को लंबित प्रकरणों पर रोजगार देने की मांग को लेकर कुसमुंडा क्षेत्र में 12 घंटे खदान जाम करने के बाद एसईसीएल के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष दस से ज्यादा गांवों के किसान 803 दिनों से अनिश्चित कालीन धरना पर बैठे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान सभा शुरू से ही उनके साथ खड़ी है। भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव,रघु यादव, सुमेन्द्र सिंह कंवर ठकराल ने कहा कि भू विस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।

इस बार समस्या के समाधान तक बंद रहेगा खदान

एसईसीएल कुसमुंडा कार्यालय के सामने बैठक कर नारेबाजी करते हुए बड़ी संख्या में भू विस्थापित किसान एकजुट हुए भू विस्थापितों ने कहा की 15 जनवरी को कुसमुंडा खदान बंद में प्रभावित गांव के हजारों पीड़ित भू विस्थापित परिवार सहित शामिल होंगे इस बार समस्याओं के समाधान तक अनिश्चित कालीन खदान बंद आंदोलन होगा। बैठक में भू विस्थापितों की और से प्रशांत झा के साथ प्रमुख रूप से मोहन यादव,बृजमोहन,जय कौशिक,दीननाथ,जय कौशिक, फिरत लाल, उत्तम दास,जितेंद्र,होरीलाल,अनिल बिंझवार, हेमलाल, हरिहर पटेल, कृष्णा,फणींद्र,अनिरुद्ध,चंद्रशेखर, गणेश,सनत के साथ बड़ी संख्या में प्रभावित भू विस्थापित उपस्थित थे।