Mobile Network : अद्भुत तस्वीरें…! यहां नहीं मिलता मोबाइल नेटवर्क…पेड़ पर चढ़कर अपनों से बात करने को हैं मजबूर…गांव का नाम ? जानें

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हल्द्वानी, 22 मई। Mobile Network : दूर-दराज के इलाकों में मोबाइल सिग्नल देने का दावा करने वाली टेलीकॉम कंपनियों के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। पेड़ों की डालियों पर बैठे लोगों की ये तस्वीर बता रही है कि दावे में कितनी दम है। पेड़ पर चढ़कर लोग अपनों से बात करने को मजबूर हैं, क्योंकि आज भी कई गांव ऐसे हैं जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंच पाया है।

5-G लांच करने को तैयार

उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं है। डिजिटल क्रांति का युग आज भी लोगों के लिए एक सपना है। मोबाइल नेटवर्क की तलाश में लोग पेड़ों पर फोन लटका कर हवा चलने का इंतजार करते हैं। जिससे कि मोबाइल में नेटवर्क आ सके और वह अपने सगे संबंधियों से बात कर उनका हाल चाल जान सके। आपात स्थिति में 5-जी के दौर में यह लोग भगवान भरोसे हैं।

फोन की नहीं बजती घंटी

ओखलकांडा ब्लाक के कई ग्राम सभाओं के लोगों ने मोबाइल की घंटी नहीं सुनी। उनके मोबाइल पर फोन आता नहीं है। बल्कि वह बात करने के लिए घर से एक से दो किमी दूर जाते हैं। जहां निर्धारित स्थान पर ही बीएसएनएल व एयरटेल का हवा चलने पर नेटवर्क आता है। अगर थोड़ा सा भी हिल गए तो नेटवर्क गायब हो जाता है।

घरों से एक से दो किमी दूर जाकर नेटवर्क तलाशते हैं लोग

यह स्थिति है ओखलकांडा ब्लाक के दर्जनों गांवों की। जहां लोग अपने घरों से एक से दो किमी दूर क्षेत्र में जाकर नेटवर्क तलाशते हैं और संबंधियों से बातचीत व अन्य जरूरी कार्य करते हैं। ओखलकांडा के खड़ी तोक निवासी विजय बोरा बताते हैं कि गांव-गांव तक विकास की रोशनी फैलाने के बड़े-बड़े दावे करने वाली केंद्र और राज्य की सरकार का सच ओखलकांडा ब्लाक में दिखाई देता है।

अधिकारियों का कर चुके हैं कई बार घेराव गांव के विजय बोरा, पुष्कर सिंह मेहता, हरक सिंह बोहरा, पान सिंह मटियाली, जगजीवन, दिलीप सिंह समेत कई ग्रामीणों ने बताया कि नेटवर्क की समस्या दूर करने के लिए कई बार बीएसएनल के अधिकारियों का घेराव कर चुके हैं लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हो सका।

हल्द्वानी बीएसएनएल के (Mobile Network) डीजीएम भीम बहादुर का कहना है कि, मोबाइल नेटवर्क के शेडो एरिया में फोर जी सेचुरेशन योजना के तहत नए टावर लगाए जा रहे हैं। इसमें ओखलकांडा के कई संचार विहीन क्षेत्र भी शामिल है। इसकी प्रक्रिया गतिमान है। जल्द इन क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या दूर होगी।