Saturday, July 27, 2024
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Nandkumar Sai : भाजपा दिग्गज साय को मनाने घंटों डटे रहे…? देर रात सोशल मीडिया पर लिखा- धूमिल नहीं है लक्ष्य मेरा…देखें अब इसका मतलब…?

रायपुर। Nandkumar Sai : छत्तीसगढ़ भाजपा के बड़े आदिवासी नेता नंदकुमार साय के इस्तीफे के बाद पार्टी में हड़कंप की स्थिति है। उनके इस्तीफे के बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय और प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय दो घंटे तक राजधानी रायपुर के देवेंद्र नगर स्थित ऑफिसर्स कॉलोनी में उनके निवास पर डटे रहे, लेकिन साय नहीं माने। भाजपा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि साय दिल्ली में हैं, जबकि ऐसी भी खबरें हैं कि साय अपने निवास पर ही थे, लेकिन दोनों नेताओं से मिलने के लिए राजी नहीं हुए।

इधर, देर रात नंदकुमार साय ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है-

धूमिल नहीं है लक्ष्य मेरा,

अम्बर समान यह साफ है.

उम्र नहीं है बाधा मेरी,

मेरे रक्त में अब भी ताप है.

सहस्त्र पाप मेरे नाम हो जाएं,

चाहे बिसरे मेरे काम हो जाएं,

मेरे तन-मन का हर एक कण,

इस माटी को समर्पित है.

मेरे जीवन का हर एक क्षण,

जन-सेवा में अर्पित है।

यह माना जा रहा है कि इस कविता के जरिए साय ने अपने इस्तीफे के फैसले से पीछे नहीं हटने का संदेश दिया है। साथ ही, यह बात अब पुष्ट होती जा रही है कि साय कांग्रेस जॉइन करेंगे। जो खबरें आ रही हैं, उसके मुताबिक साय सोमवार यानी आज सुबह कांग्रेस भवन में कांग्रेस की सदस्यता लेंगे। इस दौरान सीएम भूपेश बघेल और पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम के साथ अन्य आदिवासी नेता भी मौजूद रहेंगे।

भाजपा का कहना

‘वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय एवं संगठन महामंत्री पवन साय ने नंदकुमार साय के निवास पर जाकर भेंट करने का प्रयास किया। वहां जानकारी दी गई कि वह दिल्ली में हैं। उनसे दूरभाष से संपर्क करवाने का निवेदन किया गया। उन्हें सूचना दे दी गई परंतु उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। निवास पर नंद कुमार साय के सुपुत्र से मुलाकात हुई। लगभग 2 घंटे उनके निवास पर रहकर दूरभाष से कुछ संदेश उन तक और पहुंचे परंतु कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। आगे भी उनसे संपर्क करने का प्रयास जारी रहेगा।’

बता दें कि नंदकुमार साय मुखर आदिवासी नेता (Nandkumar Sai) हैं, जो समय समय पर अपनी ही पार्टी की कमियों पर खुलकर बोलते रहे हैं। वे पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह पर भी हमले कर चुके हैं। वहीं, विष्णुदेव साय को जब तीसरी बार अध्यक्ष बनाया गया तब भी यह कह चुके हैं कि पार्टी विपक्षी दल की तरह संघर्ष नहीं कर पा रही, जिस तरह जोगी शासन में उनके नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने संघर्ष किया था।

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