The Duniyadari: प्रयागराज- महाकुंभ 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 5 फरवरी को जाने का कार्यक्रम था, लेकिन अब इसे रद्द कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी 5 फरवरी के बजाय किसी और दिन कुंभ स्नान के लिए जा सकते हैं, हालांकि इस पर आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है. इस बीच महाकुंभ में 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन हुए हादसे को लेकर यूपी सरकार ने सुरक्षा के इंतजाम बढ़ा दिए हैं.
इस हादसे में 30 श्रद्धालुओं की जान चली गई और कई लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं. इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाए हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेले में मची भगदड़ के बाद कई बदलाव किए हैं. महाकुंभ नगर को नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है यानि किसी भी तरह के वाहन को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी.
पीएम मोदी का दौरा क्यों टला?
जानकारी के मुताबिक भीड़ और सुरक्षा को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 5 फरवरी का दौरा टाला गया है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री किसी और दिन प्रयागराज आएंगे.
भगदड़ के बाद एक्शन में यूपी सरकार
- महाकुंभ क्षेत्र को पूरी तरह ‘नो व्हीकल जोन’ घोषित किया गया है.
- सभी VIP और VVIP पास रद्द कर दिए गए हैं.
- श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए वन-वे रूट लागू किए गए हैं.
- 4 फरवरी तक बाहरी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है.
- संगम क्षेत्र में स्नान के बाद अधिक समय तक रुकने की अनुमति नहीं होगी.
- कुंभ की प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए नए ऑफिसर तैनात किए गए हैं.
श्रद्धालुओं का उत्साह कायम
महाकुंभ में हुए हादसे के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था कम नहीं हुई है. 3 फरवरी को वसंत पंचमी के अवसर पर ‘अमृत स्नान’ होने वाला है, जिसमें करीब 5 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा सकते हैं.
30 जनवरी तक 28 करोड़ से अधिक लोग संगम में स्नान कर चुके थे, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है. मेला प्रशासन ने जानकारी दी है कि 30 जनवरी सुबह 10 बजे तक साढ़े 28 करोड़ लोग गंगा स्नान कर चुके हैं. इसके अलावा महाकुंभ में 10 लाख से अधिक श्रद्धालु कल्पवास कर रहे हैं.
महाकुंभ भगदड़ की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन
योगी सरकार ने 29 जनवरी की भगदड़ की जांच के लिए एक तीन-सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है, जिसने तुरंत अपना काम शुरू कर दिया है. आयोग को अपनी जांच रिपोर्ट एक माह के भीतर राज्य सरकार को सौंपनी होगी, हालांकि आवश्यकतानुसार इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है. आयोग को निम्नलिखित बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी – उन कारणों एवं परिस्थितियों का पता लगाना जिसके कारण यह घटना घटित हुई. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के संबंध में सुझाव देना.