कोरबा। विकसित भारत विकसित छत्तीसगढ़ का लक्ष्य लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एसईसीएल की तीन एफएमसी (फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी) परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इनमें 600 करोड़ की लागत से बनी दीपका, बरौद एवं छाल एफएमसी परियोजनाएं शामिल है, जो प्रतिवर्ष 41 मिलियन टन उत्पाइन क्षमता से लैस हैं। इस परियोजना की सबसे बड़ी खासियत उनके पर्यावरण-हितैषी एवं त्वरित कोयला परिवहन को जोर देता है, जो राष्ट्र के विकास को पर्यावरण फ्रेंडली रखते हुए ऊर्जा जरुरतों को तेजी प्रदार करने सक्षम भूमिका निभाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बनाने तथा सतत विकास को बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप विकसित भारत-विकसित छत्तीसगढ़ कार्यक्रम के अंतर्गत एसईसीएल की तीन प्रमुख फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाओं का वर्चुअल रुप से उद्घाटन किया। यह परियोजनाएँ तेज, पर्यावरण-हितैषी और कुशल मशीनीकृत कोयला निकासी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इनमें एसईसीएल के दीपका क्षेत्र स्थित ओसीपी कोल हैंडलिंग प्लांट 211 करोड़ रुपये से अधिक लागत की एक प्रमुख परियोजना है। वार्षिक 25 मीट्रिक टन की कोयला हैंडलिंग क्षमता के साथ इस परियोजना में 20,000 टन की ओवरग्राउंड बंकर क्षमता और 2.1 किमी लंबी कन्वेयर बेल्ट है, जो प्रति घंटे 4,500-8,500 टन कोयले की तेजी से लोडिंग की सुविधा प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त यह परियोजना पिटहेड और रेल साइडिंग के बीच सड़क आधारित कोयले की आवाजाही को कम करके पर्यावरण अनुकूल परिवहन सुनिश्चित करेगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगेगा। इससे न केवल पर्यावरण को लाभ होगा बल्कि रेक लोडिंग का समय एक घंटे से भी कम हो जाएगा और परिचालन दक्षता भी बढ़ेगी। इस अवसर पर एसईसीएल सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा मुख्यालय से कार्यक्रम से जुड़े। वहीं एसईसीएल दीपका क्षेत्र एवं रायगढ़ क्षेत्र में बरौद एवं छाल में समारोह स्थलों से एसईसीएल निदेशकगण, क्षेत्रीय महाप्रबंधकों, अधिकारी एवं कर्मचारी ने बड़ी संख्या में कार्यक्रम से जुड़कर कार्यक्रम को सफल बनाया।
रायगढ़ के छाल और बरौद में कोल हैंडलिंग प्लांट
एक अन्य महत्वपूर्ण परियोजना एसईसीएल के रायगढ़ क्षेत्र में छाल ओसीपी कोल हैंडलिंग प्लांट है। इसे 173 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया है। इसमें वार्षिक 6 मीट्रिक टन कोयला प्रेषण की क्षमता के साथ एक ओवरग्राउंड बंकर, 1.7 किमी लंबा एक कन्वेयर बेल्ट और 3,000 टन क्षमता का साइलो शामिल है। इसके अतिरिक्त, तीसरी परियोजना एसईसीएल रायगढ़ क्षेत्र में बरौद ओसीपी कोल हैंडलिंग प्लांट है। इसे वार्षिक रूप से 10 मीट्रिक टन कोयले की हैंडलिंग के लिए डिजाइन किया गया है। इसे 216 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है। 20,000 टन की ओवरग्राउंड बंकर क्षमता तथा 1.7 किमी कन्वेयर बेल्ट से लैस इस परियोजना में एक रैपिड लोडिंग सिस्टम है। यह प्रति घंटे 5000-7500 टन कोयला लोड करने में सक्षम है, लोडिंग प्रक्रिया को काफी सुव्यवस्थित बनाता है और परिचालन दक्षता में योगदान देता है।
स्थानीय लोगों के लिए निर्मित होंगे रोजगार के अवसर
पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान के अनुरूप ये परियोजनाएं पूरे क्षेत्र में मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी प्रदान करने तथा कोयला अवसंरचना को मजबूथ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देंगी। इन परियोजनाओं से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और कुशल ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करके क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाएं सतत धारणीय विकास के सिद्धांतों को अपनाते हुए सड़कों के माध्यम से कोयला परिवहन पर निर्भरता को कम करती हैं और यातायात की भीड़, सड़क दुर्घटनाओं और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती हैं।