Politics: बिहार के बाद झारखंड में खेला! दिल्ली आ धमके कांग्रेस के MLA, क्यों फंसी चंपई सरकार?

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दिल्ली।कांग्रेस (Congress) लोकसभा चुनाव की तैयारियों की बजाय अपना कुनबा बचाने में उलझी है. और इस बार संकट के बादल झारखंड से दिल्ली पहुंचे हैं. सवाल है कि क्या बिहार के बाद झारखंड (Jharkhand) में भी महागठबंधन के साथ बड़ा खेला होने वाला है? दरअसल, 1,2,3 नहीं पूरे 8 झारखंड कांग्रेस के विधायक बीती रात दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे. वो भी तब जब झारखंड में चंपई सोरेन को शपथ लिए अभी 2 हफ्ते ही बीते हैं. ये विधायक चंपई सरकार पर संकट की वजह बन रहे हैं. ये विधायक भले ही अपनी यात्रा को सामान्य बता रहे हों लेकिन चंपई सोरेन के लिए हालात असमान्य हैं.

दिल्ली क्यों आए कांग्रेस के विधायक?

बताया जा रहा है कि दिल्ली कूच से पहले विधायकों ने रांची में कई राउंड बैठक की और जब बात नहीं बनी तो दिल्ली के लिए उड़ान भरी. सूत्रों के मुताबिक, विधायकों की बैठकों और दिल्ली कूच के इस ताजा घटनाक्रम के तार दो दिन पहले हुए कैबिनेट विस्तार से जुड़े हैं. सोरेन सरकार में शामिल कांग्रेस के मंत्रियों को ही चंपई सरकार में रिपीट किया गया है, जिनमें आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख शामिल हैं.

चंपई सोरेन भी पहुंचे दिल्ली

दावा है कि करीब 12 विधायक इस फैसले से नाराज हैं, वो नई सरकार में भागीदार नहीं मिलने से खफा हैं और उन 12 में से 8 आलाकमान से मिलने दिल्ली पहुंच चुके हैं. सरकार पर संकट के बादल के बीच चंपई सोरेन भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर के साथ दिल्ली पहुंच चुके हैं. हालांकि, कैमरे पर सबकुछ ठीक होने का दावा कर रहे हैं.

झारखंड विधानसभा का मौजूदा समीकरण

लेकिन झारखंड विधानसभा का जो मौजूदा समीकरण है, उसमें अगर विधायकों के बगावती सुर और मुखर हुए तो चंपई सरकार का गणित बिगड़ सकता है. 2 फरवरी को चंपई सोरेन ने सीएम पद की शपथ ली थी और 5 फरवरी को जब उन्होंने बहुमत की परीक्षा पास की थी. तब 82 सीट वाली विधानसभा में 1 सीट खाली थी. महागठबंधन के पक्ष में 47 वोट पड़े थे. जबकि एनडीए के पक्ष में सिर्फ 29 वोट पड़े थे.

क्या गिर जाएगी चंपई सरकार?

महागठबंधन की सरकार कायम रखने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने तब बहुमत से पहले अपने सभी विधायकों को हैदराबाद भेजा था. लेकिन अब अगर कांग्रेस के बागी विधायक सोरेन सरकार के खिलाफ खड़े हो जाते हैं तो महागठबंधन की सरकार अल्पमत में आ जाएगी जबकि एनडीए बहुमत के करीब पहुंच जाएगी. आंकड़ों से आपको समझाते हैं.

विधायक टूटे तो क्या होगा समीकरण?

अगर कांग्रेस के 12 विधायक बागी होते हैं तो महागठबंधन के पास सिर्फ 35 विधायक रह जाएंगे. वहीं, एनडीए का आंकड़ा 41 का हो जाएगा. जबकि बहुमत के लिए भी 41 विधायकों का समर्थन ही चाहिए. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बागी विधायक आलाकमान के सामने अपनी मांगें रखेंगे. अगर समाधान हुआ तो रांची लौटेंगे और अगर आश्वासन नहीं मिला तो फिर कोई बड़ा फैसला उठा सकते हैं. ऐसे में एक बार फिर झारखंड की राजनीति में खेला की आहट सुना रही है.

नाराज विधायकों को मनाने की कोशिश

इस बीच, झारखंड कांग्रेस के नाराज विधायकों की नाराजगी की वजह जानने के लिए AICC ने मध्य प्रदेश के सीनियर लीडर उमंग सिंघार को ऑब्जर्वर नियुक्त किया है. ऑब्जर्वर कांग्रेस नेता उमंग सिंघार के साथ नाराज विधायकों की आज मीटिंग होनी है.

कांग्रेस नकार रही नाराजगी की बात

वहीं, झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि हमारे नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन मंत्रिमंडल के गठन के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से शिष्टाचार मुलाकात करने के लिए यहां आए हुए हैं. उनसे मुलाकात होगी और अन्य नेताओं से भी मुलाकात होगी. हमें नहीं लगता कि झारखंड कांग्रेस के विधायकों में कहीं कोई नाराजगी है.

इसके अलावा, झारखंड कांग्रेस के विधायक राजेश कच्छप ने कहा कि आलाकमान से बात करने के लिए आए हुए हैं, हमें क्या परेशानी है. उसके लिए हम पार्टी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से बात करने आए हुए हैं.