रेत पर राजनीति: गरीबों को फ्री में रेत,कांग्रेस बोली- रेत घोटाले पर पर्दा डालने के लिए PM आवास को…

0
96

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने राज्य सरकार की ओर से पीएम आवास के लिये छोटे ट्रैक्टर से रेत मुफ्त में देने की घोषणा पर तंज कसा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में चल रहे रेत घोटाले पर से ध्यान हटाने उसी गांव में पीएम आवास के लिये रेत मुफ्त देने की बात की जा रही, जबकि रेत घाट वाले सभी गांव के लोगों को मुफ्त में रेत दी जानी चाहिये।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार के संरक्षण में रेत तीन गुने दाम पर बिक रही है, जो रेत दो महीने पहले 8 से 9 हजार रुपये ट्रक में बिक रही है। वह भाजपा की सरकार आने के बाद 24 से 25 हजार रुपए तक में बिक रही है। प्रदेश भर में भाजपाइयों के रेत खदान हथियाने के लिये माफियावार चल रहा है। सरकार के संरक्षण के कारण इस बंदरबांट का खामियाजा प्रदेश की जनता को उठाना पड़ रहा है।

बैज बोले- प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति ही नहीं किया, तो रेत का क्या होगा?

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अभी तक सरकार ने प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति ही नहीं किया तो रेत का क्या होगा? उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने 18.5 लाख आवास देने की घोषणा तो जरूर किया है, लेकिन स्वीकृत किसी का नहीं किया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से स्वीकृत किये गये आवासों के अतिरिक्त किसी भी आवासहीन के खाते में एक रुपया भी साय सरकार ने नहीं डाला है। कांग्रेस सरकार ने ठोस पॉलिसी बनाई थी, खनिज विकास निगम की निगरानी में प्रदेश के सभी 450 रेत खदानों में पारदर्शिता पूर्ण व्यवस्था बनाई थी। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय रेत खदानों में लोडिंग चार्ज अधिकतम 450 रु था, जो अब भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के चलते 2000, 3000 और 5000 तक वसूले जा रहे हैं, जिस पर शायद सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है या अघोषित रूप से संरक्षण है?

18 लाख आवास किनके लिये बना रहे, उनकी सूची सार्वजनिक करें’

सांसद दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री और भाजपा बताये 18 लाख आवास किनके लिये बना रहे, उनकी सूची सार्वजनिक किया जाये। बजट में पीएम आवास के लिये सिर्फ 3799 करोड़ का प्रावधान है इतनी राशि में 18 लाख आवास कैसे बनेगा इसका जवाब भाजपा दें। सरकार बताएं कि 18 लाख पीएम आवास के लिये राज्यांश की राशि कितनी होती है? 3799 करोड़ बजट में स्वीकृत की गई है उस से 18 तो क्या 5 लाख आवास भी नहीं बनाई जा सकती है। असलियत यह है कि केंद्रीय योजनाओं में लक्ष्य तय करने का अधिकार राज्य को नहीं होता। 2011 के बाद से केंद्र की मोदी सरकार जनगणना के दायित्व से भाग रही है ताकि इरादतन षड़यंत्रपूर्वक नए हितग्राहियों को लाभ से वंचित रखा जा सके।