सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में फंसीं:नासा के स्पेसक्राफ्ट में सिर्फ आधा ईंधन बाकी, अब रूस बचाएगा या इलॉन मस्क

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भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में फंस गई हैं। सुनीता 5 जून 2024 को स्टारलाइनर नाम के स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर स्पेस मिशन पर गई थीं। ये अमेरिकी एयरक्राफ्ट कंपनी बोइंग और नासा का संयुक्त ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ है। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट हैं। उनके साथ गए बुश विलमोर इस मिशन के कमांडर हैं। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी दिक्कतों और हीलियम गैस के रिसाव के चलते अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि असली दिक्कत का पता नहीं चल पा रहा है। अगर यही स्पेसक्राफ्ट वापसी आता है तो इसमें आग लगने की आशंका है। नासा पर भी दिक्कतों की अनदेखी का आरोप लग रहा है।

सुनीता और विलमोर को स्पेस में एक हफ्ते रुकना था, 23 दिन हो गए
बीते महीनों में स्टारलाइनर का लॉन्च कई बार टाला गया था। आखिरकार 5 जून को इसने धरती से उड़ान भरी और 25 घंटे के सफर के बाद इसमें सवार सुनीता विलियम्स इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचीं। ये सुनीता के नाम पर एक और ऐतिहासिक रिकॉर्ड है।

लॉन्च के साथ ही बोइंग, एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाने और वापस आने के मिशन पर काम करने वाली दूसरी प्राइवेट फर्म बन गई। इसके पहले इलॉन मस्क की स्पेसएक्स ये कारनामा कर चुकी है।

बोइंग की तरफ से कहा गया कि ये लॉन्च, नासा और बोइंग के स्टारलाइनर क्रू फ्लाइट टेस्ट की शुरुआत है। लॉन्च के समय बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट और CEO टेड कोलबर्ट ने इसे स्पेस रिसर्च के नए युग की शानदार शुरुआत बताया था।

इस मिशन के तहत एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन रुक कर रिसर्च और एक्सपेरिमेंट करने थे। हालांकि, इस मिशन का मुख्य उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता साबित करना था। सुनीता और विल्मोर पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं जो एटलस वी रॉकेट के जरिए स्पेस ट्रैवेल पर भेजे गए हैं। इस मिशन के दौरान उन्हें स्पेसक्राफ्ट को मैन्युअली उड़ाना था। इस फ्लाइट टेस्ट से जुड़े कई तरह के फ्लाइट टेस्ट ऑब्जेक्टिव भी पूरे करने थे।

लॉन्च से पहले और बाद स्पेसक्राफ्ट में लगातार दिक्कतें

  • 5 जून को जब स्पेसक्राफ्ट लॉन्च करने की कोशिश की गई तो ऐन वक्त पर इसके कंप्यूटर में कुछ खराबी आ गई थी। पहली कोशिश बेकार गई। दूसरी बार में इसे लॉन्च किया गया।
  • 6 मई को पहले भी लीक की जांच और रॉकेट की मरम्मत के चलते लॉन्च कैंसिल कर दिया गया था। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘6 मई को लॉन्च से ठीक दो घंटे पहले रॉकेट की ऊपरी स्टेज में एक प्रेशर वॉल्व में दिक्कत होने के चलते लॉन्च की उल्टी गिनती रोक दी गई थी। इसके बाद तकनीकी गड़बड़ियों के चलते 5 जून तक लॉन्च टलता रहा।’
  • ब्रिटिश न्यूज वेबसाइट टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्पेस क्राफ्ट में ऑक्सीडाइजर का फ्लो कंट्रोल करने वाले एक वॉल्व में गड़बड़ी आ गई थी। ऑक्सीडाइजर मतलब ऐसे केमिकल जो रॉकेट के फ्यूल को जलाने के लिए जरूरी होते हैं। ऑक्सीडाइजर की मदद से जब रॉकेट का फ्यूल जलता है तभी रॉकेट अपना रास्ता बदल पाते हैं, क्योंकि इस दौरान बहुत ज्यादा मात्रा में एनर्जी की जरूरत होती है। रिपोर्ट के मुताबिक लॉन्च के पहले ही वॉल्व से भिनभिनाहट जैसी आवाज आ रही थी।
  • इसके पहले नासा ने कहा था कि स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल के थ्रस्टर में एक छोटा सा हीलियम लीक है। लॉन्च में देरी होने से इसकी जांच करने का मौका मिलेगा। बता दें कि एक स्पेसक्राफ्ट में कई थ्रस्टर होते हैं। इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है। वहीं हीलियम होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है। उसका ढांचा मजबूत बना रहता है, जिससे रॉकेट को अपनी फ्लाइट में मदद मिलती है।
  • ब्रिटिश न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक 5 जून को लॉन्च के बाद से अब तक स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हो चुके हैं। 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके हैं। इसके अलावा एक प्रोपेलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका है। इसके चलते स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें उम्मीद से कहीं ज्यादा समय लग रहा है।
स्पेसक्राफ्ट में सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर।
स्पेसक्राफ्ट में सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर।

क्या नासा को लॉन्च से पहले ही लीक का पता था
अमेरिकी न्यूज चैनल CBS न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नासा और बोइंग को 5 जून को हुए लॉन्च से पहले ही स्पेसक्राफ्ट में हीलियम के रिसाव के बारे में पता था। रिपोर्ट के मुताबिक इसके बावजूद उन्होंने रिसाव को बड़ा खतरा नहीं माना और लॉन्च नहीं रोका। इसके बाद 25 घंटे की उड़ान के दौरान, जब स्टारलाइनर ऑर्बिट में पहुंचा तो इसमें 4 और जगहों से हीलियम गैस लीक होने लगी। एक थ्रस्टर खराब हो गया।

स्पेस स्टेशन में फंसे सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर के पास क्या रास्ते हैं
सुनीता और विलमोर को सबसे पहले 13 जून को स्पेसक्राफ्ट को अन-डॉक करना था। इसका मतलब है स्पेस स्टेशन से पृथ्वी की तरफ वापसी का सफर शुरू करना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद 19 जून को जानकारी सामने आई कि स्पेसक्राफ्ट की वापसी की नई तारीख 26 जून की तय की गई है, लेकिन फिर ऐसा नहीं हो सका। अब कहा जा रहा है कि 2 जुलाई को फिर एस्ट्रोनॉट्स की वापसी की कोशिश की जाएगी।

स्पेसक्राफ्ट के पास सिर्फ 24 दिन का ईंधन बाकी
बोइंग का स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट सिर्फ 45 दिन तक स्पेस स्टेशन में रुक सकता है। स्पेसक्राफ्ट को स्टेशन में डॉक करने के बाद करीब 22 दिन हो चुके हैं। स्टारलाइनर, स्पेस स्टेशन के हार्मनी नाम के जिस मॉड्यूल से जुड़ा है उसकी फ्यूल कैपेसिटी सीमित होती है। इसलिए 45 दिन के बाद स्पेसक्राफ्ट को सुरक्षित तरीके से अन-डॉक नहीं किया जा सकता। इस समय-सीमा के पूरा होने के बाद सुनीता और विलमोर को दूसरे एयरक्राफ्ट से वापस लाने की व्यवस्था करनी होगी। ऐसे में स्पेसएक्स का क्रू-ड्रैगन और रूसी स्पेसक्राफ्ट सोयूज, दोनों एस्ट्रोनॉट्स को वापस धरती पर ला सकते हैं। इन्हें इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये तय समय पर लॉन्च किए जा सकें।

वापसी के लिए स्पेस स्टेशन से धरती तक लगेंगे 6 घंटे
नासा ने उन दावों का खंडन किया है कि दोनों एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में फंसे हुए हैं। नासा के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट को अभी भी अन-डॉक किया जा सकता है। उसे इमरजेंसी की स्थिति में उड़ाया भी जा सकता है। नासा के मुताबिक अन-डॉकिंग के बाद स्पेसक्राफ्ट 70 घंटे तक उड़ान भर सकता है, जबकि उसे वापसी के लिए करीब 6 से 7 घंटे की फ्लाइट लेनी है।

नासा के मुताबिक स्पेस स्टेशन पर सभी जरूरत की चीजें इतनी मात्रा में मौजूद हैं कि इन्हें कई महीनों तक चलाया जा सकता है। स्पेस स्टेशन में सुनीता और विलमोर के अलावा 5 एस्ट्रोनॉट्स और मौजूद हैं। इस कारण फिलहाल एस्ट्रोनॉट्स के लिए कोई खतरा नहीं है। नासा और बोइंग अब एस्ट्रोनॉट्स की वापसी की कोई नई तारीख तय करने से पहले हीलियम के रिसाव और थ्रस्टर में खराबी की दिक्कतों पर एनालिसिस कर रहे हैं।

BBC की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्पेसक्राफ्ट का सर्विस मॉड्यूल री-एंट्री के समय जल जाएगा। इस कारण इसकी सही जानकारी नहीं हो पाएगी कि असल में स्पेसक्राफ्ट में क्या गड़बड़ी हुई है।