नई दिल्ली। कुवैत की महिलाएं इस बात से नाराज हैं कि उन्हें सेना ने सैनिकों की भूमिका में शामिल होने की अनुमति तो मिल गई है, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने महिला सैनिकों को हथियार नहीं देने का फैसला किया है. इसके साथ ही कहा गया है कि महिला सैनिकों को सीमा पर कोई भी कदम उठाने से पहले पुरुष सैनिकों से अनुमति लेनी होगी. इसके साथ ही सशस्त्र बलों में महिलाओं को सिर ढंकना होगा.
‘एक कदम आगे दो कदम पीछे’ जैसा फैसला
रक्षा मंत्रालय के इस फैसले को लोगों ने ‘एक कदम आगे, दो कदम पीछे’ जैसा बताया है. इस कदम ने कुवैत में एक ऑनलाइन मूमेंट को शुरू कर दिया है, कई लोग खुल कर इसका विरोध करते दिख रहे हैं.
‘सरकार किस आधार पर महिलाओं को समझती है कमजोर’
इस फैसले पर स्पोर्ट्स टीचर और कुवैत फुटबॉल एसोसिएशन की महिला समिति की सदस्य गदीर अल-खश्ती ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि सेना में शामिल होने के लिए ये प्रतिबंध क्यों हैं. हमारे यहां महिलाएं पुलिस बल सहित हर क्षेत्र में काम कर रही हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मेरी मां अपने कपड़ों में हथियार छुपाकर सैनिकों तक पहुंचाती थीं. मेरे पिता ने भी उन्हें कभी नहीं रोका. मुझे समझ नहीं आता कि सरकार किस आधार पर महिलाओं को कमजोर समझती है.’
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पिछले साल अक्टूबर में मिली थी सेना में शामिल होने की अनुमति
बता दें, पिछले साल अक्टूबर में महिलाओं को सेना में शामिल होने की अनुमति मिली थी. जनवरी में कुवैत सरकार ने सेना में महिलाओं की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की थी. कई हजार महिलाओं ने सेना में भर्ती के लिए एप्लिकेशन दी थी. सेना में शामिल होने के लिए यूनिवर्सिटी डिप्लोमा या ग्रेजुएशन इसके लिए एलिजिबिलिटी रखी गई है. 18 से 26 साल की महिलाएं अप्लाई कर सकती हैं.
साल 2005 से पहले नहीं था वोट का अधिकार
गौरतलब है कि कुवैती महिलाओं को साल 2005 में वोट देने का अधिकार मिला था. महिलाएं कैबिनेट और संसद दोनों में सक्रिय रही हैं, हालांकि दोनों में उनका प्रतिनिधित्व कम और खराब रहा है. जानकारों का कहना है कि अभी भी कुवैत में महिलाओं के सामने कई समस्याएं हैं, जिनके सुधार की जरूरत है.
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