कोरबा।छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ ने बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी, प्रभावित गांव के बेरोजगारों को खदान में काम देने, महिलाओं को स्वरोजगार, पुनर्वास गांव में बसे भूविस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने आदि मांगों को लेकर
किसान सभा के नेतृत्व में भू विस्थापितों ने एसईसीएल कुसमुंडा मुख्यालय के सामने अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल शुरू कर दिया । भूख हड़ताल की खबर के बाद एसईसीएल और प्रशसान की टीम ने रात नौ बजे धरना स्थल पहुंचकर लंबित प्रकरण को 15 दिवस के भीतर निराकरण करने का आश्वाशन दिया है। एसईसीएल प्रबंधन और तहसीलदार के कमिटमेंट के बाद भूख हड़ताल को समाप्त किया गया।
बता दें कि भूविस्थापितो की विभिन्न मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे प्रदर्शनकारियों की खबर मिलते ही प्रबंधन और प्रशसान के हाथ पांव फूलने लगे। आनन फानन में एसईसीएल और प्रशसान की टीम 9 घंटे बाद रात 8 बजे कटघोरा और दीपका तहसीलदार के.के.लहरे, एसईसीएल कुसमुंडा के डिप्टी जीएम आर के बधावन हड़ताल स्थल पंहुचे। डिप्टी जीएम आर के बधावन ने कहा कि बिलासपुर में लंबित रोजगार प्रकरण का 15 दिनों में निराकरण कर रोजगार दिया जाएगा।सत्यापन जल्द कराने तथा जिनकी फाइल कुसमुंडा में है ।
उन्हें रोजगार के लिए 10 दिनों मे बिलासपुर भेजने का आश्वासन दिया ।जिसके बाद तहसीलदार ने भूख हड़ताल में बैठे आंदोलनकारियों को जूस पिलाकर आंदोलन समाप्त कराया। किसान सभा के नेता प्रशांत झा ने कहा कि 17 नवंबर से पहले भू विस्थापितों की समस्याओं का निराकरण होता नहीं दिखेगा तो 17 नवंबर को खदान में महाबंद आंदोलन होगा