रायपुर। केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली से राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान से बचाने के लिए 14% क्षतिपूर्ति का जो मॉडल बनाया था वह 30 जून को खत्म हो गया। अब राज्य सरकार इस नुकसान की भरपाई की राह तलाश रही है। छत्तीसगढ़ के वाणिज्यिक कर मंत्री टीएस सिंहदेव ने केंद्रीय वित्त मंत्री को इसके लिए पत्र भी लिखा है। सिंहदेव का कहना है, अगर केंद्र सरकार ने राह नहीं निकाली तो राज्य सरकार को वस्तुओं पर सेस (उपकर) लगाना होगा।
0.सिंहदेव ने केंद्र को दिए दो विकल्प
स्वास्थ्य, पंचायत, ग्रामीण विकास और वाणिज्यिक कर मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, हमने केंद्रीय वित्त मंत्री को लिखे पत्र में दो विकल्प रखे हैं। पहला यह कि राज्यों को GST क्षतिपूर्ति और 14% संरक्षित राजस्व को अगले पांच सालों के लिए जारी रखा जाए। और दूसरा- केंद्र और राज्य के बीच करों का बंटवारा जो अभी 50:50 के अनुपात में होता है उसे 80:20 अथवा 70:30 के अनुपात में बांटा जाए। इसका मतलब यह है कि अगर केंद्र सरकार राज्यों को नुकसान की भरपाई नहीं कर पा रही है तो करों का 70 से 80% हिस्सा राज्य को दे और शेष 20 से 30% हिस्सा खुद रखे।
सिंहदेव ने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो राज्यों को बहुत नुकसान होगा। वे अपने राज्य में विकास कार्यों और सामान्य कामकाज के संचालन के लिए भी केंद्र सरकार पर निर्भर हो जाएंगी। राज्य सरकारों ने कर लगाने का अधिकार पहले ही GST काउंसिल में निहित कर दिया है। ऐसे में एक ही विकल्प बचता है कि सरकार वस्तुओं पर सेस लगाए। यही राज्य के राजस्व का जरिया हो सकता है। इसका नुकसान यह होगा कि एक ही वस्तु की कीमत अलग-अलग राज्यों में बदल जाएगी।
0.छत्तीसगढ़ को 14 हजार करोड़ का नुकसान
सिंहदेव ने कहा, VAT से मिले राजस्व की तुलना में, छत्तीसगढ़ को 14 हजार 307 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो चुका है। यह हमारे छोटे राज्य के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। GST के तहत छत्तीसगढ़ को वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2 हजार 786 करोड़, 2019-20 में 3 हजार 176 करोड़, 2020-21 में 3 हजार 620 करोड़ और 2021-22 में 4 हजार 127 करोड़ का भारी राजस्व नुकसान हुआ।