1975 में देशवासियों पर थोपे गए आपातकाल से रूबरू होना जरूरी : भोजराज नाग

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The Duniyadari: कांकेर– वर्ष 1975 में आज ही के दिन तत्कालीन सरकार द्वारा सम्पूर्ण देश में आपातकाल (इमरजेंसी) लगाया गया था। इसके 50 वर्ष पूर्ण होने पर आज ‘संविधान हत्या दिवस’ के तौर पर मनाया गया। इस दौरान जिले के मीसाबंदियों के परिजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही आपातकाल पर परिचर्चा की गई।

इस अवसर पर छायाचित्र प्रदर्शनी के माध्यम से 1975 के आपातकाल के दौर को रेखांकित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में कांकेर लोकसभा क्षेत्र के सांसद भोजराज नाग तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर कांकेर विधानसभा क्षेत्र के विधायक आशाराम नेताम उपस्थित थे।

जिला पंचायत के सभाकक्ष में आज दोपहर 12.30 बजे आयोजित परिचर्चा में मुख्य अतिथि के आसंदी से सांसद नाग ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जहां संविधान सर्वोपरि है।

उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 1975 में तत्कालीन सरकार द्वारा देशवासियों पर अचानक थोपे गए आपातकाल के काले सच की सभी को जानकारी होना बेहद जरूरी है। 25 जून वह दिन है, जब लोकतंत्र के मूल्यों की हत्या हुई थी। सत्ता के लालच में नियम व कानून को ताक पर रखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए तत्कालीन सरकार ने पूरे देश में इमरजेंसी लगा दी।

सांसद नाग ने बताया कि इसका विरोध करने वाले जनप्रतिनिधियों, देशवासियों और मीडिया संस्थानों की आवाज को दबाया गया तथा उन्हें जेल में डाल दिया गया। लोगों को जबरदस्ती नसबंदी कराई गई। उन्होंने जिले के मीसाबंदियों को श्रद्धांजलि देते हुए देश के संविधान का पालन एवं अनुसरण करने की बात कही।

विशिष्ट अतिथि नेताम ने अपने उद्बोधन में कहा कि 1975 में लगाए गए आपातकाल का दंश पूरे देश ने झेला। इसके विरोध में उठने वाले स्वर को क्रूरतापूर्वक दबाया गया। इसके विरूद्ध आगे आने वाले शीर्ष नेताओं एवं आम जनता को चिन्हांकित करके जेलों में डाल दिया गया।

नेताम ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री मोदी ने इस काले सच को सामने लाने का प्रयास किया, जिससे हमें व आने वाली पीढ़ी को अवगत होने की जरूरत है। इस अवसर पर कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती किरण नरेटी, नगरपालिका कांकेर के अध्यक्ष अरूण कौशिक तथा नागरिक महेश जैन ने भी 25 जून 1975 में लगाए गए आपातकाल पर आधारित परिचर्चा ‘संविधान की हत्या’ विषय पर अपने-अपने विचार प्रकट किए।

आपातकाल के दौरान पिता 19 महीने तक जेल में रहे: सुमन शर्मा

संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार आज ‘आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर संविधान हत्या दिवस’ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आपातकाल पर आधारित वीडियो का प्रदर्शन किया गया, साथ ही जिला पंचायत के परिसर में छायाचित्र प्रदर्शनी लगाई गई तथा गोष्ठी सह परिचर्चा का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में उपस्थित मीसाबंदी के परिजनों को शॉल एवं श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया। मीसाबंदी स्व. रामप्रेम दुबे की पुत्री श्रीमती सुमन शर्मा ने बताया कि वह सिर्फ ढाई साल की थीं जब उनके पिता को मीसा एक्ट के तहत बंदी बनाया गया।

घर के इकलौते कमाऊ सदस्य को अचानक जेल में डाल देने से पूरे परिवार के समक्ष जीविकोपार्जन की समस्या आ गई थी। श्रीमती शर्मा ने बताया कि उनके पिता को मीसा एक्ट के तहत 19 माह तक जेल में रहे। इसी तरह मीसाबंदी स्व. मुरलीधर वर्मा की पत्नी श्रीमती पुष्पादेवी वर्मा ने बताया कि उनके पति को पुलिस द्वारा तब बंदी बनाया गया, जब वे भोजन कर रहे थे। उन्हें जेल में अनेक तरह की यातनाएं दी गईं।

आपातकाल के दंश से उनका परिवार काफी लंबे समय तक प्रभावित रहा। उल्लेखनीय है कि जिले में मीसा एक्ट के तहत कुल चार लोगों को बंदी बनाया गया था, जिनमें स्व. त्रिलोक सिंह, स्व. स्वदेश रंजन गुहा, स्व. मुरलीधर वर्मा तथा स्व. रामप्रेम दुबे शामिल थे।

कार्यक्रम में जिला पंचायत सीईओ हरेश मंडावी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमती तारा ठाकुर, पूर्व विधायक श्रीमती सुमित्रा मारकोले सहित जनप्रतिनिधिगण, अधिकारी-कर्मचारी व महिलाएं उपस्थित थीं।