कोरबा। जिले के केन्द्रीय विद्यालय क्र.02 एनटीपीसी कोरबा में कक्षा 4 में अध्ययनरत छात्रा ईशिता कश्यप ने राष्ट्रीय स्तर की कथक नृत्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर कोरबा जिला सहित छ.ग. का नाम रौशन किया है। विगत 10 जून 2022 से 12 जून 2022 तक देश के प्रतिष्ठित ‘‘नृत्य धाम कला समिति’’ (सह संयोजक वैदिक यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा एवं हिंदुस्तान आर्ट म्यूजिक सोसायटी) भिलाई दुर्ग के तत्वाधान में आयोजित ‘‘प्रतिभा परिज्ञान महोत्सव’’ अंतर्गत संगीत नृत्य की सपर्धा आयोजित की गई। जिसमें जिले की बेटी कुमारी ईशिता कश्यप ने ‘‘जुनियर ग्रुप’’ में उत्कृष्ठ प्रदर्शन करते हुये प्रथम स्थान प्राप्त किया। विगत दिनों मई में पूणे में आयोजित 18 वीं ‘‘कल्चरल फोरम ऑफ परफार्मिंग आर्ट’’ अंतर्गत संगीत नृत्य की सपर्धा में भी बालिका ने प्रथम स्थान प्राप्त कर 13 से 16 अगस्त को दुबई में आयोजित दसवीं ‘‘कल्चरल फोरम आफ परफार्मिंग आर्ट’’ प्रतियोगिता में भाग लेने अपना स्थान बनाया है। इस नन्ही सी बालिका को इसके पहले भी राष्ट्रीय स्तर पर कई बार पुरस्कृत किया जा चुका है। इनकी माता श्रीमती अनिता कश्यप और पिता श्री रघुनंदन कश्यप ने बचपन में ही इनके नृत्य के प्रति गहरी रुचि को पहचानते हुये इन्हे महज 4 वर्ष की उम्र से ही नृत्य गुरु मोर ध्वज वैष्णव के सानिध्य में भेजा। वर्तमान में ये कत्थक नृत्य की तालीम प्रसिद्ध तबला वादक एवं कत्थक नृत्य गुरु तालमणी श्री मोर ध्वज वैष्णव से हासिल कर रही है। नन्ही सी इस बालिका ने कोरबा के साथ-साथ छ.ग. का भी मान बढ़ाया हैं, इनकी इस उपलब्धि से इनके गुरु, माता-पिता एवं सभी संबंधियों ने इनकी उज्जवल भविष्य की कामना की हैं।
भारत की नृत्य शैली विश्व में अनुकरणीय मोर ध्वज वैष्णव‘‘तालमणी’’ कत्थक नृत्य गुरु प्रसिद्ध तबला वादक ने बताया कि भारतीय नृत्य विशेष कर कत्थक नृत्य को भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय है। आज पाश्चात्य के प्रभाव से संगीत और नृत्य के क्षेत्र में ह्रास दिखाई देता है। कत्थक नृत्य शुद्ध शास्त्रीय शैली है। इसके शुद्ध रुप को बचाकर रखने की आवश्यकता है। ऐसे में इस तरह के आयोजन से भारतीय संस्कृति की विश्व में पहचान होती है तथा जनमानस भी इसे सीखने-सिखाने की ओर आकर्षित होेते है। देश की यह गौरवशाली धरोहर हैं। जिसमें पारंगत होकर ईशिता कश्यप इसे अगली पीढ़ी तक ले जाने में मेहनत कर रही हैैं। इनमें पर्याप्त संभावनाए है। हमें अपने बच्चों को भारत की सांस्कृतिक धरोहर को जानने समझने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।