आर एस एस का मंथन :- इतना मक्खन ,कितना जहर?

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रायपुर।पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में आर एस एस की एक अहम बैठक हुई जिसमें भाग लेने आए आर एस एस प्रमुख 6 दिन छत्तीसगढ़ प्रवास पर रहे आर एस एस के जुड़े 36 अनुषांगिक संगठनों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया इस बैठक से निकला क्या????? यह अभी भी रहस्य है !!!पत्र-पत्रिकाओं में वही चीज आई जो आर एस एस ने बाहर बताई,,,!!! पर आर एस एस की समन्वय बैठक, विचारों का आदान-प्रदान या परिचर्चा या संगोष्ठी की तरह भाषणों से भरी नहीं रहती बल्कि समन्वय की बैठक संगठन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए बाकी अनुषांगिक संगठनों की भूमिका और उस प्लान पर केंद्रित होती है जिसे आर एस एस आने वाले दिनों में इंप्लीमेंट करेगी,!! , वैसे और बाकी संगठनों से अलग आर एस एस की बैठक की संरचना और निर्णायक मसौदा बनने की प्रक्रिया काफी अलग है इसलिए बातें सामने नहीं आ पाती,,,,इस तरह की बैठक में हिस्सा लेने वाले अनुषांगिक संगठनों के प्रमुखों को भी पता नहीं होता कि उनके संगठन के संबंध में क्या निर्णय हुआ है या उनके अनुषांगिक संगठन की नई कार्ययोजना किस तरह की है,, वैसे तो इन सब बातों की जानकारी खबरों में आने का मैं इंतजार कर रहा था लेकिन अब तक ऐसी कोई पहल नहीं देखने को मिली तो मैंने ही अलग अलग स्रोत से मिली जानकारियों को एकत्र कर प्रस्तुत करने की कोशिश की है,,,

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कुछ राज़ वो खोल गए ,,कुछ दीवारें बोल गई,,, कुछ हवाओं ने बताया कुछ इशारों ने समझा दिया,,,😊😊

तो जो कुछ मुझे समझ में आया वह कुछ इस तरह से है कि r.s.s. अपनी कार्यशैली में एक बड़ा परिवर्तन करने जा रहा है संगठन का कब तक का ढांचा गोपनीय कार्यशैली वाला और काफी कुछ लोगों से छिपा हुआ था,,, पर अब परिस्थितियां दूसरी हैं प्रचार माध्यमों और विपक्षी हमलों ने r.s.s. को लोगों के सामने ओपन कर दिया है अब उसकी कार्यशैली, कार्य, एजेंडे, अनुषांगिक संगठनों की भूमिका और काम करने वाले प्रमुख लोग सार्वजनिक हैं लगातार कांग्रेस कम्युनिस्ट और छोटे प्रादेशिक विपक्षी दलों के हमलों की वजह से संगठन की छवि भी अब काफी धूमिल किया है इसलिए छत्तीसगढ़ में होने वाली समन्वय की ये बैठक काफी अहम रही,,,! जिसमे आर एस एस को अपनी कार्य पद्धति को परंपरावादिता से बदलने जा रही है जिसका असर इसी साल से दिखने भी लगेगा ,,,

तो रायपुर की हुई बैठक में हुआ यह कि आर एस एस की समन्वय समिति की बैठक के एजेंडे पहले अलग से तय निर्णायक डोलियों के द्वारा ग्रुप डिस्कशन कर तैयार किए गए हैं निर्णायक टोली एक तरीके से स्मॉल एक्शन ग्रुप की तरह होते है ,,उन निर्णायक टोलियों के द्वारा अनुषांगिक संगठनों के काम को समय और वर्तमान देश काल परिस्थिति के हिसाब से असंगत अव्यवहारिक माना गया था,,
इसलिए नीति वही नीति के क्रियान्वयन में बदलाव के पहलुओं पर चर्चा की गई,,
अपुष्ट सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक आर एस एस की समन्वय समिति की बैठक में जिन प्रमुख बातों को जोर रहा है

1 हिंदुत्व के लिए गैर धार्मिक मुहिम

2 अपनी छवि से बाहर निकलना

3 विरोधियों में विचारधारा का प्रसार

4 परंपरावादी कार्यशैली का धीरे धीरे त्याग

अब एक-एक करके बिंदुओं को समझते हैं तो

1 :- हिंदुत्व विचारधारा के लिए गैर धार्मिक मुहिम :-
आर एस एस इस बात को भलीभांति समझ चुका है कि अब हिंदुत्व और धार्मिकता को अलग अलग करना होगा स्थिति में धार्मिकता पर्याप्त तेजी पकड़ चुकी है और यह काम धर्मगुरुओं और धार्मिक क्रियाकलापों के द्वारा और तेज होगा,,,! सोशल मीडिया इसमें और मदद कर रही रहा है ऐसे में इस तरीके के कामों को संगठन के द्वारा किए जाने से धार्मिक क्रियाकलाप और हिंदुत्व ,,,राजनीति का हिस्सा प्रतीत हो रहे है और इसीलिए r.s.s. ने अब एक बड़ा बदलाव करते हुए हिंदुत्व के स्थापना के अपने उद्देश्य में गैर धार्मिक टूल्स या कार्यशैली का उपयोग करने की तैयारी की है बताया यह जा रहा है कि धर्म भगवान देवता या धार्मिक प्रतीकों के जरिए हिंदुत्व को स्थापित करने की मुहिम को सफल करने में मुश्किल है इसीलिए हिंदुत्व की जीवन शैली को अपनाए जाने पर जोर देते हुए प्रयास किए जाएंगे जिसमें जल्दी उठना ,योग् अभ्यास, नृत्य स्नान, शाकाहार , सात्विक भोजन,,भारतीयवास्तुकला और वास्तुशास्त्र, बाल्य काल मे लालन पालन,,विवाह , जाति बंधन , स्वस्थ्य उपचार और आस पास पर्यावरण की रक्षा , आयुवेद प्राकृतिक चिकित्सा ,, नैतिक शिक्षा , भारतीय संगीत , और सनातनी सिद्धांतों का वैज्ञानिकीकरण का लोग तक पहचाना जैसे कामों पर जोर रहेगा कुंल मिलाकर बिना धार्मिक देवी देवताओं का सहारा लिए हिंदुत्व की लाइफ स्टाइल को लोगों तक पहुंचाना ,, जिससे हिंदू धर्म से अलग पंच समुदाय या दूसरे धर्म के लोग भी बिना धार्मिक बंधन के हिंदुत्व को फ्लॉवर हो जायेगे ,, जो वर्तमान की धार्मिक क्रांति से संभव नहीं है इसलिए बिना धर्म के सहारा लिए लाइफ़स्टाइल को लोक व्यवहार में लाना आर एस एस का एजेंडा होगा ,,, जैसे मुस्लिम ईसाई या दूसरे गैर हिंदू बिना अपनी धार्मिक मान्यता को छोड़ें लाइफस्टाइल में परिवर्तन लाये

2 छवि से बाहर निकलना :-

आर एस एस की समन्वय बैठक में इस बात को लेकर आज चिंता व्यक्त की गई कि आर एस एस की छवि पिछले कुछ सालों में एक कट्टरपंथी संगठन के रूप में बनाई जा रही है साथ ही इसके पथ संचलन और लाठी धारण करने को स्वयंसेवक को एक गुंडे की छवि के रूप में भी पेश किया जा रहा है,, महिला विरोधी होना ,नेतृत्व चयन में पारदर्शिता नहीं होना ,शाखाओं में धार्मिक भेदभाव पैदा करना, जैसे भम्र आर एस एस तोड़ना चाहती है बार बार विपक्षी दलों के निशाने में आर एस एस के आने से भी छवि को नुकसान होने पर महसूस किया गया है ऐसे में छवि को तोड़ने के लिए समाजसेवी कार्यों के साथ आम लोगो मे घुलने मिलने का मंत्र दिया गया है,, इस छवि से बाहर निकलना और नहीं समाजसेवी छवि तैयार करने के साथ राष्ट्रभक्त स्वरूप स्थापित करना प्रमुख एजेंडा होगा

3 विरोधियों ने विचारधारा का प्रचार :-

आर एस एस को अब तक अपनी विचारधारा के कट्टर और अपनी विचारधारा की क्रियान्वयन के लिए अपने समर्थक वर्ग को ही चुनने की परंपरा वाला माना जाता है लेकिन आर एस एस अपने आगामी कार्यक्रमों में इस बात को भी प्रमुखता से शामिल करेगा कि विरोधियों ने भी अपनी विचारधारा को फैलाया जाए इसके लिए अपने विचारधारा के सबसे स्वीकार्य एजेंडे को आगे रखकर है काम करने का फैसला लिया गया है खास कर इसका मकसद विरोधीयो में साफ्ट कार्नर पैदा करना है ताकि जिन बातों पर सहमति हैं उन पर विरोधी भी काम करें जिससे आर एस एस के एजेंडे के ही पूर्ति होगी,,
इस एजेंडे के तहत विरोधियों का दिल जीतने के साथ विरोधियों को अपने ऐसे एजेंडे में काम करने के लिए भी आर एस एस मजबूर कर सकेगी जिसने वो सहमत है ,,
अपने देश की पूर्ति के लिए केवल एक राजनीतिक दल पर निर्भर नहीं रहना चाहता है और इसीलिए उसकी कोशिश हर दल में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने की हो गई है,, इसके लिए नेताओं को टारगेट किया जाएगा पार्टी और नेताओं के थिंक टैंक को सहमत करने का प्रयास तेज होगा

4 परंपरावादी कार्यशैली का त्याग:-

RSs इस बात को भलीभांति जानती है कि अगर समय पर कार्य शैली में परिवर्तन नहीं किया गया तो संगठन के ढांचे पर इसका असर होगा इसलिए अपने आप को आर एस एस ने परिवर्तनशील रखा है इस एजेंडे पर भी इस बैठक में चर्चा हुई और यह तय किया गया कि परंपरागत कार्यशैली काफी पुरानी है और आज के समय में इसके जरिए लक्ष्य की प्राप्ति संभव नहीं इसलिए वर्तमान परिस्थिति के हिसाब से कार्य शैली में परिवर्तन किया जाएगा भाजपा की तरह कार्य करने वाले यंग स्वयंसेवकों के जरिए काम कराना हो कौन दिशा निर्देश मार्गदर्शन के लिए रखने जैसी पॉलिसी अपनाने और सहमति बनी है बताया जा रहा है कि कंप्यूटर का प्रयोग आधुनिक माध्यमों का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा हो इस पर चर्चा हुई है,,
कुंल मिला कर विचारधारा के सदस्य और संस्थागत स्वरूप को बदल कर मैन टू मैन मार्किंग कर विचारधारा के क्रियान्वयन की रणनीति बनी है,,,,,,
वैसे तो चर्चा के कई बिंदु रहे निर्णायक टोली ने तो 3 दिन में अलग-अलग करीब 84 बिंदु तय किए थे जिसमें 8 बड़े प्रेजेंटेशन भी थे लेकिन मूल रूप से समन्वय समिति कई निर्णायक फैसले थे जिसका असर हमें आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा जिसमे से ऊपर बताए गए चार बिंदु ही थे जिससे बदली हुई आर एस एस दिखाई देगी,,,

मोहन तिवारी , रायपुर