हेडमास्टरों के प्रमोशन में झोलझाल, काउंसलिंग के बहाने जेब भरने वालोें को मनचाही जगह, इंकार करने वाले डिमोशन का शिकार

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0 कलेक्टर जनदर्शन में लोजपा जिलाध्यक्ष आरके दुबे ने शिकायत कर कोरबा जिला शिक्षा विभाग पर लगाए गंभीर आरोप, हेडमास्टर की पदोन्नति-पदांकन में व्यापक भ्रष्टाचार पर जांच-कार्रवाई व एफआईआर दर्ज करने की मांग की

कोरबा। सरकारी स्कूलों के सहायक शिक्षकों को हेडमास्टर के पद पर प्रमोशन और मनचाही जगह पर पदस्थापना को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी जीपी भारद्वार पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जनदर्शन में कलेक्टर से की गई शिकायत में दावा किया गया है कि डीईओ ने काउंसलिंग की आड़ में जमकर भ्रष्टाचार किया। पदोन्नति व पदस्थापना के लिए मनचाही जगह पाने मुंह मांगी रकम दी गई। जिस शिक्षक ने अफसरों की जेब भरने में असमर्थता जताई, उसे डिमोशन का तोहफा दिया गया। शिकायकर्ता ने ऐसे भ्रष्ट अफसरों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। यह शिकायत जनशक्ति पार्टी के जिलाध्यक्ष राजकुमार दुबे ने की है। इस मामले में अन्य शिक्षा संभागों की तर्ज पर कोरबा में भी जांच और कार्रवाई की मांग जिला प्रशासन से की है।
लोजपा के कोरबा जिलाध्यक्ष राजकुमार दुबे द्वारा की गई शिकायत के अनुसार जिले में विगत दिनों सहायक शिक्षक से प्राथमिक शाला प्रधान पाठक पद पर हुई पदोन्नति-पदांकन की प्रक्रिया को पूर्व कलेक्टर ने निरस्त कर दिया था। इसके बाद काउंसलिंग की प्रक्रिया में जिला शिक्षा अधिकारी जीपी भारद्वाज द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया गया। इसकी शिकायत मंगलवार को जनदर्शन में साक्ष्य के साथ की गई। शिकायतकर्ता ने बताया कि बच्चों के भविष्य के प्रति लापरवाह, गैर जिम्मेदार जिला शिक्षा अधिकारी के भ्रष्टाचार में शामिल होने का प्रमाण इससे भी मिलता है, कि बड़ी संख्या में कोरबा जिले के शिक्षकों की पदोन्नति व पदस्थापना कुछ माह पहले की गई, लेकिन उसके बाद भी जिले के लगभग दर्जनों स्कूल शिक्षक विहीन व लगभग दो सौ की संख्या में स्कूल एकल शिक्षकीय रह गए हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है, कि जिन शिक्षकों ने जिला शिक्षा अधिकारी को मुंह मांगी रकम घूस के रूप में दिया, उन्हें मुंह मांगे स्थान पर पदोन्नति कर स्थापना दी गई। इसका असर यह हुआ कि कई स्कूल शिक्षक विहीन और कई स्कूल एकल शिक्षकीय हो गए, जबकि एचसी बिलासपुर के आदेश व छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देश में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख है, कि शिक्षक विहीन व एकल शिक्षक स्कूल को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों की पदोन्नति-पदस्थापना की जाए। उसके बाद भी जिला शिक्षा विभाग द्वारा सारे नियम-कायदे, निर्देश-आदेश व शासन की नियमावली को ताक पर रखकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए ही संभवत: शिक्षकों की पदोन्नति व पदस्थापन मुंह मांगी जगह पर कर दी गई।

जो एकल शिक्षकीय थे, वे शिक्षकविहीन स्कूल हो गए

शिकायतकर्ता दुबे ने यह भी दावा किया है कि आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में सहायक शिक्षकों की पदोन्नति-पदांकन बिना काउंसलिंग के ही कर दी गई। इस खेल मेें ंहुए जमकर भ्रष्टाचार इससे भी प्रमाणित होता है, कि कुछ स्कूल जो एकल शिक्षकीय थे, उन्हें शिक्षक विहीन कर दिया गया और कुछ स्कूलों को एकल शिक्षकीय कर दिया गया। इतना ही नहीं, सहायक संचालक जिला शिक्षा विभाग कोरबा द्वारा बाकायदा शिक्षक का नाम, स्कूल का नाम, जहां पर स्थापना करना है, लिखकर कूपन जारी कर दिया गया। दूसरी ओर संचालक लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ के द्वारा आदेश में स्पष्ट उल्लेख है, कि यदि पदांकन में किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि पाई जाती है, तो उसके जिम्मेदार जिला शिक्षा अधिकारी-संयुक्त संचालक होंगे, कोरबा जिले में पदोन्नति-पदांकन आदेश को तत्कालीन कलेक्टर कोरबा के द्वारा यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया था, कि यह त्रुटि पूर्ण है, उसके बावजूद जिम्मेदार जिला शिक्षा अधिकारी पर कोई कार्यवाही ना होना, भी कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार में उच्च पदस्थ अधिकारी का होना भी प्रतीत होता है। शिकायत के अनुसार डीईओ भारद्वाज द्वारा काउंसलिंग कमेटी स्वयं बनाई गई, जिससे पदोन्नति और पदस्थापना में भ्रष्टाचार प्रमाणित होता है। जब उस कमेटी में स्वयं को अध्यक्ष घोषित कर लिया गया और कमेटी में शामिल काउंसलिंग कर्ता काउंसलिंग में शामिल होने योग्य न होने के बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी की मेहरबानी से शामिल किया गया। 3 दिन की चली काउंसलिंग अवधि में कई दिन अध्यक्ष की अनुपस्थिति में ही काउंसलिंग कराई गई और वह भी मान्यता पूर्ण मानी गई है, जबकि इसे किसी भी स्थिति में इसे जायज नहीं ठहराया जा सकता।

अगले एक हफ्ते में करें अव्यवस्थाएं दूर, नहीं तो हाईकोर्ट में दायर करेंगे याचिका

शिकायतकर्ता का कहना है कि नियम-कायदों को ताक पर रखकर एक ही स्कूल में दो-दो प्रधान पाठकों की पदस्थापना कर दी गई। कुछ शिक्षकों के अनुसार जो शिक्षा अधिकारी की जेब नहीं भर सके, उन्हें नियम विरुद्ध डिमोशन करते हुए, अन्य स्कूलों में पदस्थापना आदेश जारी कर दिया गया, जबकि उन शिक्षकों का मामला तत्कालीन समय में हाई कोर्ट में लंबित था। वह शिक्षक अपने स्कूल में वरिष्ठता श्रेणी में था, उसके बावजूद उसके नीचे के शिक्षक को उसी स्कूल में प्रधान पाठक बना दिया गया। शिकायतकर्ता ने मांग की है कि जिन शिक्षकों की काउंसलिंग आज पर्यंत नहीं कराई गई है, उनकी काउंसलिंग तत्काल कराते हुए शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय स्कूल में पदस्थापन सुनिश्चित की जाए। बच्चों के भविष्य से हो रहे खिलवाड़ की रोकथाम के साथ इस लापरवाही और मनमानी के लिए अधिकारियों पर कार्रवाई कर भरपाई भी की जाए। यदि एक सप्ताह के अंदर पदोन्नति-पदस्थापन मे गड़बड़ी व बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई करते हुए शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना व यथासंभव एकल शिक्षकीय स्कूलों में बहु शिक्षकीय स्कूलों से शिक्षकों का हस्तांतरण कर बच्चों को अनुकूल शिक्षा देने की व्यवस्था नहीं की गई, तो इसकी शिकायत छत्तीसगढ़ शासन व भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय में किए जाने की चेतावनी दी गई है। बच्चों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए उच्च न्यायालय की शरण में जाने की चेतापनी भी शिकायतकर्ता राजकुमार दुबे ने दी है।