Breaking : कोरबा जिले के तीन विधानसभा में कांग्रेस का टिकट को लेकर पेच फंसा

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कोरबा। छतीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 90 में से 85 उम्मीदवारों के नाम धोषित कर दिए हैं जबकि कांग्रेस की सूची अभी तक सही प्रत्याशी चयन को लेकर अटकी हुई हैं.कांग्रेस सूत्रों से पता चला हैं कि कोरबा जिले के तीन विधानसभा सीट पर उलटफेर हो सकता हैं.कटघोरा के मौजूदा विधायक पुरुषोत्तम कंवर जो आदिवासी समुदाय से आते हैं और उस क्षेत्र के लोग इस बात पर अड़े हुए हैं कि जिले में दो आदिवासी और दो सामान्य सीट हैं लेकिन सामान्य सीट कटघोरा में कांग्रेस केवल आदिवासी को ही टिकट देती आ रही हैं जबकि सामान्य और पिछड़ा वर्ग के मतदाता करीब 85 प्रतिशत हैं तो मौका सामान्य वर्ग को दिया जाना चाहिये. इस संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे,छतीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा से अवगत कराया हैं. नेताओं का यह भी कहना हैं कि भाजपा ने कटघोरा क्षेत्र की जनसंख्या बल को देखते हुए पिछड़ा वर्ग के प्रेमचंद पटेल को मैदान में उतारा हैं.जिसका फायदा भाजपा को इसलिए मिलेगा क्योंकि सामान्य सीट से आदिवासी समुदाय को टिकट देने का क्षेत्र की जनता विरोध कर रही हैं. बता दे कि पुरुषोत्तम कंवर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी विधायक हैं और उनकी टिकट सीधे न काट कर आरक्षित सीट तानाख़ार से उन्हें टिकट देने की बात जोर पकड़ रही हैं. तानाख़ार के मौजूदा विधायक मोहित केरकेट्टा की सेवाएं संगठन के कार्यों के लिए ली जा सकती हैं. रामपुर विधानसभा से कांग्रेस से मोहिंदर कंवर (टीटू) का नाम अंतिम समय में पहले नम्बर से नीचे खिसक गया क्योंकि मोहिंदर मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग में पदस्थ हैं और चुनाव लड़ने की जो शर्ते होती हैं उसमें उनसे कहीं न कहीं चूक होने की बात की जा रही हैं और यही चूक फूलसिंह राठिया के लिए फायदेमंद हो सकती हैं.अब राठिया को कांग्रेस टिकट दे दे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. हालांकि मोहिंदर कंवर ने अभी हार नहीं मानी हैं और पार्टी के नेताओं के समकक्ष अपना पक्ष रख रहे हैं. कटघोरा से पुरुषोत्तम कंवर को पाली तानाख़ार सिप्ट किया गया तो यहां से रीना अजय जायसवाल या फिर हरीश परसाई की किस्मत खुल सकती हैं इन दो नाम मे से किसी एक को टिकट मिल सकती हैं. रीना जायसवाल पिछड़ा वर्ग और महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं इस वजह से इनको टिकट मिलने के चांस अधिक है.हरीश परसाई अपनी स्वच्छ छबि और संगठन में उनकी श्रेष्ठ कार्यशैली के कारण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत के काफी करीब हैं.इन नेताओं की चली तो हरीश परसाई को कांग्रेस की टिकट मिलने में शायद ही कोई दिक्कत हो.