Meet and talk : कप्तान की आत्मा, कतार से तार तार,काले हीरे को तराशने सक्रिय हुए “जौहरी”..शब्द बाण और चुनाव में हार ,एक्शन में ईडी…

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कप्तान की आत्मा कतार से तार तार…

 

हास्य कवि अशोक चक्रधर की कविता की ये पंक्ति “डंडे में जोर है क्योंकि डंडा कठोर है..” कड़क कप्तान पर सटीक बैठता है। किस्सा देश की शान कहे जाने एल्युमिनियम नगरी में लगातार लगने वाले जाम की है। साहब जब भी घर से निकलते हैं भारी वाहनों की लंबी-लंबी कतारों से उनकी आत्मा तार तार हो जाती है। हर बार बालको प्रबंधन को सुधरने की सीख औऱ विभाग को यातायात सुधार  करने की बात कहते रहे। उनकी बातों को प्रबंधन और विभाग दोनों हवा में उड़ाता रहा।

कड़क कप्तान जब जाम में फंसे तो सड़क पर उतरकर लाठी भांज दी। जब लाठी चलती है तो लाठी किसे पड़ रही है ये तो मार खाने वाला ही बता सकता है। खबरीलाल की माने तो डंडा चल रहा था, इसी बीच एक अफसर का भी कंधा सूज गया।

फिर क्या था एल्युमिनियम नगरी की खबर प्रदेश के अफसरों तक पहुंचने लगी। आखिरकार उनके आकाओं के फोन घनघनाने के बाद स्थिति सामान्य हुई। साहब के डंडा भांजने के बाद प्रबंधन और विभाग के कायों में काफी बदलाव आया है। यातायात व्यवस्था सुधरने के बाद लोग कहने लगे है डंडे में जोर है क्योंकि डंडा कठोर है..!

 

काले हीरे को तराशने सक्रिय हुए “जौहरी”

 

सत्ता बदलते ही कोयले की नगरी के तस्करी करने वाले जौहरी प्रदेश स्तर पर पत्ते बदलने सक्रिय हो गए हैं। ये तस्करी करने वाले जौहरी वही हैं जो पिछली सरकार में एक गिरोह बनाकर कोयला खान से अवैध तरीके से कोयला का दोहन कर कोल माफिया बने। जो सरकार के कुछ सिपहसालार और खाकी के साथ सांठगांठ कर अकूत संपत्ति अर्जित कर शहर में डॉन की भूमिका निभा रहे थे। जब कोयला चोरी का मामला गूगल इंजिन में सर्च करने लगा तो ईडी की एंट्री हुई और फिर एक के बाद चोरी का पर्दाफाश हुआ।

इन्हीं काले हीरे के व्यापारियों के कारण सरकार पर लेवी वसूलने और  कोयला चोरी कराने जैसे गंभीर आरोप लगे। जो आज भी राजनीतिक गलियारों में भूचाल मचा रहा है। सरकार की लुटिया तो डूब गई,इसके बाद भी असली लुटेरों की गर्दन तक ईडी के हाथ नहीं पहुंच सके। जिसका फायदा उठाते हुए कोल माफिया अभी भी सीना ताने पाला बदलने और फिर से काला हीरा तराशने सक्रिय हो गए हैं।

कहा तो यह भी जा रहा है शहर के कोल माफिया आका की तलाश में राजधानी में डेरा डालकर बैठे हैं। वैसे चर्चा तो इस बात की जमकर हो रही है कि शहर में भाजपा विधायक बनते ही उन्हें साधने के लिए तस्कर जुट गए हैं। सूत्रों की माने तो कभी जेल में बंद तिवारी बंधु को अपने आका कहने वाले कोल माफिया पाला बदलकर धंधा करने की डील करने वाले हैं।

शब्द बाण और चुनाव में हार

“शब्द सम्हारे बोलिए, शब्द के हाथ न पाँव.. एक शब्द औषधि करे एक शब्द करे घाव।” कबीर के इस दोहे को आत्मसात करने वाले कांग्रेस के एक दिग्गज नेता हारी हुई बाजी को पलट कर बाजीगर बन गए तो दूसरी ओर उन्हीं के राजनीतिक शिष्य के शब्द भेदी बाण से बना बनायहां साम्राज्य हिल गया।

कहते हैं जिनका कद बड़ा होता है वे उतने सौम्य होते हैं। जिसका हर क्षेत्र में उदाहरण देखने को मिल जाएगा। चुनावी दांव पेंच और मतदाताओं के मन को पढ़ना कोई आसान काम नहीं है। टिकट के बाद जनमानस के मन को टटोलने जब खुद विधानसभा अध्यक्ष निकले तो मतदाताओं ने गुस्से से उनका स्वागत किया था। इसके बाद भी नेता जी बड़े स्मित मुस्कान के साथ लोगों की पीड़ा सुनकर उन्हें हाथ जोड़कर मना रहे थे।

नेता जी की यह युक्ति काम कर गई जो चुनाव से पहले हार मानने वाले कार्यकर्ताओं के मन में फिर जोश भर गया। परिणामस्वरूप परिणाम  पक्ष में रहा। यही नहीं 6 सीटो पर परचम लहराकर बता दिया कि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत..!

दूसरी ओर उनके शिष्य के लिए यह चुनाव उलटा रहा। टिकट के बाद चुनाव जीतने वाले कार्यकर्ता धीरे धीरे राजनीति की पिच से गायब होने लगे। नतीजा उनके कार्पोरेट के पेड एम्प्लाई मैदान में सिर्फ अटेंडेन्स लगाने और अपना सैलिरी बनाने के लिए जीत का सब्जबाग नेताजी को दिखाते रहे। जाहिर है गेंद पाले से निकल चुका था और बना बनाया साम्राज्य हिल गया। इसीलिए कहा गया है “शब्द सम्हारे बोलिए..,”

पाई पाई का हिसाब,यानि एक्शन में ईडी

 

ओडिशा में कांग्रेस सांसद धीरज साहू की तिजोरी से उगलते नोटों के बंडल की गर्मी छत्तीसगढ़ तक पहुंच रही है। उस पर भ्रष्ट्राचार के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सख्त लहजे से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मंत्री नेता और करीबी अफसरों के पसीने निकलने शुरु हो गए हैं।

कोयला परिवहन घोटाला, शराब घोटाला, पीएससी भर्ती घोटाला के बाद अब गोबर घोटला कीभी जांच  शुरु होने वाली है। जिसमें मंत्री नेता और अफसर सभी नपने को तैयार हैं। कांग्रेस राज में प्रदेश में सीबीआई की इंट्री बैन कर दी गई थी। एसीबी की जांच में भ्रष्ट्राचारी अफसरों की फाइलें पेंडिंग में लटकी पड़ी थी।

इन पेंडिंग फाइलों से धूल हटाने का काम शुरु हो गया है। मंत्रालय में खुसरफुसुर शुरु हो गई है कि कौन कौन नपने वाला है। फाइलें आते जाते देखकर अफसर चौंकने लगे हैं। पता नहीं किस फाइल में उनकी ​कुंडली निकल जाए और वो….

मुलाकात हुई,क्या बात हुई

 

छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनते ही पार्टी ने आदिवासी समाज के पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस को सकते में डाल दिया है। बीजेपी के इस दांव से कांग्रेस बैकफुट में चली गई। अब कांग्रेस को खुद आदिवासियों की हितैषी पार्टी बताने में पसीना निकल जायेगा।

लेकिन विष्णुदेव साय के सीएम मनोनित होने से छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज में सियासी समीकरण में भी बड़े उलटफेर होने की उम्मीद बढ़ गई है। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।

इसी साल 30 अप्रैल बीजेपी में आदिवासी समाज की उपेक्षा का आरोप लगाकर पार्टी छोड़कर कांग्रेस प्रवेश करने वाले पूर्व सांसद नंदकुमार कुमार साय कल देर रात मनोनीत सीएम विष्णुदेव साय को बधाई देने पहुना पहुंचे। जहां लंबे इंतजार के बाद कुछ सेकेंड के लिए उनकी मुलाकात विष्णु देव साय से हो पाई।

आदिवासी समाज के दो बड़े नेताओं की मुलाकात में क्या बात हुई,,इसकी जानकारी अभी तक अखबार नवीसों तक नहीं पहुंच पाई है। बात जो भी हो दो दिग्गज आदिवासी नेताओं की ये मुलाकात कहीं ना कहीं कांग्रेस को परेशान करने वाली है। जिसका असर लोकसभा चुनाव में दिख सकता है।

 ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा