रायपुर। राजधानी रायपुर के एक पेट्रोल पंप से आगजनी की घटना सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि पेट्रोल पंप की पार्किंग में खड़े वाहनों में अचानक से आग लग गई है। आग लगने की वजह का अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। आगजनी की घटना में तीन गाड़ियां जलकर खाक हो गई है। वहीं अभी तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका है।
दीनदयाल उपाध्याय नगर पुलिस थाना से मिली जानकारी के अनुसार पेट्रोल पंप की पार्किंग में खड़ी एक गाड़ी में अचानक आग लग गई, जिसके बाद वहां खड़ी तीन गाड़ियों तक आग फैल गई। अब आग लगने का कारण पता नहीं चल पाया है। मौके से आसपास की गाड़ियों को हटाया जा रहा है।
न्यूज डेस्क: देश में अलग-अलग राज्य में होली का त्योहार अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। मगर क्या आप जानते हैं छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का एक गांव ऐसा है जहां होली (Holi 2021) मनाने की एक अजीब से परंपरा है। यहां होली तो हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है, लेकिन यहां कभी भी होलिका दहन नहीं होता। जीहां हम आपको बता रहे हैं धमतरी गांव की इस अनोखी परंपरा के बारे में। यहां होली एक अलग अंदाज में मनाई जाती है। यहां 12वीं शताब्दि से होलिका दहन न करने का प्रचलन चला आ रहा है।
कैसे हुई शुरुआत
गांव के एक बुजुर्ग ने इस प्रथा के बारे में बताया कि 12वीं सदी में एक व्यक्ति तालाब का पानी रोकने गया था और उस रात उसकी मौत हो गई। यह बात जब उसकी पत्नी को पता चली तो वह सती हो गई, इसके बाद से ही इस गांव में उसे पूजा जाने लगा। आज तक जिसने भी गांव में सती माता को नाराज किया है उसकी जान चली गई है या फिर उसे अपनी जिंदगी में भारी कष्ट सहने पड़े हैं। इसी कारण गांव में होलिका दहन नहीं किया जाता। इस परंपरा को आज तक निभाया जा रहा है।
दशहरे में नहीं जलाया जाता रावण
ऐसा नहीं है कि इस गांव में होली का ही जलना मना है. गांव में न तो होली जलती है और न ही रावण जलाया जाता है। गांव में चिता को जलाना भी सख्त मना है। गांव के लोगों का कहना है कि अगर कोई ऐसे काम करता है को पूरे गांव में संकट आ जाता है और उस व्यक्ति को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में विभिन्न मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच बहस जारी है। बुधवार को भाजपा विधायकों ने सरकार को चुनावी घोषणा-पत्र पर घेरा। मितानिनों की प्रोत्साहन राशि ओर नर्सों की भर्ती के सवाल पर खूब हंगामा हुआ। नाराज भाजपा विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर गए।
प्रश्नकाल शुरू होते ही भाजपा विधायकों ने कांग्रेस के चुनावी घोषणा-पत्र का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आत्मसात जन घोषणापत्र में मितानिनों के संबंध में क्या घोषणाएं की गई थीं। उसमें से कितनी पूरी हुई हैं?
स्वास्थ्य मंत्री की अनुपस्थिति में जवाब दे रहे वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि मितानिनों को कमीशन के अतिरिक्त पांच हजार रुपया महीना मानदेय की घोषणा थी। वहीं पांच हजार नए मितानिनों की भर्ती की जाने की बात थी। सरकार की ओर से मानदेय के संबंध में कोई बात नहीं आई, जबकि नई भर्ती के संबंध में बताया गया, 1362 मितानिनों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें से 1199 की भर्ती की गई है।
भाजपा विधायक रंजना डीपेंद्र साहू ने पूछा कि कोरोना काल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 6 महीनों तक प्रोत्साहन राशि देने का आदेश दिया था, यहां मितानिनों को यह राशि क्यों नहीं दी जा रही है? मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, अभी तक तीन महीनों का भुगतान किया जा चुका है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने स्टाफ नर्सों की भर्ती का सवाल उठाया। जवाब में मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि यह प्रक्रिया जल्दी ही पूरी की जाएगी।
भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने घोषणा-पत्र में यूनिवर्सल हेल्थ केयर की बात की गई थी, वह लागू हो गई क्या? जवाब में मोहम्मद अकबर ने कहा, इसमें कई काम पूरे हो गए हैं, कुछ हो रहे हैं। इसके बाद विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया। सरकार पर घोषणापत्र को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया। वन मंत्री का कहना था कि घोषणा-पत्र के वादों का यह मतलब नहीं कि सब कुछ एक झटके से कर दिया जाए। सरकार इसे लेकर कटिबद्ध है और इसे पूरा किया जाएगा। भाजपा विधायक नहीं माने और सदन से बहिर्गमन कर गए।
जांजगीर-चांपा में वैंटिलेटर खरीदी की जांच होगी
भाजपा विधायक सौरभ सिंह के सवाल पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया, जांजगीर-चांपा जिले में 28 वैंटिलेटर की खरीदी की गई। इसके लिए 5 करोड़ रुपए व्यय हुए हैं। यह खरीदी कोटेशन मंगाकर की गई है।
सौरभ सिंह ने सवाल उठाया कि पिछले सत्र में जांजगीर-चांपा में 5 वेंटिलेटर होने की जानकारी दी गई थी तो शेष 21 वेंटिलेटर कहां गए? उन्होंने आरोप लगाया कि केवल दो कंपनियों से कोटेशन मंगाकर तीन अलग-अलग निर्माताओं के वैंटिलेटर अलग-अलग कीमतों पर खरीद लिए गए। उन्होंने जांच की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद मंत्री ने मामले की जांच कराने की घोषणा की है।
सरकार को नहीं मालूम विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाओं में कितने लोग बैठे
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर के सवाल पर उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने बताया, कोरोना काल में संचालित ऑनलाइन कक्षाओं की निगरानी के लिए तंत्र बना था। इन कक्षाओं में कितने लोग बैठे इसकी संख्या दे पाना संभव नहीं है। सरकार की ओर से बताया गया, प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालयाें में इस समय तीन लाख 67 हजार 99 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
छन्नी साहू ने उठाया अवैध शराब का मामला
कांग्रेस से खुज्जी विधायक छन्नी साहू ने राजनांदगांव में अवैध शराब की बिक्री का मामला उठाया। सरकार के दिए आंकड़ों का हवाला देकर कहा, सरकार ने उनके जिले में दुकान के काउंटरों की संख्या बढ़ाई है, उसके बाद भी 2021-22 में शराब की खपत कैसे कम हो गई।
जवाब में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा, सरकार लोगों को जागरूक कर रही है, इसकी वजह से यह गिरावट आई है। विधायक छन्नी साहू ने कहा, इसका मतलब यह भी है कि क्षेत्र में अवैध शराब की बिक्री बढ़ गई है। साहू ने कहा, महिला विधायक होने की वजह से महिलाएं उनसे अधिक उम्मीद करती हैं। सरकार इसको रोकने के लिए क्या कर रही है। जवाब में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि अवैध शराब रोकने के लिए लगातार कार्यवाही की जा रही है।
बिलासपुर। बिलासपुर में SECL के राजस्व निरीक्षक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने शव के पास से सुसाइड नोट बरामद किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि बीमारी से तंग आकर आत्महत्या कर रहा हूं। किसी का कोई दोष नहीं है। घटना सरकंडा थाना क्षेत्र की है।
जानकारी के अनुसार श्यामलाल पनिका पिता रन्नीलाल (59 साल) चिरमिरी स्थित SECL में राजस्व निरीक्षक के पद पदस्थ थे। बीते कुछ समय से उनकी तबीयत खराब चल रही थी। इसकी वजह से उनका अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा था। वे 4 मार्च को अस्पताल में भर्ती हुए और उन्हें 14 मार्च को डिस्चार्ज किया गया। वे हार्ट के पेशेंट थे और शुगर, ब्लड प्रेशर भी था।
श्यामलाल ने सरकंडा के विजयापुरम कॉलोनी में भी मकान खरीदा था। जहां रहकर उनका बेटा आशीष पढ़ाई कर रहा है। यहां रहकर उनके श्यामलाल अपना इलाज करा रहे थे। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद वे कॉलोनी में ही थे। सुबह आशीष कुछ सामान खरीदी करने के लिए बाहर निकला था। वापस आने पर देखा कि उसके पिता फंदे पर लटक रहे थे और उनकी मौत हो गई है। उसने इस घटना की जानकारी पुलिस को दी। जांच के लिए पहुंची पुलिस ने सुसाइड नोट बरामद किया है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
इधर, इस घटना के बाद आशीष ने पुलिस को बताया कि उसके पापा अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद ठीक थे। सामान्य बातचीत कर रहे थे। वे आत्महत्या कर लेंगे इसका बिल्कुल आभास नहीं था। मुझे पता होता तो मैं उन्हें अकेले छोड़कर कभी नहीं जाता।
आशीष ने इस घटना की जानकारी अपने परिवारवालों को भी दी। खबर मिलते ही परिजन चिरमिरी से बिलासपुर आने के लिए निकल गए हैं। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम के बाद उसे परिजन को सौंप दिया है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज रात 8:00 बजे प्रदेश के सभी विधायकों और गणमान्य नागरिकों के साथ बहुचर्चित फिल्म “द कश्मीर फाइल्स” देखने जा रहे हैं। इसके लिए राजधानी के रामा मैग्नेटो मॉल में PVR में आज रात 8:00 बजे के शो के लिए पूरा हॉल बुक किया गया है। मुख्यमंत्री के द्वारा इस शो में सम्मिलित होने के लिए सभी विधायकों और गणमान्य नागरिकों को निमंत्रण भेजा गया है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा के सभी सदस्यों को आमंत्रित करते हुए कहा कि चलो एक साथ जाकर फिल्म देखते हैं।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से सुरक्षाबलों की मुठभेड़ और पुलिसकर्मियों की शहादत के सबसे बड़ी घटना में शामिल मदनवाड़ा कांड में वर्तमान सरकार द़्वारा बनाई गई विशेष जांच आयोग की रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा में पेश की गई।
आयोग के चेयरमैन जस्टिस एसएम श्रीवास्तव ने तत्कालीन आईजी मुकेश गुप्ता को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है। बता दें कि 12 जुलाई 2009 को हुई मदनवाड़ा नक्सल मुठभेड़ में एसपी वीके चौबे समेत 29 पुलिसकर्मियों की शहादत हुई थी। आयोग ने तत्कालीन आईजी मुकेश गुप्ता की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कड़ी टिप्पणी की है।
जस्टिस श्रीवास्तव ने माना कि लड़ाई के मैदान में अपनाए जाने वाले गाइड लाइनों और नियमों के विरुद्ध काम किया गया। यही नहीं आईजी मुकेश गुप्ता ने शहीद एसपी वीके चौबे को बगैर किसी सुरक्षा कवच के आगे बढ़ने का आदेश दिया, और खुद एण्टी लैण्डमाइन व्हीकल में बंद रहे या फिर अपनी खुद की कार में बैठे रहे।
….बच सकती थी एसपी वीके चौबे की जान
जस्टिस एसएन श्रीवास्तव की अध्यक्षता में विशेष जाँच आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि, यह घटना घमंड का नतीजा है, जिसमें कलंकित, फूहड़पन और गैर जिम्मेदाराना ढंग से नेतृत्व किया गया। मुठभेड़ में किसी भी नक्सली को चोट नहीं आई, ना कोई हताहत हुआ। यह आईजी रहे मुकेश गुप्ता, जो कमांडर चीफ़ थे, की लापरवाही, कमियाँ और काहिलपन है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हताहतों की संख्या इसलिए बढ़ी क्योंकि कमांडर का कोई प्रदर्शन नहीं था। एसपी की चेतावनी के बाद भी एंबुस में भेजा गया। जाँच रिपोर्ट में कहा गया है कि आईजी ने चिल्लाकर एसपी को आगे बढ़ने पर मजबूर किया, यदि ऐसा नहीं किया जाता तो एसपी की जान बच सकती थी।
आईजी ने जानबूझकर मातहतों को खतरे में झोंका
जस्टिस एसएम श्रीवास्तव ने घटनास्थल पर मौजूद रहे पुलिसकर्मियों के बयानों का सूक्ष्मता से आंकलन करते हुए अपनी रिपोर्ट पेश की है। इसमें उन्होंने पाया कि आईजी मुकेश गुप्ता को यह स्पष्ट रूप से पता था कि नक्सली बड़ी संख्या में मौजूद हैं और अपनी पोजिशन ले चुके हैं। वे सब जंगल में छुपे हुए हैं, और वे रोड के दोनों साइड से फायर कर रहे हैं।
ऐसी परिस्थितियों में फोर्स को पीछे से ताकत देने के बजाय ताकि वह आगे बढ़े, उन्हें सीआरपीएफ और एसटीएफ की मदद लेनी ही थी। ड्यूटी पर रहने वाले कमाण्डर तथा उच्च अधिकारी को यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि वे इस तरह की कार्यवाही न करें जो कि उनके मातहतों को खतरनाक परिस्थितियों में डाल दे।
आयोग ने पाया कि मदनवाड़ा में बगैर उचित प्रक्रियाओं के और बगैर राज्य सरकार के अनुमोदन तथा एसआईबी की खुफिया रिपोर्टों के बावजूद भी पुलिस कैम्प स्थापित किया गया। उस कैम्प में कोई भी वॉच टावर नहीं था, कोई भी अधोसंरचनाएं नहीं थीं। वहां पर रहने का प्रबंध पुलिस वालों के लिए नहीं था। मदनवाड़ा के सीएएफ कर्मचारियों के लिए कोई भी टॉयलेट तक नहीं था। गवाह के साक्ष्य में यह बात प्रकाश में आई कि इस कैम्प का उद्घाटन भी तितर-बितर ढंग से करते हुए आईजी जोन ने सिर्फ एक नारियल फोड़कर कर किया था।
रायपुर।ताड़मेटला आगज़नी और स्वामी अग्निवेश पर हमला मसले पर गठित जाँच आयोग की रिपोर्ट ने ताड़मेटला मोरपल्ली तिम्मापुरम में ग्रामीणों के घरों को जलाने की घटना को तो स्वीकारा है लेकिन यह टिप्पणी की है कि -मकान किनके द्वारा जलाए गए इस संबंध में साक्ष्य नहीं है अतः आगज़नी के लिए किसी को भी ज़िम्मेदार नहीं कहा जा सकता है”
यह जाँच रिपोर्ट तत्कालीन एसएसपी शिवराम प्रसाद कल्लुरी को क्लीन चिट भी देती है।आयोग ने इस संबंध में आए मौखिक साक्ष्य को विश्वसनीय नहीं माना है।
मदनवाड़ा नक्सल हमला मामले में जस्टिस एस एन श्रीवास्तव ने पृथक से एक नोट लिखा है जिसमें तत्कालीन आईजी मुकेश गुप्ता के लिए लिखा है कि वे अपने जीवन के लिए डर रहे थे, और ठीक उसी समय उसने एसपी चौबे को अग्रिम हमले में ढकेल दिया। आईजी ज़ोन अपनी बुलेटप्रूफ़ कार में बैठे रहे और उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया जैसा कि उन्हें पुरस्कार देने के लिए दिए गए ब्यौरे में उल्लेखित किया गया।
कोरबा। पोड़ी उपरोड़ा के एसडीएम कौशल प्रसाद तेंदुलकर को अब कलेक्टर ने कटघोरा का एसडीएम बनाया है। उनके स्थान पर कटघोरा एसडीएम नंद जी पांडेय को पोड़ी उपरोड़ा भेजा गया हैं।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही डिप्टी कलेक्टर कौशल प्रसाद तेंदुलकर को पोड़ी उपरोड़ा का एसडीएम बनाया गया था। उसके बाद उसे जनपद पंचायत पोड़ी सीईओ का भी प्रभार सौंपा गया था। अब उनके प्रभार में एक फिर फेरबदल करते हुए कटघोरा का एसडीएम बनाया गया है।कलेक्टर रानु साहू ने प्रशासनिक व्यवस्था में कसावट लाने डिप्टी कलेक्टरों के मध्य प्रशासनिक अधिकारियों के मध्य फेरबदल किया है।
चंडीगढ़: आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता भगवंत मान (Bhagwant Man) सात साल से अलग रह रहे एक पिता और पुत्र के पुनर्मिलन का कारण बन गए हैं. दिलचस्प बात यह है कि इस भावनात्मक क्षण से पहले भगत सिंह के गांव खटकर कलां में मान के शपथ ग्रहण समारोह से पहले सुरक्षा व्यवस्था की गई है.
सात साल पहले घर से भागा था बेटा
फरीदकोट जिले के रहने वाले देविंदर सिंह का पुत्र जसविंदर सिंह सात साल पहले घर से भाग गया था. परिजनों ने उसे तलाश करने की काफी कोशिश की थी, लेकिन उसका पता नहीं चल सका था. इसके बाद थाने में उसकी गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया गया था.
इस तरह सामने आई असली पहचान
हालांकि, हाल ही में देविंदर के बेटे को शपथ ग्रहण स्थल पर कुर्सियां लगाते हुए देखा गया. दरअसल पंजाब सीमावर्ती राज्य हैं. जहां से पाकिस्तान अक्सर ड्रोन और अन्य गतिविधियों के चलते माहौल खराब करने की कोशिश करता रहता है. ऐसे में पंजाब के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह की गंभीरता को समझते हुए पुलिस सत्यापन के लिए हर शख्स की जानकारी जुटा रही थी और इसी एक्सरसाइज के दौरान जसविंदर की असली पहचान सामने आ गई. नवांशहर थाने के एएसआई बलविंदर सिंह ने उनके घर पर पूछताछ की तो पता चला कि उनका बेटा सात साल पहले घर छोड़कर चला गया था.
परिजनों ने जताई खुशी
परिजन खटकर कलां पहुंचे तो अपने बेटे से मिले. देविंदर खुद अपने बेटे को कार्यक्रम स्थल पर लेने पहुंचे और पुलिसकर्मियों का शुक्रिया अदा किया.
जसविंदर सिंह ने कहा कि वह पिछले पांच दिनों से समारोह स्थल पर काम कर रहा था. उससे पहले, मैं क्रॉकरी का काम करता था. मैं किसी कारण से नाराज था और इसलिए मैंने घर छोड़ दिया था.
दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में साल 2011 में एस्सार और माओवादियों के बीच पैसे की लेन-देन को लेकर पुलिस की कार्रवाई पर अब NIA की विशेष अदालत ने सोनी सोढ़ी सहित 4 को दोषमुक्त कर दिया है। इस मामले में पुलिस ने सोनी सोढ़ी समेत उनके भतीजे लिंगाराम कोड़ोपी, ठेकेदार बीके लाल और एस्सार महाप्रबंधक डीवीसीएस वर्मा को आरोपी बनाया था। इनके खिलाफ कोई ठोस सबूत पुलिस पेश नहीं कर सकी, जिसके बाद कोर्ट ने सभी को दोषमुक्त कर दिया है।
विशेष न्यायाधीश विनोद कुमार देवांगन, NIA एक्ट/अनुसूचित अपराध ने अपना फैसला सुनाते हुए पुलिस की जब्त बताई गई 15 लाख रुपए राशि ठेकेदार बीके लाला को लौटाने का भी आदेश दिया है।
जानकारी के मुताबिक, 8 सितंबर 2011 को दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा थाना प्रभारी उप निरीक्षक उमेश साहू को मुखबिर से सूचना मिली थी कि, ठेकेदार बीके लाला किरंदुल में स्थित एस्सार कंपनी की ओर से नक्सलियों को लिंगाराम कोड़ोपी एवं सोनी सोढ़ी के माध्यम से पालनार के साप्ताहिक बाजार के पास 15 लाख रुपए देने वाला है। इसी सूचना के आधार पर 9 सितंबर 2011 को थाना प्रभारी उप निरीक्षक उमेश साहू सादी वेशभूषा में पालनार के साप्ताहिक बाजार के आस-पास, पुलिया, जंगल में छिपे थे।
उसी दौरान ठेकेदार बीके लाला अपनी बोलेरो पिकअप वाहन से बाजार आया। जिसने यहां पहले से ही मौजूद लिंगाराम कोड़ोपी और सोनी सोढ़ी को 15 लाख रुपए निकाल कर लिंगा राम कोड़ोपी को दे रहा था। उसी समय पुलिस ने मौके पर पहुंच कर बीके लाला और लिंगा को पकड़ लिया। वहीं सोनी सोढी़ अफरा-तफरी का फायदा उठाकर बाजार की भीड़ में कहीं चली गई थी।
जानें पूरा मामला
दंतेवाड़ा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अंकित गर्ग ने प्रेस वार्ता में दावा किया था कि मौके पर बीके लाला एस्सार कंपनी की ओर से नक्सलियों को उनके कारोबार में किसी तरह की कोई रूकावट न आने दे, इस लिए बड़ी रकम कंपनी की ओर से नक्सलियों को दी जाती रही है। जिसे वह नक्सलियों को पहुंचाता रहा है।
इस बार एस्सार कंपनी के जनरल मैनेजर ने उसे नक्सलियों को पैसा पहुंचाने के लिए कहा था। इसलिए एस्सार कंपनी ने नक्सलियों को दिए जाने वाले कुल पैसों में से एक किस्त राशि 15 लाख रुपए आरोपी सोनी सोढ़ी एवं लिंगाराम कोड़ोपी के माध्यम से नक्सलियों को पहुंचाने आया था।