कोरबा। कांग्रेस के कद्दावर नेता, मंत्री और तीन बार के कोरबा विधायक रहे जयसिंह अग्रवाल एक ऐसे कुशल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने विश्वास मत में पैमाने से कम पार्षदों के होते हुए भी कांग्रेस का मेयर पद काबिज कर दिखाया था। तब वक्त अलग था, जो विरोधी पक्ष के पार्षदों ने भी राजकिशोर प्रसाद को मेयर चुनकर खुद विपक्ष स्वीकार कर लिया।
अब कोरबा विधानसभा के साथ प्रदेश की सत्ता भी भाजपा के हाथ है और अब वही पार्षद अपना विश्वास वापस लेने की तैयारी में हैं। मेयर की चेयर डोल रही है और नगर निगम की सत्ता हासिल करने शहर संग्राम जोर पकड़ता दिखाई दे रहा है। जिनकी मंशा पूरी कर जय ने विजय दिलाई थी, अब उन्हीं पार्षदों का शेयर घटते क्रम में है और ऐसे में महापौर पद पर कांग्रेस का राज बना रहेगा या कोई उलटफेर की स्थिति निर्मित होगी, इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में घमांसान मचा हुआ है।
शहर के राजनीतिक गलियारों में यही चर्चा हो रही है कि कांग्रेस अपने महापौर की कुर्सी बचा पाएगी? उड़ती खबरों के मुताबिक यह भी कहा जा रहा है कि कुछ कांग्रेसी पार्षद भी अपने मूल व्यवसाय को बचाने पार्टी का दामन छोड़ सरेंडर होने को भी तैयार हो चुके हैं और अगर यह सुनी सुनाई खबर सच हो गया तो अल्पविश्वास को आधार बनाकर लाया जाने वाला अविश्वास का प्रस्ताव कारगर भी साबित हो सकता है।
अगस्त में कलेक्टर को सौंपा गया था अविश्वास प्रस्ताव
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बदलने के बाद से ही भाजपा की नजर नगर निगम सरकार पर टिक गई है। उधर राजधानी रायपुर तो इधर ऊर्जाधानी कोरबा में नगर निगम के महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की सुगबुगाहट फिर से तेज हो गई। इससे कोरबा में मेयर राजकिशोर प्रसाद की कुर्सी खतरें में आ सकती है। आपको बता दें कि इसी साल अगस्त महीने में 30 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव कलेक्टर को सौंपा था। अब राज्य में बीजेपी सरकार बनने पर फिर से इस प्रस्ताव पर बीजेपी पार्षद दल दोबारा पत्राचार करने की तैयारी में है। बीजेपी पार्षद दल का दावा है कि उनके संपर्क में 40 से 45 पार्षद हैं।