Friday, March 29, 2024
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Korba : प्रबंधन द्वारा सुरक्षा की उपेक्षा…बगदेवा कोल माइंस में हादसा…डेटोनेटर फटने से दो श्रमिक गंभीर रूप से घायल

कोरबा। Korba: एसईसीएल की बगदेवा कोल माइंस में डेटोनेटर फटने से दो श्रमिक घायल हो गए हैं। इससे पहले जहरीली गैस रिसाव के कारण तीन श्रमिको की मौत हुई थी। इसके बाद भी प्रबंधन सुरक्षा के मापदंड का खुलेआम उलंघन करते दिख रहा है। सोमवार को हुई जीवन से खिलवाड़ करती दुर्घटना सुरक्षा की घोर अनदेखी का दुष्परिणाम है।

बता दें कि एसईसीएल प्रबन्धन सिर्फ और सिर्फ कोयला उत्पादन पर जोर दे रहा है।जिसके कारण खदान में मौत को आमंत्रण देती दुर्घटनाओं में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। बताते चले कि सोमवार को बगदेवा कोल माइंस में  द्वितीय पाली में लगभग 6:00 बजे 64LN/8D फेस की ड्रिलिंग के दौरान कोयला निकालने के लिए लगा डेटोनेटर मिसफायर पर ड्रिलिंग हो गया और डेटोनेटर फट गया। जिससे श्रमिक कौशल प्रसाद यूडीएम ऑपरेटर और विजय यूडीएम सहायक दोनों गंभीर रूप से हो गए। घायलों के प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अपोलो अस्पताल बिलासपुर रेफर किया गया है।

कैसे काम करता है डेटोनेटर

कोल माइंस में कोयला निकलने के लिए माइनिंग सरदार के मार्गदर्शन में कोयले की चट्टानों को तोड़ने के लिए डेटोनेटर लगाया जाता है। सुरक्षा की दृष्टि से जो डेटोनेटर मिसफायर कर जाता है, उस क्षेत्र को विशेष रूप से चिन्हांकित किया जाता है, जिससे भविष्य में कोयला निकालने में लगे श्रमिक सुरक्षित रूप से काम कर सके लेकिन बगदेवा कोल माइंस में हुए हादसे में माइनिंग सरदार और सब एरिया मैनेजर की सुरक्षा नियमों के निष्पादन में घोर उपेक्षा उजागर हुई है। मिसफायर डेटोनेटर एरिया को बिना चिन्हांकन के छोड़ने के कारण से सोमवार को हादसा हुआ है।

कोल माइंस अधिनियम 2017 का उल्लंघन

एसईसीएल की कोल माइंस में कोल अधिनियम 2017 का खुलेआम उलंघन किया जा रहा है। विशेषज्ञों की माने तो माइनिंग सरदार के साथ साथ खदान में ब्लास्टिंग और ड्रिलिंग करने वाले श्रमिको को ट्रेनिंग दी जाती है और सुरक्षा पर ध्यान देने का पाठ पढ़ाया जाता है लेकिन इन दिनों एसईसीएल बिना कुशल ट्रेनिंग के श्रमिको को खदान में उतार रही है। जिससे खान दुर्घटना में लगातार वृद्धि हो रही है। सूत्र बताते है कि माइंस के भीतर काम करने वाले लोगो को ट्रेनिंग सेंटर भेजकर ट्रेंनिग तो कराया जाता है लेकिन उनकी ट्रेनिंग अधूरी रहती है क्योकि ट्रेनिग सेंटर के ट्रेनर ज्यादातर अनफिट होने की वजह से अटैच रहते है। ऐसे श्रमिको को कुशल ट्रेनिंग की कल्पना थोथी है।

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