New Species : विद्या आई, खुशखबरी लाई…! अल्प सिंचाई और कम उर्वरक में तैयार होंगी गेहूं की 4 नई प्रजातियां

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बिलासपुर। New Species : हम देंगे आपका पूरा साथ। यह भरोसा विद्या, हंसा, अंबर और रतन दे रहे हैं। आग्रह सिर्फ इतना ही है कि समय पर बोनी करें। गेहूं की यह चार नई प्रजातियां, उन किसानों के लिए वरदान बनेंगी, जो हर बरस रबी सत्र में कमजोर होती पानी की धार से परेशान हो रहे हैं।
साल-दर-साल भूजल स्तर में आ रही गिरावट के बीच गेहूं की चार ऐसी प्रजातियां तैयार की जा चुकी हैं, जो अल्प समय में  तैयार  हो जाती है। अखिल भारतीय गेहूं अनुसंधान परियोजना के तहत यह प्रजाति बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र में ही तैयार की गई है। प्रदर्शन खेती में मिली सफलता के बाद इसकी पहुंच खेतों में होने लगी है।

वरदान बनेंगी यह प्रजातियां

अखिल भारतीय गेहूं अनुसंधान परियोजना (New Species) के बिलासपुर केंद्र में तैयार विद्या (सीजी-1036)  छत्तीसगढ़ हंसा गेहूँ (सीजी-1023) छत्तीसगढ़ अंबर गेहूँ (सीजी-1018) और रतन (एमपी- 5016) इसलिए वरदान बनेंगे क्योंकि इन्हें बेहद अल्प सिंचाई की जरूरत होती है। तेजी से गिरते भू-जल और अल्प सिंचाई साधन वाले किसानों को यह प्रजातियां राहत देंगी।

उर्वरक कम, उत्पादन ज्यादा

फसल की उत्पादन लागत कम करना भी वैज्ञानिकों के लिए चुनौती थी, लेकिन इस पर भी सफलता मिली। जो नई प्रजातियां तैयार की गई हैं उन्हें प्रति हेक्टेयर 90 किलो नाइट्रोजन 60 किलो फास्फोरस और पोटाश40 किलो मात्रा की जरूरत होगी। निश्चित ही यह बड़ी सफलता मानी जा रही है क्योंकि उर्वरक की कीमत क्रय शक्ति से बाहर हो चुकी है।

ग्रह विद्या और साथियों का

विद्या, छत्तीसगढ़ हंसा, छत्तीसगढ़ अंबर और रतन का आग्रह, किसानों से एकमात्र यह है कि नवंबर माह के प्रथम सप्ताह में बोनी का काम हर हाल में पूरा करें। यह काम कर लिया गया तो फसल तैयार होने के बाद जो उत्पादन उन तक पहुंचेगा, वह उत्साह बढ़ाने वाला तो होगा ही, साथ ही आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

गुणवत्ता सूचकांक में अव्वल

नई प्रजातियों के गेहूं का आटा गुणवत्ता सूचकांक में अव्वल स्थान पर है। रंग, स्वाद, सुगंध, फूलने की क्षमता, मुलायम और 4 घंटे बाद रोटी में नमी का प्रतिशत मानक स्तर पर सही पाया गया है। विद्या पहले नंबर पर है। कनिष्का दूसरे, हंसा तीसरे स्थान और अंबर चौथा स्थान पाने में सफल रहा है। उल्लेखनीय है कि चपाती गुणवत्ता सूचकांक 8.0 से अधिक होना चाहिए। यह सभी इससे अधिक है।

क्षेत्राच्छादन में होगी वृद्धि

छत्तीसगढ़ में रबी के मौसम में सिंचाई (New Species) की सुविधा कम है। कम पानी चाहने वाली किस्मों के विकास से गेहूं के क्षेत्र में वृद्धि होगी। आने वाली नई किस्म सी.जी. 1040 का प्रयोग इस वर्ष अपने अंतिम चरण पर है एवं उम्मीद कर सकते हैं कि अगले रबी मौसम में यह मध्य भारत के कृषकों के लिए अनुशंसित होगी।
– डॉ ए पी अग्रवाल, प्रिंसिपल साइंटिस्ट, (प्लांट ब्रीडिंग), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर