Friday, March 29, 2024
Homeकटाक्षTalk of Raj Bhavan: अफसरों का चैट ,कोल स्कैम के माफियाओं का...

Talk of Raj Bhavan: अफसरों का चैट ,कोल स्कैम के माफियाओं का हो रहा वेट ,मेहनत करे मुर्गी और अंडा खाए..गुमनाम है कोई, बदनाम है कोई,तब संतरी भी मंत्री से अधिक बलवान…

अफसरों का चैट ,कोल स्कैम के माफियाओं का हो रहा वेट

कोल स्कैम में शामिल लोगों का हौसला भले ही पस्त न हुआ हो, लेकिन गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। ईडी की चार्जशीट में पुलिस के एक बड़े अफसर के वाट्सअप चैट में शहर के कोल कारोबारियों के जिक्र से उनका वैट बढ़ गया है। बताते चले कि ये उन दिनों की बात है जब कोल ट्रांसपोर्टिंग का काला धंधा पूरे शबाब पर था।

इसी दौरान बिलासपुर पुलिस ने अवैध कोयला परिवहन करते कुछ वाहनों को पकड़ा था। पकड़े गए वाहन के मालिकों को पकड़ने बिलासपुर पुलिस कोरबा भी आई, लेकिन तत्कालीन कप्तान के इशारे पर उल्टा बिलासपुर पुलिस पर कार्रवाई की हिदायत दे डाली थी। मामला हाई प्रोफाइल होने की वजह से कोयला के कलाकारों का मामला रफा दफा किया गया।

अब जब ईडी ने अफसरों का बयान कलमबद्ध किया तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। ईडी के चार्जशीट में एक अफसर का वाट्सअप चैट में अंदर की बात का खुलासा हो गया। सूत्र बताते हैं कि पुलिस अफसर चैट में नदी उस पार के खदान का काम संभालने वाले सिंह साहब, एनएसयूआई के एक युवा नेता और शहर के काले हीरे की जौहरी के नाम का जिक्र है। शहर के कम दिन में ज्यादा दौलत कमाने वालो के नाम का जिक्र होने के बाद लोग चुटकी लेते हुए चर्चा कर रहे हैं “बुरे काम का बुरा नतीजा क्यों भाई चाचा हां भतीजे” ।

मेहनत करे मुर्गी और अंडा खाए…

संभाग में एक नदी उस पार के साहब को बेहतर पुलिसिंग के लिए सम्मान क्या मिला लोग कहने लगे मेहनत करे मुर्गी और अंडा …! ठीक भी है क्योंकि आज का अपराध पूरी तरह से टेक्निकल से जुड़ा है। सो साफ्टवेयर के जानकार पुलिस अफसर ही क्रिमिनलों की कुंडली खंगाल रहे हैं। ऐसे में साइबर सेल को इनाम न देकर किसी को सम्मानित करना मतलब काम करने वालों को मॉरल डाउन करना है।

महकमें के अंदरखाने में चल रही चर्चा की माने तो सब ऊपर वाले की माया है। जिसके सर पर बड़े लोगों का आशीर्वाद हो वो तो बिना लड़े ही विनर बन जाता है तो बेहतर पुलिसिंग का सम्मान कौन खेत की मूली है। वैसे लंबे अर्से में यह पहली मर्तबा है जब गैर सायबर सेल वाले साहब की पीठ को थपथपाया गया है।

लिहाजा इनाम की आस लगाने वाले अफसरों में जलस तो बनता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि सायबर के कुछ जाबांज गैर जिला भी जाकर टैक्स वसूल रहे हैं वो भी बिना उच्च अधिकारियों की अनुमति के।

वैसे पुलिस महकमे के अधिकारी ही आपस मे चर्चा करने लगे हैं कि जिले में सेनापति बदलते ही खाकी के शेर बहादुरों का इनाम भी बदल गया। खैर सब समय का खेल है। किसी दौर में जिनका विभाग में था राज, आज वो बड़े थाने जाने के लिए बेताब हैं। कहा भी गया है समय होत बलवान। लिहाजा समय का पहिया घुमा और इनाम पहुंच गया नदी उस पार!

 

गुमनाम है कोई, बदनाम है कोई…

 

मनोज कुमार की फ़िल्म गुमनाम का वो गाना आपने सुना ही होगा। गुमनाम है कोई बदनाम है कोई.. किसको खबर कौन है वो अनजान है कोई…! राजस्व अमले के पटवारियों पर ये गाना सटीक बैठ रहा है। दरअसल दफ्तर से सील चोरी होने पर किसी गुमनाम प्रॉपर्टी डीलर ने जमीन की चौहद्दी में सील सिग्नेचर कर बिक्री कर दिया और पटवारी बदनाम है। बात यहीं तक नहीं रुकती…कमाल तो ये है कि फर्जी दस्तावेज के सहारे जमीन रजिस्ट्री करने वाले रजिस्ट्रार भी अनजान हैं।

जमीन के जानकारों की माने तो जमीन के मालिक जमींदार और रिकार्ड के रखवाले चौकीदार मिलकर मलाई काट रहे हैं। मामला शहर के पाश एरिया के एक जमीन के फर्जी दस्तावेज का है। करोड़ों की जमीन देख एक राशन दुकान वाले की नीयत डोल गई और उसे फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच दिया। कहा भी तो गया है ” जैसा देश वैसा भेष “ तो करप्ट सिस्टम से तालमेल बैठाकर जमीन कहीं और की और खसरा कहीं और का… को सेट कर बिक्री कर दिए।

अब बात अगर लैंड रिकार्ड के रखवाले चौकीदार की करें तो ये महाशय भी कम नही है। तभी तो 3 को चौहद्दी बन जाता है और साहब 22 को सील चोरी होने को शिकायत अपने उच्च अधिकारियों को करते हैं। यही नहीं 23 जनवरी को जमीन की रजिस्ट्री भी हो जाती है। मतबल साफ है चोर चोर मौसेरे भाई…!

...तब संतरी भी मंत्री से अधिक बलवान

 

कहते हैं जब बड़े साहेब की अपार कृपादृष्टि हो तो संतरी भी मंत्री से अधिक बलवान बन जाता है। इस कहावत को जिले के एक निर्माण एजेंसी के साहब ने सही साबित कर दिया है। कई डीई यानी डिपार्टमेंटल इन्क्वारी होने के बाद भी जनाब ईई बन गए हैं।

वैसे तो साहब कई ट्रांसफर के बाद भी कोरबा में ही सर्विस करते रहे। साहब को जानने वाले बताते हैं कि वो अपने काबिलियत पर कम और जुगाड़ तंत्र पर ज्यादा भरोसा करते रहे हैं। तभी तो साहब ने एग्जीक्यूटिव इंजीनियर पद से रिटायर्ड होने से चार दिन पहले रायपुर में डेरा डालकर ईई बनने का जुगाड़ लगाया था।

हालांकि उनका ये जुगाड़ काम नहीं आया लेकिन, उन्हें येन केन प्रकारेण कार्यपालन अभियंता का प्रभार मिल गया। उनके ईई बनते ही विभाग के ठेकेदारों में ये चर्चा आम हो रही है कि भईया जुगाड़ तगड़ा हो तो एसडीओ तो क्या सब इंजीनियर को भी प्रभारी ईई बनाया जा सकता है।

हां ये बात अलग है कि प्रभारी बनाने वाले राजनेता के प्रति साबह को हमेशा आभारी रहना पड़ेगा। वैसे ये कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इंजीनियर साहब ने रेत गारा और मिट्टी के मिक्सिंग का ऐसा फिक्सिंग किया कि साहब के आसन लेते ही सिंहासन जगमग हो उठा। तभी तो विभागीय अधिकारी भी साहब के निर्माण विभाग के रंग में रंग गए हैं।

राजभवन की बात…दूर हुए गिले शिकवे..?

सूबे के गवर्नर बदल दिए गए !लेकिन, दोपहर होते तक नजारा बदल गया। जैसे ही ये खबर मीडिया पर चली हर कोई राजभवन और कांग्रेस की तकरार की चर्चा करता दिखा। लेकिन, दोपहर होते तक मामला साफ हो गया। आदिवासी आरक्षण पर बीजेपी और राजभवन को अपने तीखे निशाने पर रखने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सीधे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल अनुसूईया उइके से मुलाकात कर उन्हें मणिपुर का राज्यपाल बनाए जाने की बधाई दी।

यहां तक कि सीएम ने सुश्री उइके को अपनी बड़ी बहन बताते हुए सहयोग के लिए आभार भी जताया। यानि राज्यपाल की विदाई के साथ राजभवन और सरकार के बीच आई खटास दूर करने की कोशिश की गई। लेकिन, बघेल ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे पर हो रही देरी के लिए बीजेपी पर ठिकरा फोड़ने में कोई कमी नहीं की। एकात्म परिसर से राजभवन में पर्चियां पहुंचने की बात कर सीएम ने अपना स्टेंड क्लीयर कर दिया।

वैसे आने वाले नए राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन भी संघ की पृष्टभूमि से आते हैं। देखना होगा कि हरिचंदन आरक्षण मुद्दे पर क्या राय रखते हैं। अगर आगे भी विधेयक की मंजूरी मिलने में देरी होती है तो माना जा सकता है कि अभी केवल इंटरवेल हुआ आगे क्या होगा…इसके लिए इंतजार करना होगा।

     ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments