बिलासपुर- अपेक्षित मांग के इंतजार में है होली का बाजार। सीजन की सामग्री क्रय-विक्रय के लिए पहचान रखने वाले भोलू जायसवाल स्वीकार करते हैं कि परिवर्तन के दौर में यह क्षेत्र भी नए दौर का सामना कर रहा है।

 

रुचि बदली, तो कंपनियों ने भी होली बाजार का स्वरूप बदल दिया । अब केवल रंग-गुलाल ही काफी नहीं रहे। इसने कई स्वरूप ले लिए हैं। हर्बल गुलाल और रंग कुछ ऐसे ही नए परिवर्तन का एक प्रमाण है। जिसका चलन और उपयोग भी बढ़ रहा है। बढ़ती कीमत के दौर में रंग-गुलाल का बाजार क्रयशक्ति के भीतर ही है लेकिन फैंसी आइटम के नए स्वरूप में आने के बाद इसकी कीमत हैरत में डालने वाली है। फिर भी बेहतर मांग की प्रतीक्षा कर रहे हैं भोलू जायसवाल, कंपनी गार्डन के सामने अपने काउंटर में।


मास्क एक, रूप अनेक

जोकर, शेर, मोटू-पतलू और बच्चों को भाने वाले कई ऐसे पात्र हैं जो मास्क के रूप में आए हैं। कीमत थोड़ी ज्यादा जरूर है लेकिन 80 से 100 रुपए में खरीदा जा रहा है। ऐसे ही रंग- रूप में नजर आ रहीं हैं टोपियां, जो 40 से 100 रुपए में उपलब्ध होंगी। कुर्तियां भी 300 से 400 रुपए में खरीदी जा सकती हैं।


लुभा रही पिचकारियां

यूं तो परंपरागत पिचकारियां भी हैं लेकिन 100 रुपए से 750 रुपए में मिलने वाली ऐसी सामग्री के बीच प्रेशर गन उपभोक्ताओं पर खरीदी के लिए प्रेशर बना रहा है। कीमत है 1300 रुपए। इन्हीं की भीड़ में रंग और गुलाल भी रखे हुए हैं। इनमें डिमांड में हर्बल गुलाल सबसे आगे है। कीमत बताई जा रही है 350 रुपए। महंगे हैं लेकिन मांग में है यह गुलाल।


आए मुखौटे भी

शेर, भालू, चीता और भूत-प्रेत के मुखौटों की खरीदी 120 से 350 रुपए में की जा सकेगी, तो विग के लिए रुझान बढ़ता नजर आ रहा है। सजावट के लिए नकली आभूषण भी क्रयशक्ति के भीतर ही हैं लेकिन इसमें उपभोक्ता मांग का इंतजार किया जा रहा है। कुल मिलाकर होली पर मांग में रहने वाली सभी सामग्रियां प्रतीक्षा में हैं, बेहतर मांग की।

 

महज 5 दिन का रह गया है रंग और पिचकारियों का बाजार। कीमतों में आंशिक तेजी आई है। संतोषजनक बाजार के बीच अपेक्षित मांग का इंतजार है।
– भोलू जायसवाल, बिलासपुर