पिता अपने बेटे के लिए बना भगवान, मौत के मुंह से निकालकर दी जिंदगी

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बालोद : बालोद जिले में एक युवक पिछले 5 साल से किडनी की समस्या से जूझ रहा था. डॉक्टरों के मुताबिक युवक उत्तम कुमार देशमुख की दोनों किडनियां फेल हो चुकी थी. इसलिए वो पिछले 5 साल से डायलिसिस पर जीवित था.डायलिसिस के कारण दिन ब दिन युवक का स्वास्थ्य गिरता जा रहा था. डॉक्टर्स ने बताया कि युवक की जान बचाने के लिए किडनी बदलना ही आखिरी विकल्प है.लेकिन समस्या ये थी कि कोई भी युवक को किडनी देने के लिए पिछले पांच साल से आगे नहीं आया. अपने बेटे का दर्द पिता गुमान देशमुख से देखा ना गया.लिहाजा उन्होंने वो फैसला किया,जो किसी के लिए आसान नहीं होता.गुमान ने अपने बेटे को खुद की किडनी देने का फैसला किया.

बेटे को पिता ने दिया जीवनदान : गुमान देशमुख ने अपने 40 वर्षीय बेटे उत्तम कुमार देशमुख को अपनी किडनी दान कर दी.जिसके बाद पिता और पुत्र दोनों ही अब स्वस्थ्य जीवन जी रहे हैं.गुमान ने ये साबित किया है कि एक पिता धरती पर भगवान से कम नहीं होता.आपको जानकर हैरानी होगी कि किडनी ट्रांसप्लांट की ये पूरी प्रोसेस किसी बड़े शहर या विदेश में ना होकर दुर्ग जिले में हुई है. यहां के प्राइवेट हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर्स ने इस कारनामे को किया.

बेटे की बचाई जान : गुमान के बेटे उत्तम को ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस बीमारी हुई थी.जिसे जिसे ग्लोमेरुलर रोग भी कहा जाता है. ये किडनी रोगों का एक समूह है जिसमें किडनी के ग्लोमेरुलस क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और उनमें सूजन आ जाती है. ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस के कारण किडनी का काम करना मुश्किल हो जाता है.जिसमें किडनी ट्रांसप्लांट ही आखिरी विकल्प रह जाता है. लिहाजा डॉक्टर्स की सलाह पर गुमान ने अपने बेटे को एक किडनी देकर उसकी जान बचाई है.

दुर्ग में हुआ सफल ऑपरेशन : किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन दो विभागों के संयुक्त प्रयासों से होता है. जिसमें प्रशिक्षित डॉक्टर्स और उनकी टीम हिस्सा लेती है. किडनी के ऑपरेशन के लिए नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग एक साथ काम करते हैं. दोनों के काम अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों ही बेहतरीन नतीजे देते हैं और मरीज को नई जिंदगी मिलती हैं.

निजी अस्पताल की टीम ने किया कारनामा : दुर्ग के निजी अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. साहू और यूरोलॉजी विभाग के डॉ. नवीन राम दारूका की टीम ने ये कारनामा कर दिखाया है. वहीं डॉ. नवीन राम दारूका के मुताबिक अक्सर लोग किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बड़े शहरों में जाते हैं.जिससे परिवार पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता है.लेकिन अब दुर्ग जिले में ही कम खर्च में किडनी ट्रांसप्लांट जैसी सुविधा मौजूद है.