The Kerala Story: देशभर में रिलीज हुई The Kerala Story, जिसमें हिन्दू ​फेमिली की श्रुति बन गई रहमत, जानें पूरी सच्चाई

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मुंबई/नई दिल्ली। ​The Kerala Story: तमाम विरोध के बीच केरल में धर्मांतरण, लव जिहाद और आईएसआई की पृष्टभूमि पर बनीं हिंदी फिल्म The Kerala Story शुक्रवार को देशभर में रिलीज हुई। द केरल स्टोरी फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर दो तरह के मत देखने को मिल रहे हैं। कुछ लोग कहानी को प्रोपागैंडा और झूठ बता रहे हैं तो कुछ आंखें खोल देने वाली सच्चाई।

वहीं मेकर्स का दावा है कि फिल्म सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। इस बीच धर्मांतरण के जाल में फंसी केरल की एक लड़की की कहानी सामने आई है। उसने बताया कि कैसे वह श्रुति से रहमत बन गई। उस लड़की ने यह भी बताया कि फिल्म द केरल स्टोरी के बारे में क्या सोचती है और इसमें उन्हें कितनी सच्चाई लगी।

फिल्म को लेकर चल रहा बवाल

बता दें कि फिल्म टीजर रिलीज होने के बाद ही विवादों में आ गई थी। ट्रेलर रिलीज के बाद इसके विवादित कॉन्टेंट को भी हटाया गया। साउथ के कई स्टेट्स में यह फिल्म रिलीज नहीं हुई है। कई लोग इसे अपने धर्म का अपमान बताकर मूवी की स्क्रीनिंग पर रोक की मांग भी कर चुके हैं।

सहेलियों ने घुमाया दिमाग

फिल्म में रहमत बन चुकी श्रुति बताती हैं कि वह केरल के कासरगोड में रहने वाली हैं। ब्राह्मण फैमली में पैदा हुई थीं। हिंदू की तरह रहती थीं। ग्रैजुएशन में ज्यादातर दोस्त लड़कियां मुस्लिम थीं। उन लोगों से इस्लाम मत के बारे में इतनी बातें बताईं कि वह प्रभावित हो गईं।

श्रुति ये भी बताती है कि उनके दोस्त इस्लाम के बारे में फीड करते थे। हिंदू धर्म के बारे में सवाल पूछते थे। उन्हें अपने धर्म के बारे में इतना पता नहीं होता था। जवाब पाने के लिए वह नैशनल चैनल पर जय हनुमान और ओम नम: शिवाय जैसे सीरियल्स देखती थीं। इनसे जो पता चलता था उसके ही जवाब देती थीं। जिनका बारे में नहीं पता होता था, वह चुपचाप रह जाती थीं। श्रुति बताती हैं कि उनकी क्लासमेंट्स ने इस बात का अच्छे से फायदा उठाया। अपने मत के बारे में अच्छे से समझाया।

पर्दा सिस्टम को बताया सही

फिल्म के बैकग्राउंड में श्रुति बताती हैं कि उनकी सहेलियों ने बताया, पर्दा सिस्टम लड़कियों की सुरक्षा के लिए है। वे लोग इस तरह से अपने मत को एक्सप्लेन करती थीं कि लगता था कि सही कह रही हैं। जीने का वही सिस्टम ठीक है। श्रुति को सुनने में अच्छा लगने लगा। रुचि जागी।

हिंदू त्योहारों का मजाक उड़ाते थे दोस्त

श्रुति बताती है ​कि उनकी सहेलिया हिंदू त्योहारों का मजाक उड़ाती थीं। वे कहती थीं, ‘आप हिंदू लोगों के त्योहारों में मंदिर में लड़के और लड़कियां मिलते हैं। वहां लड़के गलत तरह से छूते हैं और फायदा उठाते हैं।’ लड़कियां दिमाग में डालती थीं कि यह गलत है।

उसकी सहेलियों ने श्रुति को पर्चे, किताब, जाकिर नायक के स्पीच की सीडी दी जाती थी। वह इस्लामी धर्मगुरुओं के स्पीच सुनती थीं। उस वक्त अच्छा लगता था। ऐसा लगता था कि काफी जानकारी मिल रही है। उस वक्त वह हिंदू और क्रिश्चन धर्म के बारे में भी जानना चाहती थीं लेकिन उन्हें पता नहीं था कि किससे सीखना चाहिए। वह इंटरनेट पर सर्च करती थीं। अलग-अलग जानकारी से कन्फ्यूजन होने लगा था।

मां की कर दी पिटाई

सहेलियों के तर्क से प्रभावित होकन श्रुति नमाज पढ़ने लगी थीं और एक बार अपनी मां को पीट दिया था क्योंकि वह उनकी नजर में काफिर थीं। श्रुति ने बताया, मैं नमाज के लिए जा रही थी और वह प्यार से मेरा फेवरिट खाना बनाकर लाई। मैं नमाज पढ़ने जा रही थी। उस वक्त इसे खा नहीं सकती थी। मुझे गुस्सा आ गया और मैंने उन्हें पेट पर मार दिया जहां उन्होंने मुझे 9 महीने रखा था। श्रुति ने बताया कि उस वक्त उनका दिमाग इस कदर घुमाया जा सकता था कि वह जो करती थीं उन्हें सही लगता था।

क्या है फिल्म की कहानी

फिल्म में शालिनी उन्नीकृष्णन और उसकी सहेलियों की कहानी पर बेस्ड है। दिखाया गया है कि कैसे कॉलेज की कुछ लड़कियों को मुस्लिम धर्म मानने के लिए ब्रेन वॉश किया जाता है। लड़कियों को परिवारों से दूर करके, प्यार के जाल में फंसाकर और प्रेग्नेंट करके उनका धर्मांतरण किया जाता है और उन्हें आंतकवाद के दलदल में ढकेल दिया जाता है। शालिनी फातिमा बनकर आईएसआईएस आतंकी संगठन में शामिल हो जाती है। वह पकड़े जाने पर अपनी पूरी स्टोरी सुनाती है।