यह सब ‘आंख’ के सामने…!कार्रवाई से दूरी पर उठ रहे सवाल

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भाटापारा- जारी है तेज गति से वाहन का चलाया जाना। चौक- चौराहों पर जाम से भी निजात नहीं मिली है। जहां-तहां, वाहन खड़ा कर देने जैसे दृश्य भी देखे जा रहे हैं। यह सब, तब हो रहा है, जब तीसरी आंख खुल चुकी है।

शो-पीस ना बन कर रह जाएं सीसीटीवी कैमरे क्योंकि अवांछित गतिविधियां अभी भी जारी है। चौपट हो चुकी यातायात व्यवस्था को सुधारा जा सकता है सीसीटीवी कैमरे की मदद से। लग रहे जाम पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है लेकिन मूलभूत समस्याओं को जिस अंदाज से अनदेखा किया जा रहा है, वह यही साबित कर रहा है कि जिम्मेदारी से बच रही है शहर पुलिस।

चुनौती इनकी

अमन पसंद शहर को उम्मीद थी कि सीसीटीवी कैमरे की मदद से तेज गति से वाहन चालन पर सख्ती से रोक लगेगी लेकिन यह उम्मीद टूटने लगी है क्योंकि अभी भी मुख्य मार्गों पर बेखौफ यह काम हो रहा है। हद तो तब, जब स्कूल समय में भी यह दृश्य देखे जाते हैं। यह सब कंट्रोल रूम में भी देखा जाता होगा लेकिन कार्रवाई कोसों दूर है।

यहां नहीं सख्ती

बढ़ती आबादी, बढ़ता कारोबार। यह दोनों मिलकर चौक-चौराहों को भी जाम कर रहे हैं। संवेदनशील हैं ऐसे क्षेत्र लेकिन तैनात जवानों की आंखों के सामने हर रोज जाम लग रहा है। आवाजाही सामान्य रहे, इसके प्रयास पहले भी नहीं किए गए, अब भी नही किए जा रहे हैं। इससे यही जाहिर होता है कि नियंत्रण कक्ष से दिशा-निर्देश नहीं दिए जा रहे हैं।

पार्किंग कहीं भी

सड़क दुर्घटना की कई वजहों में से एक, बेतरतीब पार्किंग को लेकर भी सजगता की कमी दिखाई पड़ रही है। रोक के लिए सीसीटीवी कैमरे की मदद ली जा सकती है लेकिन जहां-तहां बेतरतीब खड़ी हो रहीं वाहनें यह साबित कर रहीं हैं कि जिम्मेदार विभाग ने यह क्षेत्र भी खुला छोड़ दिया है ऐसी अवांछित गतिविधियों के लिए। इसलिए बेखौफ जारी है यह काम।

बढ़ रहा अपराधों का ग्राफ

कड़ी नजर नहीं है। नहीं होती सख्त कार्रवाई। लिहाजा वाहन चोरी, उठाई गिरी जैसी घटनाएं रोज बढ़त ले रहीं हैं। समानांतर में बढ़ रही हैं, ऐसी अवांछित गतिविधियां जो किसी भी शहर के लिए धब्बा ही है। रोकी जा सकती हैं ऐसी गतिविधियां। पकड़े जा सकते हैं आरोपी, लेकिन जाने क्यों जिम्मेदारों के हाथ कांप रहे हैं।