The Duniayadari :कोरबा– जिला खनिज न्यास मद (डीएमएफ) से स्वीकृत 10 करोड़ रुपये की राशि से बाल सुधार गृह के निर्माण के लिए बनाई गई इमारत आज खंडहर बन चुकी है। छह साल पहले स्वीकृत यह परियोजना भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ गई। वहीं, बाल सुधार गृह के बच्चों को बेसमेंट जैसी दयनीय जगह पर रहने के लिए मजबूर किया गया है।
खंडहर में बदल गई 10 करोड़ की बिल्डिंग
सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि बाल सुधार गृह का निर्माण कुआं भट्टा क्षेत्र में होना था, लेकिन इसे कोहड़िया इलाके में बना दिया गया, जहां कोई पहुंच मार्ग भी नहीं है। नगर पालिक निगम कोरबा को इस निर्माण कार्य की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन आज तक न तो भवन का निरीक्षण हुआ और न ही इसका विधिवत हैंडओवर किया गया।
किराए के जर्जर भवन में रह रहे बच्चे
बाल सुधार गृह के बच्चों को फिलहाल रिस्दी क्षेत्र की एक पुरानी किराए की इमारत में रखा गया है, जो पहले मुर्गी पालन के लिए इस्तेमाल होती थी। हर महीने 30 हजार रुपये किराए में खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन बच्चों को वहां अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। बीते साल चिकनपॉक्स और त्वचा संबंधी बीमारियों के मामले सामने आए थे।
प्रशासन और नेताओं की चुप्पी पर सवाल
डीएमएफ फंड के 10 करोड़ रुपये की बर्बादी पर न तो नगर निगम कोरबा के पूर्व महापौर ने ध्यान दिया, न ही उनके विधायक ने। पिछले छह सालों से इस प्रोजेक्ट को लेकर प्रशासनिक और राजनीतिक उदासीनता बनी हुई है।
जनता ने उठाए सवाल, क्या होगी कार्रवाई?
इस मामले में जनता ने सवाल उठाए हैं कि डीएमएफ फंड की इस बर्बादी के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या इस लापरवाही और भ्रष्टाचार पर कार्रवाई होगी, या फिर जनता के पैसे का दुरुपयोग इसी तरह जारी रहेगा?
जरूरत है कि जिम्मेदार अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।