The Duniyadari :छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर हलचल देखी जा रही है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने हाल ही में हुए राज्य मंत्रिपरिषद विस्तार को लेकर गंभीर आपत्तियाँ उठाते हुए राज्यपाल रमेन डेका को पत्र सौंपा है। उन्होंने इसे संविधान के नियमों के खिलाफ बताते हुए तत्काल एक मंत्री को हटाने की मांग की है।
विवाद की जड़ क्या है?
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 20 अगस्त को अपनी सरकार का विस्तार करते हुए नए मंत्रियों को शामिल किया था। इस विस्तार के बाद कैबिनेट में कुल 14 सदस्य हो गए हैं। यह मॉडल हरियाणा की तर्ज पर बताया जा रहा है, लेकिन अब इस पर सवाल खड़े हो गए हैं।
संविधान की सीमा का उल्लंघन – महंत की दलील
डॉ. महंत ने अपने पत्र में लिखा है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(1A) के अनुसार, किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए। चूंकि छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 निर्वाचित सदस्य हैं, इसलिए मंत्रियों की अधिकतम संख्या 13 हो सकती है। फिलहाल मंत्रियों की संख्या 14 है, जो संविधान के प्रावधान का उल्लंघन करती है।
राज्यपाल से की हस्तक्षेप की अपील
नेता प्रतिपक्ष ने राज्यपाल से तत्काल संज्ञान लेने और एक मंत्री को पद से हटाने की सिफारिश की है। उन्होंने अपने पत्र में इसे लोकतंत्र की मर्यादा और संवैधानिक दायरे को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी कदम बताया है।
विधि विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विपक्ष के तर्कों में दम है तो यह मामला न्यायिक जांच और विवाद का रूप ले सकता है। अब यह देखना अहम होगा कि राज्यपाल क्या रुख अपनाते हैं।
सत्तारूढ़ दल की तरफ से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह मुद्दा आगामी विधानसभा सत्र में विपक्ष द्वारा जोरदार तरीके से उठाया जाएगा।