नई दिल्ली : डिजिटल इंडिया के बड़ते ग्राफ के साथ ही मोदी सरकार ने न्यूज पोर्टल के अच्छे दिन लाने की तैयारी की है। अब अखबारों और इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ-साथ वेब पोर्टल को भी सरकारी विज्ञापन मिलेंगे। इसके लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय( इंडियन इंफार्मेशन एंड बाडकास्टिंग मिनिस्ट्री) ने गाइडलाइंस भी जारी कर दी है।
डिजिटल मीडिया (Digital Media) को नियंत्रित करने व अखबार के बराबर मानने के लिए अब केंद्र सरकार एक बिल भी लेकर आ रही है। वहीं इस बिल को कानूनी मान्यता मिलने के बाद अब न्यूज पोर्टल (News Portal) को भी अखबारों की ही तरह अपना पंजीकरण कराना आवश्यक हो जाएगा। बता दें कि, अभी तक यह नियम सिर्फ समाचार पत्रों पर ही लागू है।
वेब मीडिया की बढ़ती ताकत और प्रसार के मद्देनजर सरकार की ओर से लिए गए इस फैसले से दोनों पक्षों को लाभ होगा। एक तो सरकारी विज्ञापनों से न्यूज पोर्टल की माली हालत अच्छी होगी, वहीं आनलाइन उपलब्ध करोड़ों यूजर्स तक सरकार आसानी से अपनी बात पहुंचा सकेगी। सरकारी रीति-नीति के प्रचार-प्रसार में सहूलियत होगी।
आ रहा है नया विधेयक
गौतरलब है कि अब केंद्र सरकार, 155 साल पुराने प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट को पूरी तरह से खत्म करने जा रही है। इसके स्थान पर अब ‘प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल बिल’ लाया जा रहा है। इस बिल में समाचार पत्रों के लिए नई व आसान पंजीकरण व्यवस्था होगी, वहीं इसके तहत अब डिजिटल मीडिया को भी लाने की तैयारी जोर शोर से चल रही है। ऐसी भी खबर है कि केंद्र सरकार इसी मानसून सत्र के दौरान ही इस बिल को सदन में पेश कर सकती है।
तीन श्रेणी में होगी समीक्षा, मंत्रालय करेगा न्यूजपोर्टल को सूचीबद्ध
मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक मानकों पर खरे उतरने वाले और विश्वसनीय खबरों वाले पोर्टल-वेबसाइट को सरकार सूचीबद्ध करेगी। यह काम सरकारी एजेंसी डीएवीपी करेगी। इन्हीं वेबपोर्टल को विज्ञापन मिल सकेगा। दरअसल वेबपोर्टल की संख्या हजारों की तादाद में हैं, जिसमें तमाम फर्जी ढंग से चल रहे हैं। बेसिर-पैर की खबरें प्रसारित करते हैं। उनके गिने-चुने यूजर ही हैं। इस नाते सरकार ने अधिक प्रसार संख्या वाले न्यूज पोर्टल्स की ही सूची बनाने की तैयारी शुरू की है। मंत्रालय ने यूजर डेटा के आधार पर तीन कटेगरी में पोर्टल-वेबसाइट्स को बांटेगा। उदाहरण के तौर पर अगर पोर्टल पर छह लाख यूजर प्रति महीने आ रहे हैं तो उसे ए ग्रेड में, तीन से छह लाख संख्या है तो बी ग्रेड और 50 हजार से तीन लाख हैं तो सी ग्रेड में रखा जाएगा। ऊंचे ग्रेड का विज्ञापन रेट ज्यादा होगा।
न्यूज पोर्टल का संचालन कंपनी की तरह करना होगा
मंत्रालय के मुताबिक उन्हीं वेबपोर्टल को सरकारी विज्ञापन मिलेगा, जिनका संचालन व्यक्तिगत नहीं बल्कि संस्थागत यानी कारपोरेट तरीके से होता है। इनका पंजीकरण भी कंपनी नियमों के तहत जरूरी होगा।