पुरानी बोरियां हटाने कंपनियों को 31 दिसंबर तक समय
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कोरबा।’वन नेशन-वन फर्टिलाइजर’ याने ‘एक राष्ट्र-एक उर्वरक’ की अवधारणा के साथ देश के उर्वरक बाजार में बड़ा बदलाव आगामी अक्टूबर माह में आने वाला है। दिलचस्प यह है कि उर्वरक की सभी किस्म का नाम ‘भारत’ होगा और बोरियों में अंकित डिजाइन भी एक ही होगी।
एक राष्ट्र- एक उर्वरक योजना, देश में 2 अक्टूबर 2022 से लागू होने जा रही है। इसके तहत उर्वरक की सभी किस्में ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना’ के नाम से किसानों तक पहुंचेगी। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने उर्वरक निर्माण कंपनियों को नई योजना से जुड़े सभी दिशा-निर्देश और नई बोरियों में अंकित की जाने वाली डिजाइन का प्रारुप भेजते हुए कहा है कि यह नियम 2 अक्टूबर से प्रभावी होगा, इसलिए पालन किया जाना सुनिश्चित करें।
नाम होगा ‘भारत’
एक राष्ट्र-एक उर्वरक की अवधारणा को लेकर बनी नई योजना का नाम ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना’ रखा गया है। इसके तहत सभी उर्वरक का नाम एक ही होगा। जैसे भारत यूरिया, भारत डी ए पी, भारत पोटाश, भारत एन पी के और भारत सुपर फास्फेट। याने सभी उर्वरक भारत के नाम से ही जाने और पहचाने जाएंगे। याने कंपनी कोई भी हो, नाम केवल ‘भारत’ ही होगा।
ऐसा होगा नया बैग
प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना के तहत् जिन बोरियों में उर्वरक की पैकिंग की जाएगी, उसके एक तिहाई भाग में कंपनी का नाम, लोगो, कीमत और वजन जैसी जरुरी जानकारियां अंकित की जाएंगी। शेष हिस्से में प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना अंकित होगा। कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं कि पुराने बैग की खरीदी ना करें। योजना के तहत नई डिजाइन की बोरियों की खरीदी करें। पुराने बैग को बाजार से हटाने के लिए कंपनियों को 31 दिसंबर 2022 तक का समय दिया गया है।
किसानों को होगा यह लाभ
केंद्र सरकार द्वारा लागू की जा रही नई योजना का लाभ यह होगा कि रासायनिक खाद की खरीदी पर उर्वरक अनुदान सीधे किसान को मिलेगा। सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि खुले बाजार पर निर्भरता खत्म होगी क्योंकि नई नीति के तहत सहकारी समितियों से सदस्य किसानों के अलावा दीगर किसान भी जरुरत वाली खाद की खरीदी कर सकेंगे। निश्चित ही यह योजना इस मायने में लाभदायक कदम साबित होगा।
क्रिस-क्रॉस मूवमेंट
वन नेशन-वन फर्टिलाइजर योजना के माध्यम से सरकार उर्वरक के क्रिस-क्रॉस मूवमेंट को कम करना चाहती है ताकि अनुदान में भी कमी लाई जा सके और समस्त उर्वरक को अंब्रेला ब्रांड सिस्टम के साथ विक्रय किया जा सके। इसकी मदद से कंपनियों से निकलकर किसानों तक उर्वरक के पहुंचने के हर कदम पर विभाग की पूरी नजर होगी। यह भी जाना जा सकेगा की लोडिंग और अनलोडिंग कब और कहां हुई ? वितरण सही हाथों तक हुआ या नही, यह भी जाना जा सकेगा।