न्यूज डेस्क। बिहार में भ्रष्ट अधिकारियों की खैर नहीं। रिश्वत के पैसे से अकूत संपत्ति अर्जित करने वाले धनकुबेर अधिकारियों की खोज में तीन जांच एजेंसियां लगी हुई हैं. सरकार ने विशेष निगरानी इकाई, निगरानी ब्यूरो व आर्थिक अपराध इकाई को भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की खुली छूट दे रखी है। इन तीन जांच एजेंसियों में विशेष निगरानी इकाई को बड़े-बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई का जिम्मा दिया गया है। दो साल में एसवीयू ने रिकार्ड कार्रवाई की है। कार्रवाई की जद में एक कुलपति, तीन आईपीएस अधिकारी व एक आईएएस अधिकारी आये हैं.
SVU ने 2022 में 20 केस दर्ज किया
विशेष निगरानी इकाई ने 2 वर्षों में 23 केस दर्ज किए हैं. इनमें वर्ष 2021 में 6 तथा वर्ष 2022 में 17 कांड दर्ज हुए हैं. इनमें 20 केस तो आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने को लेकर हुई है. इसके अलावे तीन केस भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार होने के संबंध में दर्ज किया गया है. एसवीयू ने ट्रैप के तीनों केस का अनुसंधान पूरा कर चार्जशीट भी दाखिल कर दिया है। वहीं आय से अधिक संपत्ति के एक केस में भी आरोप पत्र समर्पित किया जा चुका है. इसके साथ ही एक केस का अनुसंधान अंतिम चरण में है. संभावना है कि जनवरी 2023 में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के दूसरे केस में भी चार्जशीट दाखिल हो जाए.
कुलपति से लेकर आईएएस और आईपीएस अधिकारी तक लपेटे में
विशेष निगरानी इकाई की तरफ से बताया गया है कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान किया जा रहा है. विशेष निगरानी इकाई ने इन 2 सालों में कई वीआईपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. इसमें एक कुलपति, भारतीय पुलिस सेवा के 3 अधिकारी, भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी व इंजीनियिंरग सेवा के कई अधिकारी शामिल हैं. जिन वीआईपी लोगों के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई ने केस दर्ज कर छापेमारी की उनमें मगध विवि के पुर्व कुलपति प्रो. राजेन्द्र प्रसाद भी शामिल हैं. इसके अलावे एसवीयू ने गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार, गया के पूर्व आईजी अमित लोढ़ा के खिलाफ भी केस दर्ज किया है। पूर्णिया के एसपी रहे दया शंकर के खिलाफ एसवीयू ने डीए केस दर्ज कर छापेमारी की थी. इसके अलावे गया के पूर्व डीएम अभिषेक सिंह के खिलाफ भी एसवीयू ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत केस दर्ज कर अनुसंधान कर रही है।