कोरबा– छत्तीसगढ़ के एसईसीएल कुसमुंडा कोयला खदान में कार्यरत ठेका श्रमिकों के साथ हुए अन्याय की खबर ने क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। खदान के अधीन कार्यरत निजी कंपनी जय अंबे द्वारा लगभग 110 ठेका कर्मियों को बिना किसी सूचना या नोटिस के काम से हटा दिया गया है, जिससे मजदूरों और उनके परिवारों पर गंभीर आर्थिक संकट आ गया है।
ठेका श्रमिकों का आरोप है कि उन्होंने निष्ठा पूर्वक काम किया था, बावजूद इसके उन्हें भरी बरसात के दौरान अचानक काम से बैठा दिया गया। इस कार्रवाई से सभी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं, जिससे उनके परिवारों का पालन-पोषण मुश्किल हो गया है। मजदूरों ने इस मामले की शिकायत एसईसीएल कुसमुंडा के मुख्य महाप्रबंधक राजीव सिंह से की, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल सका।
श्रमिकों का कहना है कि इस मामले में एसईसीएल के मुख्य महाप्रबंधक राजीव सिंह और कंपनी प्रबंधक रिंटू सिंह के बीच सांठगांठ है, जिसके चलते मजदूरों की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके अलावा, जय अंबे कंपनी द्वारा ठेका कर्मियों के पीएफ और वेतन में भी भारी कटौती की गई है। जब श्रमिकों ने अपने अधिकारों की मांग की, तो कंपनी प्रबंधक रिंटू सिंह ने उन्हें धमकाने और मारपीट करने के लिए गुंडों का सहारा लिया।
इस अन्याय के खिलाफ मजदूरों ने माननीय श्रम मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवगन और जिलाधीश महोदय कोरबा से भी शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
यह भी आरोप है कि एसईसीएल कुसमुंडा खदान के मुख्य महाप्रबंधक और सेफ्टी सुरक्षा ऑफिसर दशकों से ठेका कर्मियों की सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरत रहे हैं। प्रतिवर्ष ठेका कर्मियों की अकाल मृत्यु हो रही है, लेकिन इसके बावजूद सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है।
इस घटना ने एसईसीएल और जय अंबे कंपनी के प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मजदूरों का आक्रोश दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, और उन्हें न्याय दिलाने की मांग जोर पकड़ रही है।
देखना होगा कि इस मामले में प्रशासनिक अधिकारी और सरकार किस प्रकार से न्याय सुनिश्चित करते हैं, ताकि मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय पर अंकुश लगाया जा सके और उन्हें उनका हक दिलाया जा सके।