Bihar Politics: जीतन राम मांझी या मनीष कश्यप… कौन बड़े भविष्यवक्ता? दी थी JDU-RJD सरकार …

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Bihar Political Crisis: बिहार में मचे सियासी घमासान और अंतिम सांसें गिन रही महागठबंधन सरकार के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के साथ ही यूट्यूबर मनीष कश्यप (Manish Kashyap) सुर्खियों में शुमार हो गए हैं. बिहार में जदयू और राजद की सरकार गिरने को लेकर दोनों ने ही काफी पहले और सटीक राजनीतिक भविष्यनवाणी करते हुए डेडलाइन तक बता दिया था.

जीतन राम मांझी ने गणतंत्र दिवस पर एक बार फिर से बड़ा दावा किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चुटकी लेते हुए उन्होंने लिखा, ‘आज ही हो जाएगा का जी? खेला आउर का…’ इससे पहले भी कई बार उन्होंने महागठबंधन सरकार की उम्र को लेकर भविष्यवाणी की थी.

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जीतन राम मांझी ने कहा कि हम हमेशा से कहते रहे हैं कि 20 से 30 जनवरी तक बिहार की राजनीति में परिवर्तन का समय होगा. यही दिख भी रहा है. हालांकि, उन्होंने बिहार में सियासी बदलाव के लिए 25 जनवरी की डेडलाइन दी थी. बाद में उन्होंने इसके लिए 31 जनवरी से पहले सब होने की भविष्यवाणी की थी.

 

नौ महीने तक जेल में रहे यूट्यूबर मनीष कश्यप की भविष्यवाणी क्या थी

दूसरी ओर, पटना से दिल्ली तक हो रही सियासी दिग्गजों की बैठकों के बीच बिहार सरकार को लेकर मनीष कश्यप की भविष्यवाणी भी सच साबित होती दिख रही है. बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप ने 23 दिसंबर, 2023 को पटना के बेउर जेल से बाहर आते ही महागठबंधन सरकार की उम्र घोषित कर दी थी.

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उन्होंने दावा किया था कि उनके जेल से बाहर निकलने 180 दिन के भीतर महागठबंधन सरकार गिरा दिया जाएगा. इसके साथ ही डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव फिर से बेरोजगार हो जाएंगे. हालांकि, तमिलनाडु और बिहार की जेल में नौ महीने तक बंद मनीष कश्यप का गुस्सा राजद नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ बताया जाता है.

नीतीश और तेजस्वी के बीच नहीं हो रही बातचीत, सरकार बचाने में जुटा राजद

बिहार में गणतंत्र दिवस के मौके पर भी सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव में महज औपचारिक दुआ-सलाम तक सीमित रहे. इसी दिन राज्यपाल की ओर से आयोजित हाई-टी प्रोग्राम में भी दोनों मिलने वाले हैं. इसके पहले 20 मिनट की कैबिनेट मीटिंग में भी दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई. बिहार सरकार में सहयोगी दोनों ही नेताओं ने अभी तक महागठबंधन सरकार को लेकर कोई बयान नहीं दिया है. लेकिन राजद की ओर से जदयू के साथ और उसके बिना भी सरकार बचाने की सूरत तलाशी जा रही है. लालू परिवार कई राजनीतिक समीकरणों और विकल्पों पर विचार कर रहा है.

भाजपा- जदयू गठबंधन लगभग फाइनल, घोषणा से पहले बना ये नया फॉर्मूला

सूत्रों का दावा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा भंग करने की सिफारिश नहीं करने वाले हैं. भाजपा के साथ जाने पर भी वह बिहार विधानसभा चुनाव 2025 तक मुख्यमंत्री पद पर बने रह सकते हैं. चर्चा है कि भाजपा आलाकमान की ओर से इसके लिए सहमति दे दी गई है. पहले भाजपा की ओर से सीएम पोस्ट पर दावा किया जा रहा था. गुरुवार 25 जनवरी को बिहार भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी और जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी पटना से एक ही फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे थे.

भाजपा के बिहार प्रभारी महासचिव विनोद तावड़े के बाद अमित शाह के साथ बिहार भाजपा के सीनियर नेताओं की बैठक हुई थी. सम्राट चौधरी, पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी, रेणु देवी, तारकिशोर प्रसाद, केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय और अश्विनी चौबे सहित तमाम बड़े नेता इसमें शामिल थे. एनडीए के सहयोगी चिराग पासवान और जीतन राम मांझी भी अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं. नित्यानंद राय ने अलग से पहले अमित शाह और बाद में देर रात जीतन राम मांझी से उनके घर जाकर मुलाकात की थी.

एनडीए के बैनर तले ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ेंगे नीतीश कुमार

रिपोर्ट के मुताबिकत भाजपा-जदयू गठबंधन के नए फार्मूले के मुताबिक दोनों दलों के बीच गठबंधन सरकार में साल 2020 में विभागों का जैसा बंटवारा हुआ था, वैसा ही रहने की संभावना है. यानी सीएम नीतीश कुमार के साथ भाजपा के डिप्टी सीएम बनाए जा सकते हैं. नीतीश कुमार की ओर से इसके लिए सुशील कुमार मोदी का नाम आगे किए जाने की बात भी कही जा रही है. नीतीश कुमार एनडीए के बैनर तले ही लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2025 लड़ने बनने वाले हैं.

सीएम नीतीश के खिलाफ साजिश में राजद के साथ जदयू के भी कई नेता शामिल

बिहार में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच अब भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने 24 से 48 घंटे में सब कुछ तय हो जाने का दावा किया है. उन्होंने कहा कि बात बहुत आगे बढ़ गई है और फैसला हो चुका है. उन्होंने कहा कि एक महीना पहले जिस समय जदयू के तोड़ने की बात चल रही थी, तभी से भाजपा- जदयू गठबंधन की कवायद भी शुरू हो गई थी. सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ गहरी साजिश में राजद के साथ जदयू के भी कई नेता शामिल थे. उस समय से नीतीश कुमार शांति से अपने साथ के लोगों को धोखा देने का प्रयास करते देख रहे थे.