Thursday, March 28, 2024
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सपना और डिवाइस ,बॉस मेहरबान तो बाबू बना.. सिर मुड़ाते पड़े ओले,पोस्टर वार…सेमीफाइनल या ओपिनियन पोल

सपना और डिवाइस

ये तो सुना था कि छत्तीसगढ़ की पुलिस हाईटेक हो गई है मगर कोरबा पुलिस के एक अफसर ने अब तक के सभी हाईटेक अफसरों को पीछे छोड़ दिया। इन जनाब को किसी हाईटेक डिवाइस की जरूरत नहीं होती बल्कि साहब सपने देखकर ही मुलजिमों का पता लगा लेते हैं। कुछ ऐसा ही मामला हाल के दिनों में सामने आया है जब इस अफसर ने “170”गुम मोबाइल को ढ़ूंढ कर उनके मालिकों को लौटा दिया।

गुम हुए 170 मोबाइल तो मालिकों को वापस मिल गए उनके चेहरों पर मुस्कान भी आई पर जो लोग मोबाइल के साथ मोबाइल उड़ाने वालों को भी सलाखों के पीछे देखना चाहते थे वो जरूर मायूस हुए। शहर में इस बात की चर्चा है कि पहाड़ी के पीछे मोबाइल का बैग मिला मगर उसे उड़ाने वाले कहां गायब हो गए।

अब लोग इस बात के इंतजार में हैं कि साहब को जब दोबारा सपना आएगा तो सारे मुलजिम सलाखों के पीछे होंगे। फिलहाल शहर के लोग साहब के सपनों के कायल हो गए हैं। महकमें में तो कई उनसे जलने भी लगे हैं।

बॉस मेहरबान तो बाबू बना धनवान…

बॉस अगर किसी कर्मचारी पर मेहरबान है तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता। जी हां रजिस्ट्री कार्यालय में भी एक बाबू पर बॉस की मेहरबानी जमकर बरस रही है। लिहाजा तृतीय वर्ग के कर्मचारी होने के बाद भी उसे प्रभारी अधिकारी की कुर्सी पर बैठाया गया है। अब बाबू को जब अधिकारी की कुर्सी मिले तो हाथ आये मौका को छोड़े कैसे!

तो बाबू से अधिकारी का रौब दिखाने वाले बाबूसाहब मौका पाकर चौका मार रहे हैं। विभागीय पंडितों की माने तो बाबू साहब महज चिड़िया बैठाने के लिए रजिस्ट्री में हकरना वसूल रहे हैं। हकराना मतलब बंधा बंधाया हिसाब कहीं 5परसेंट कहीं 10 परसेंट हक है जनाब! तभी तो बाबू साहब के हौसले इतने बुलंद है कि जमीन चाहे किसी की भी हो सबकी रजिस्ट्री कर देते हैं।

अब बात कोथारी रेलवे साइडिंग की ही ले लीजिये जिसके लिए प्रदेश भर में हाय तौबा मची और ईडी को कोरबा आने का अवसर मिला, इसमें भी बाबू साहब का अहम रोल है। खैर सैय्या भय कोतवाल तो डर काहे का ! की कहावत को चरितार्थ करते हुए रजिस्ट्री कार्यालय में बाबूगिरी कर एक से बढ़कर एक नई इबादत गढ़ रहे हैं।

वैसे कहा तो यह भी जा रहा कि सत्ता पक्ष के एक नेता का हाथ सर पर है तो ज्यादा ही इठला रहे हैं। लेकिन, उन्हें ये भी समझना चाहिए की प्रदेश के कद्दावर मंत्रियों के सिपहसालार तो जेल की खाक छान रहे है तो उन्हें कौन बचाए….!

सिर मुड़ाते पड़े ओले

खनिज संपदा का राजा कहे जाने वाले विभाग के मुखिया पर सिर मुड़ाते पड़े ओले की कहावत सटीक बैठ रही है। ट्रांसफर के बाद कोयले की नगरी पहुंचे तो पीछे-पीछे ईडी भी आ गई। मतलब साहब की किस्मत में ओले पड़ गए। वैसे तो कोरबा की अमीर धरती हर अधिकारी को रास आती है और बात जब खनिज संपदा की हो तो कोयले की रायल्टी से सरकार को मिलने वाली राजस्व से कही अधिक तो अवैध कारोबार से लक्ष्मी दर्शन हो जाते हैं।

लिहाजा साहब सिर में ओले पड़ने के बाद भी हौले हौले काम को आगे बढ़ा रहे हैं। हां मलाल इस बात का जरूर है कि ईडी ने ऐन टाइम पे एंट्री नहीं मारी होती तो मलाई के साथ छांछ का भी स्वाद चखने को मिल जाता। खैर अधिकारी भी समझ रहे की खतरा अभी टला नहीं है। सावधानी बरतने में ही भलाई है क्योंकि ईडी की नजर अभी भी विभाग पर छाई है। कहा तो यह भी जा रहा है कि साहब रेत से तेल निकालने की नई स्किमलांच करने वाले है। खबरीलाल की माने तो ठेकेदारों के लीज एग्रीमेंट में गलत गणना कर गणित को उलझाया जा रहा है और ठेकेदारो अनुचित लाभ देने स्क्रिप्ट लिखी जा रही है। तभी तो विभागीय पंडित कह रहे कि खनिज से भरे खजाना को लूटने साहब कामयाब होते है या उर्जाधानी के ऊर्जावान अवैध कारोबारीयों के साथ उलझकर रह जाते है ये तो…!

पोस्टर वार…छोड़ गए सवाल

कोरबा में शनिवार को पूरा शहर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की स्वागत में पोस्टर और स्वागत बैनर से पटा हुआ दिखा। टिकट चाहने वालों ने अपना दम दिखाने के लिए अपने समर्थकों के साथ तैयार बैठे थे मगर बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष इन सबको नजर अंदाजकर उन्हीं नेताओं की क्लास लगा डाली जो उनके स्वागत के लिए पलक बिछाए कई दिनों से इंतजार में बैठे थे।

हालांकि गुटों में बंटी भाजपा के नेताओं को इस बात का अंदाज नहीं था कि उनकी आशाओं पर पाला फिर जाएगा। इस दौरान जमकर नारेबाजी हुई और गुटबाजी भी दिखी। नेताओं को उम्मीद थी कि सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का मौका हाथ लगेगा, नेतागिरी भी हो जाएगी…फिर तो उनकी टिकट पक्की मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। ना कांग्रेस सरकार के खिलाफ कोई माहौल दिखा जिसकी उम्मीद की जा रहा थी और ना ही नेतागिरी का मौका हाथ लगा। पूरा कार्यक्रम स्वागत और मीटिंग तक ही सिमट कर रह गया।

ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष का जिला दौर किस मायने को लेकर इसे कार्यकर्ता समझ नहीं पाए, उल्टे साव उनके लिए कई सवाल छोड़ गए..! अब पोस्टर बैनर लगाने वाले नेता इन्हीं सवालों पर मथ्थापच्ची कर रहे हैं।

भानुप्रतापपुर: सेमीफाइनल या ओपिनियन पोल

भानुप्रतापपुर में विधानसभा उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया,यानि 2023 के सेमीफाइनल की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है। 8 दिसंबर को जनता अपना फैसला भी सुना देगी। जनता का फैसला आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा के लिए एक तरह से ओपिनियन पोल साबित होने वाला है।

हालांकि 2018 के बाद अब हुए चार उप चुनाव में कांग्रेस का पड़ला भारी रहा। मगर, एक्शन मोड में आ चुकी भाजपा इस बार कांग्रेस से दो दो हाथ करने पूरी ताकत झोंकने को तैयार है। ये मौका बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल की जोड़ी के लिए संगठन की मजबूती पर खुद को परखने का मौका होगा तो कांग्रेस के लिए सत्ता की चाबी तलाशने वाला।

फिलहाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस वक्त हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के प्रचार प्रसार में जुटे हुए। ऐसे में बस्तर का मैदान इस बार कांग्रेस स्थानीय नेताओं को ही संभालना होगा और भाजपा इस मौके को भंजाने की तैयारी कर रही है। तो इंतजार करिए जनता के ओपिनियन पोल का।

           ✍️ अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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