90 pomegranates thousands sick: नई कड़क कप्तानी सब पे भारी,पिक्चर अभी बाकी है..धरी की धरी रह गई नेतागिरी,ऊंट के मुंह मे जीरा..

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🔷नई कड़क कप्तानी सब पे भारी… किसी से नहीं यारी

निर्वाचन आयोग की अनुशंसा पर जिले में नए कप्तान की पोस्टिंग की गई है। कप्तान की कप्तानी पारी ने थानेदारों का टेंशन बढ़ा दिया है। क्योंकि चुनाव आयोग का डंडा तो कभी भी किसी भी अफसर पर चल सकता है ऊपर से सख्त कप्तान का डर अलग सताने लगा है। “कानून व्यवस्था से नजर हटी मतलब दुर्घटना घटी और लाइन हाजिर…!”

पुलिस के अनुभवी पंडितों का ऐसा कहना भी सही है क्योंकि जिस स्वभाव के साहब है उससे स्पष्ट है कि किसी का भाव नहीं बढ़ने वाला है। लिहाजा बेसिक पुलिसिंग पर न चाहते हुए भी टीआई को मन लगाना पड़ रहा है।

कहा तो यह भी जा रहा है निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन का पालन करते हुए थानों में निरीक्षकों की पोस्टिंग करने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। संदेश स्पष्ट है एक दो दिन में विभागीय तबादला सूची जारी होने की उम्मीद है।

डिपार्टमेंट में इस बात की चर्चा हिलोरे मार रही है कि साहब के प्रभार लेते ही छोटे साहब जिस कुटिल अंदाज में मुस्कुरा रहे थे उससे किसी न किसी होनहार अफसर पर गाज गिर सकती है। हालांकि साहब हर काम अपने इंटरेस्ट के लिए करते है। सो मुस्कुराहट का राज कुछ खास ही होगा।

 

🔷पिक्चर अभी बाकी है…

चुनाव आयोग ने हाल ही में 2 कलेक्टर तीन एसपी और पुलिस के दो अफसरों एक सचिव स्तर के अधिकारी को बदल दिया। ये बस शुरुआत है। चुनाव आते कई और चेहरों पर चुनाव आयोग की नजर टेढ़ी हो सकती है। और तो और इन अफसरों की जगह राज्य सरकार की ओर जो पैनल भेजा था उसे भी चुनाव आयोग ने किनारे कर दिया और अपने हिसाब से अफसरों की नियुक्ति कर दी। जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ और अफसर भी आयोग की रेडार पर हैं।

आयोग अपने हिसाब से चुनाव निपटाना चाहता है इसके लिए दूसरे प्रदेश से आब्जर्बस भी छत्तीसगढ़ आ चुके हैं। ऐसे में इन अफसरों की परेशानी बढ़ने वाली है। बताया जा रहा है कि मलाई वाले महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अफसरों की पूरी डिटेल्स चुनाव आयोग के पास पहुंच चुकी है। कोई भी चूक हुई नहीं और इन्हें बदल दिया जाएगा। ब्यूरोक्रेसी में बदले जाने वाले दूसरी सूची की भी है। इसके अलावा केंद्रीय जांच एजेंसी भी बड़ा धमका कर सकती हैं।

 

🔷धरी की धरी रह गई नेतागिरी, जब पुलिस…

शहर के एक हॉटल में नेताओं की नेतागिरी धरी की धरी रह गई। दरसअल हुआ यूं कि माननीयों की एक मीटिंग टीपी नगर के एक हॉटल में चल रही थी और नीचे खड़े वाहनों से पुलिस पदनाम वाले प्लेट निकालते रहे। पुलिस की कार्रवाई देखकर  जनमानस कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता को याद कर कहने लगे है “सिंहासन खाली करो कि जनता आती है”  अर्थात पांच साल के अंतराल में आदर्श आचार संहिता आती है तब वास्तविक राजा जनता होती।

लेकिन , लोग अपने पूर्व प्रतिनिधि होने का तमगा लगाकर इस सच को झुठलाना चाहते हैं। कहते हैं न कि 19 को 20 जरूर मिलता है। ऐसा ही माननीयों के साथ हुआ, जिसकी चर्चा राजनीतिक गलियारे में हो रही है। दरअसल टीपी नगर के हॉटेल में रणनीति बनाने नेताओं का जमघट लगा था। ऊपर हॉटल में मंत्रणा चल रही थी और नीचे नेताओं की गाड़ी पार्क थी।

गाड़ियों में नंबर प्लेट की जगह लगे माननीयों के नाम को देखकर हिंदी फिल्म के हीरो की तरह पुलिस की एंट्री हुई और माननीयों के वाहन से नम्बर प्लेट में लगे पदनाम को निकाला गया। मजे वाली बात इसमें यह है कि नंबर प्लेट वाला वाहन विधानसभा प्रत्याशी का भी था। काम से ज्यादा नाम से प्रेम करने वाले नेताओं की जब नेम प्लेट उतरी तो लगा इस चुनाव कुछ खास होने वाला है

 

🔷 ऊंट के मुंह मे जीरा..

एक बहुचर्चित कहावत है “ऊंट के मुंह मे जीरा..” जो माइनिंग डिपार्टमेंट पर सटीक बैठता है। दरअसल बरसात खत्म होते ही जिले के रेत घाट का परिचालन शुरू होना था। लेकिन, हुआ उल्टा और डिमांड के बाद भी जिले के सिर्फ एक रेत घाट से उत्खनन शुरू हो सका है। खनिज विभाग की कछुआ चाल जनमानस की आस के सामने “ऊंट के मुँह में जीरा..! साबित हो रहा है।

चर्चा तो इस बात की भी है कि खनिज विभाग के अफसरों को अनलीगल रेत से निकलने वाली खनक ज्यादा प्यारी है। यही वजह है जनता की मांग को ताक पर रखकर शहरी एरिया में रेत घाट का संचालन नहीं किया जा सका है। माइनिंग एक्सपर्ट की माने तो अगर पर्यावरणीय स्वीकृति मिल गई होती तो जिले में 15 रेत घाट संचालित हो जाते।

कहा तो यह भी जा रहा है कि रेत घाट कटोरी नागोई को शुरू होने की बात कही जा रही है ,वहां रेत कम रॉयल्टी में ज्यादा बिकता है। सूत्र बताते हैं कि शहरी क्षेत्र से लगे दो रेत घाट कुदुरमाल और चुइय्या का ईसी यानी एनवायरमेंट क्लियरेंस नही मिलने से वैध तरीके से घाट का संचालन नहीं हो पाया। हां ये बात अलग है कि चुइय्या से किसी सैफ नाम का रेत तस्कर अवैध तरीके से रेत निकालकर बालको के सब कान्ट्रेक्टर को बेच रहा है।

🔷 90 अनार हजारों बीमार.

रोजमर्रा की जिंदगी में एक कहावत कही जाती है एक अनार सौ बीमार….मगर चुनावी कहावत इससे अलग होती है, 90 अनार हजारों बीमार। कुछ ऐसी ही कहावत इन दिन छत्तीसगढ़ में कही जा रही है। प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों से हजारों आवेदन पार्टी के दफ्तरों में पहुंचे हैं।

गनीमत यही रही कि चुनाव में शामिल होने वाले दलों ने इसका तोड़ निकालने के लिए पहले सर्वे फिर कार्यकर्ताओं की राय और जीतने की ताकत जैसे फार्मूला लागू कर चुनावी फीवर से ग्रस्त इन बीमारों की संख्या पर ब्रेक लगा दिया वरना बीमारों की संख्या कहां तक जा पहुंची इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

बीजेपी ने 85 सीटों पर अपने कैंडिडेट्स की सूची जारी कर दी, 5 सीट अभी बचा कर रखी है। इसके साथ ही पार्टी में सत्ता का अनार चाहने वाले ने बगावत का ऐलान कर दिया…हम भी चुनावी बुखार से ग्रस्त हैं …हमें भी आनार चाहिए। पार्टी में बगावत ना हो इसके लिए बीजेपी ने केंद्र से ​मंत्रियों को बुलाया है। पार्टी दफ्तर के आगे रातजगा हो रहा है। मंत्री समझाने में लगे हैं।

कांग्रेस की बात करें तो अभी केवल 30 अनार ही बीमारों के हाथ लगे हैं। इनमें से ज्यादातर वो बीमार शामिल हैं जो पिछले 5 साल सत्ता फोबिया से लड़ रहे थे। यानि मंत्री और उनके खास। असल लड़ाई तो 60 सीटों पर लड़ी जानी है। मगर कांग्रेस की पहली लिस्ट में जिस तरह से सीटिंग एमएलए से अनार छींने गए हैं उससे बाकी बचे बीमारों का मर्ज और बढ़ गया है।

कांग्रेस में इस्तीफों का दौर शुरु हो गया है। कई बीमार लोग पार्टी का अनार छोड़ अन्य सीजनली फल का विकल्प भी देखे रहे हैं। कुछ ने धमकी भी दे डाली कोई बात नहीं दूसरी पार्टी से उन्हें भी आफर मिले हैं अनार ना सही सेब तो हाथ लगेंगे।

और सत्ता का अनार बांटने वाले पार्टी के नेता उन्हें समझाने में लगे हैं भाइया इस बार बैठ जाओ चुनावी साल में सत्ता के पेड़ में केवल 90 अनार ही फले हैं। अगर सत्ता बची रही तो अगले सीजन में उगने वाले अनार में उन्हें निगम,मंडल या आयोग वाले अनार फल ​बांटे दिए जाएंगे। मगर राजनीति में वादों पर ऐतबार और मौका चूकने का चलन नहीं हैं।

यहीं बात दोनों दलों को परेशान कर रही है। अगर 90 अनार सही से बीमार लोगों तक नहीं बंटे तो सत्ता के पेड़ पर अनार की जगह केवल पत्ते ही उगने वाले हैं। और पत्तों से पेट नहीं भरा जा सकता। देखने वाली बात ये होगी कौन सा दल इसमें बाजी मार सकता है।

 

✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा