Saturday, May 4, 2024
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राजनितिक विश्लेषण: फुलटास गेंद.. आउट या बड़ा शॉट

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रायपुर। गेंदबाजी की ऐसी टेक्निक जिसे क्रिकेट का थोड़ा बहुत जानने वाला हर शख्स जानता समझता हैं इस गेंदबाजी की तकनीक के तहत गेंदबाज बिना टप्पा खाए सीधा बैट या विकेट पर गेंद फेकता है फुलटास गेद सीधे बल्ले में आने की वजह से ये एक तरह से बल्लेबाज गेंद को मारने के लिए उकसाने के लिए फेंकी जाती है इसलिए बल्लेबाज भी ऐसी गेंद पर पूरे आत्मविश्वास के साथ सीधा प्रहार के लिए मजबूर हो जाता है क्योंकि बल्लेबाज के पास भी इस तरह की गेंदों को सीधा बाउंड्री पार पहुंचाने केआलावा विकल्प कम ही रहता है क्योंकि छोड़ देने पर या चुकने पर गेंद सीधे विकेट पर लग सकती है यानी कुल मिलाकर इस गेंदबाजी में गेंदबाज रन बनने जोखिम के साथ विकेट लेने की कोशिश करता है फुलटास गेंदे बल्लेबाज की बल्लेबाज की तकनीक को भुला देती हैं छक्का चौका लगाने की लत लगा देती हैं और बल्लेबाज को थकाने के लिए भी फुल टांस गेंद डालकर कुछ रन बनाने दिए जाते हैं कुल मिलाकर बल्लेबाज की पूरी परीक्षा इन फुल टॉस गेंदों में होती है!!! 😊 इन दिनों भारतीय राजनीति में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है !!!! सारी स्थितियां में और गेंदबाजी की तकनीक के साथ राजनीतिक किरदारों को आप जोड़ते चले मैं क्या कहना चाह रहा तो आसानी से समझ पाएंगे

भारतीय राजनीति में इन दिनों क्या हो रहा है समझीये ,,,,,,भारतीय राजनीति के बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की ओर,,!! 🤫
जिसमें राजनीति के दो बड़े चाणक्य के नाम से जाने वाले नेताओं ने अचानक अपने विरोधी को ऐसा मौका दिया है जिसमें विरोधी आत्मविश्वास से भरा कर गेंद को बाउंड्री पार पहुंचाने का अदम्य जोखिम भरा साहस करने लगा है
क्रिकेट की भाषण में विकेट टेकिंग कि यह बॉल उस समय इस्तेमाल की जाती है जब बल्लेबाज रन बनाने की आपाधापी में होता है रन बनाने की जल्दबाजी में होता है रन बनाने की ही चिंता में लगा रहता है ऐसे में अति उत्साहित आत्मविश्वास से भरे बल्लेबाज को लगता है कि फुल टॉस गेंद को बाउंड्री के बाहर पहुंचा देगा ,,,! पर फुलटॉस गेंद वही गेंदबाज करता है जिसे अपने फील्डिंग पर भरोसा और हवा का रुख के साथ बल्लेबाज की क्षमता का एहसास होता है इन सब बातों को भली-भांति जानने वाला गेंदबाज बल्लेबाज को आउट करने की नियत से ऐसी गेंदबाजी करता है इसमें गेम तेज आती है सीधे बल्ले पर आती है बल्लेबाज कोई गेंद को मारने के अलावा कोई विकल्प बचता ही नही !! राहुल गांधी के साथ भी ठीक ऐसा ही हो रहा है उन्हें लग रहा है कि उनकी सदस्यता को लेकर आए फैसले के रूप में उन्हें एक ऐसी गेंद मिल गई है जिसे तेज प्रहार कर बाउंड्री के पार पहुंचा देंगे और दर्शकों का अपार समर्थन उन्हें मिल जाएगा,,,,
अब तक सब वैसा ही चल भी रहा है पर यह सोचिए कि राजनीति के माहिर मंजे हुए खिलाड़ी अपने विरोधी को ऐसे हीरो बनने का मौका क्यों दे रहे होंगे😁❓

अब आइए रियल्टी में बीजेपी इस बात को भलीभांति पिछले कुछ चुनाव के परिणाम से समझ चुकी है कि चुनावी मैदान में कांग्रेस का नहीं होना,, भाजपा को आंशिक फायदा पहुंचाता है लेकिन गैर भाजपाई दूसरे दलों को इसका ज्यादा फायदा मिलता है ! इसका पहला एहसास बीजेपी को सबसे पहले पश्चिम बंगाल के चुनाव में देखने को मिला जहां मुकाबला तृणमूल कांग्रेस , लेफ्ट ,कांग्रेस के साथ बीजेपी का होता,, तो परिणाम कुछ और आते ,,लेकिन जिस दिन से चुनाव में कांग्रेस ने अपनी भूमिका को संकुचित कर लिया वैसे ही परिणाम में बीजेपी का वोट बैंक तो उसके आशा के अनुरूप रहा पर विरोधी वोट में जबरदस्त इजाफा हो गया,, परिणाम स्वरूप पश्चिम बंगाल में टीएमसी जीती,

गठबंधन से होने वाले वोट शिफ्टिंग फार्मूले से अलग कांग्रेस का चुनाव में कमजोर प्रदर्शन भाजपा के लिए उन प्रदेशों में मुसीबत बनता जा रहा है जहां पर क्षेत्रीय दल मजबूत हैं ,
इसका उदाहरण यूपी में भी देखने को मिला जहां बीजेपी हिंदुत्व फैक्टर पर जीतने में कामयाब तो हो गई लेकिन कांग्रेस के नहीं लड़ने की रणनीति ने सपा को जबरदस्त फायदा पहुंचाया ! ऐसा ही कुछ दिल्ली और पंजाब के चुनाव परिणामों में भी हुआ,, कांग्रेसी कमजोरी का सीधा फायदा भाजपा को कम और दूसरे दलों को ज्यादा होता है महाराष्ट्र और कर्नाटक झारखंड में ऐसे परिणाम आते रहे हैं,, असम में
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF),, त्रिपुरा सिक्किम मणिपुर चुनाव परिणाम इन्हीं बातों को दर्शाते हैं

आँकलन तो यहां तक है कि गठबंधन करने से कांग्रेस अपने सहयोगी दलों को जितना फायदा पहुंचाती है उससे कहीं ज्यादा फायदा उसके चुनाव में साइलेंट हो जाने से होता है और यही बात देश के 10 बड़े प्रदेशों में प्रभावी ढंग देखने को मिल रही है,
गुजरात में जब कांग्रेस ने इसी रणनीति के तहत भाजपा को हराने के लिए अपने कदम पीछे लिए और आम आदमी पार्टी के लिए रास्ता छोड़ा था तब से भाजपा सचेत हो गई और कांग्रेस की यह गोपनीय रणनीति एक तरीके से सामने आ गई थी बीजेपी ने गुजरात में उसका काट निकाल लिया,, और अब उसने 2024 के लिए भाजपा ने घेराबंदी शुरू कर दी है मोदी शाह को ऐसे ही राजनीति का चाणक्य नहीं कहा जाता !! वे यह बात भली-भांति जान गए हैं कि बड़े राज्य जहां क्षेत्रीय दल और कांग्रेस की मौजूदगी है वँहा कांग्रेसका ताकत से नहीं लड़ना भाजपा को नुकसान पहुंचा सकता है,, ऐसे में मोदी शाह ने कांग्रेस को मजबूत आत्मविश्वास भरने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है कांग्रेस मुक्त भारत किनारे के साथ ही भाजपा और कांग्रेस युक्त राजनीति से ही 2024 जीतना चाहती है कांग्रेस और कांग्रेस के नेताओं को काल्पनिक मजबूती का एहसास कराने की रणनीति के रूप में फुलटोस गेंदे दी जा रही है जिससे कुछ रंग भी बन जाए और गलती करे तो आउट हो जाए,, अब जब कांग्रेस को इस बात का एहसास हो रहा है कि वही प्रमुख विपक्षी दल और मजबूत नेता की पार्टी है जिसे जनता का समर्थन है तो वह सभी प्रदेशों में दमखम से लड़ने ताल ठोकेगी गठबंधन से बचेगी प्रदेशों में अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए चुनाव लड़ती हुई दिखाई देगी ,, दमखम से लड़ने पर क्षेत्रीय दलों से उसका टकराव भाजपा को फायदा पहुंचाएगा,,, भले विपक्ष अभी एक साथ नजर आने की बात कह रहे हैं पर इस चुनाव में सबको अपने-अपने प्रदेशों में वर्चस्व कायम की होड़ मचने वाली है ऐसे में समझौते में सीट छोड़ने की संभावना कम रहेगी,,

राहुल के मानहानि के मामले में बीजेपी की सोची समझी रणनीति सबको भूल तानाशाही रवैया दिखाई दे पर राजनीतिक चिंतक इस बात को भलीभांति समझ चुके होंगे कि राहुल के मानहानि के केस में अचानक तेजी आना उसका फैसला जल्दी आना ,, फैसले के बाद सदस्यता रद्द करना सदस्यता रद्द करने के बाद मकान खाली करना कैसे कड़ियां एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं एक सामान्यतः बुद्धि कौशल का राजनीतिक भी अपने विरोधियों को बलशाली होने के लिए इतने मौके नहीं देता ,,, जितना कि शाह और मोदी राहुल को देते हुए नजर आ रहे हैं इस मौके को आसान और फुलटास गेंद समझकर कांग्रेस चौका चक्का मारने से भी नहीं चूक रही है और अब उसे इस बात का विश्वास हो गया है कि इस मसले पर जनता उसके साथ है बाकी दल उसके साथ हैं तो वह दमखम दिखाने को तैयार है अब तक हुआ क्या था लगातार हार की वजह से कांग्रेस का ना केवल कैडर खत्म हो रहा था बल्कि नेताओं का आत्मविश्वास भी खो चुका था, ऐसे में जहां पर कांग्रेस वोट कटवा की भूमिका निभा सकती है व वहां से कांग्रेसी अपने आपको बैक ( पीछे ,) करती जा रही थी जिसका सीधा फायदा दूसरे गैर भाजपाई पार्टियों को मिल रहा था ऐसे में कांग्रेस की मौजूदगी को बनाए रखना मोदी शाह की जीत के लिये एक जरूरी फैक्टर बन गया है,, क्षेत्रीय दलों को हरा पाना संभव नहीं 2014 19 की सुनामी मैं भी क्षेत्रीय दल वोट परसेंट वॉइस कम नुकसान में रहे,, ऐसे में क्षेत्रीय दलों की ताकत कम करने के लिए भाजपा को जनता के सामने एक मजबूत राष्ट्रीय दल का विकल्प बताना जरूरी है जिसके खिलाफ वहां गूगल सकें जिस को दिखाकर वह अपने वोट बैंक को बचा सके इसलिए फुलटोस केंद्रों के जरिए बल्लेबाज को ललचाया जा रहा है
बल्लेबाज रन बनाने की जल्दबाजी में है रन बनाने का दबाव और रणनीति के तहत जमी फील्डिंग सब इंतेज़ार कर रहे है राहुल की कांग्रेस का !! और इस दौरान कुछ चौके छक्के पड़े भी गए तो भी बल्लेबाज को इस तरह की गेंद चौका छक्का मारने की लत लगा देती है थकान पैदा करते हैं और फिर बल्लेबाज प्रति आत्मविश्वास में आ जाता है और फिर दूसरी गेंद में बाद में गलती की संभावना बनती है,

हो सकता है इसमें चौके छक्के भी लग जाए ,,हो सकता है चूक होने पर बोल्ड हो जाएं,,,, हो सकता है कि बल्लेबाज गलती कर जाए , कैच उठेगा तो विकेट मिल जाए यही भाजपा की रणनीति है,,

✍️ मोहन तिवारी, रायपुर

 

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