शहर में था जिनका “रा.ज ” वो हो गए नाराज..
जिनका शहर में था रा.ज वो तबादला सूची के बाद नाराज नजर आ रहे हैं। बात पुलिस महकमे के एक दो स्टार की है। जिनका पिछले दो सालों से शहर के हर छोटे बड़े वैध अवैध कार्यों में राज रहा है। ऐसे अफसर का जब तबादला सड़क जाम को क्लियर कराने वाली जगह पर हो तो नाराज होना लाजमी है, पर क्या करें साहब का फरमान को न भी नहीं कर सकते।
सो बेमन से ड्यूटी ज्वाइन कर जिलेभर के थाना चौकियों के घटनाक्रम का मैसेंजर का काम कर मन बहला रहे हैं। वैसे कोल माइंस वाले एक साहब का भी ड्यूटी में मन नहीं लग रहा है, लगे भी कैसे जिसका कोयलांचल में रा ज था उसे एक झटके में पुलिस सहायता केंद्र में बैठा दिया गया तो नाराज होना तो बनता है।
हाल में हुए ट्रांसफर में लाइन में तैनात थ्री स्टार अफसरों की पोस्टिंग तो की गई पर उन्हें भी साहब ने जंगल का सैर करा दिया। अब तो जंगल में मन तो लगाना पड़ेगा, पर कैसे? वैसे इस तबादले से महकमा के अफसर भले ही खुश न हो पर पब्लिक बड़े साहब के काम और सोच की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।
बंद गुफा के दरवाजा खोलने शिक्षक छोड़ रहे दौलत का शिगुफा
कहा जाता है कि ” जहाँ सच न चले वहां झूठ सही, जहां हक न चले वहां लूट सही” ये गाना शिक्षा विभाग के पदोन्नति पर फिट बैठती है। बहरहाल कहानी का माद्दा यह है कि 1145 प्रधान पाठक पद के लिए योग्यता होने के बाद भी शिक्षकों ने अधिकारियों को खूब नजराना चढ़ाया। खैर जब देने वाला हंसी खुशी से दे रहा है तो लेने वाले को भी लेने में कोई हर्ज नही!
पर कहते है न ” सांड की लड़ाई में बाड़ी का विनाश “ दौलत का सहारा लेकर कायदे को ताक में रखकर अपने पसंदीदा जगह तो शिक्षकों ने हथिया लिया, पर विघ्न संतोषियों से नहीं रहा गया और इसकी शिकायत आला अधिकारी से कर दी।
अधिकारी ने भी पद्दोन्नति की सूची को निरस्त कर दिया। इस बीच कुछ लोगों ने पद्दोन्नति सूची के अनुसार ज्वाइनिंग भी कर ली। सूची को जायज ठहराने के लिए कुछ शिक्षकों ने हाईकोर्ट की शरण ले ली और कोर्ट ने भी इस पर स्टे लगा दिया। मजेदार बात यहीं से शुरू होती है जिन लोगो ने ज्वाइनिंग कर ली है वे तो हेड मास्टरी के मजे लूट रहे हैं। लेकिन, जो लोग ज्वाइनिंग नहीं ले पाए।
वे निरस्तीकरण की बंद गुफा के द्वार को फिर से खोलने के लिए बैक डेट में ज्वानिंग लेटर लेने के लिए दौलत का शिगुफा छोड़ रहे हैं।
जाहिर सी बात है ज्वाइनिंग लेटर पाने के लिए बाबू का मूल्य बढ़ गया है। कहा तो यह भी जा रहा है एक शिक्षका ने ढाई पेटी का नजराना बीईओ कार्यालय के बाबू को चढ़ाकर अपने हेड मास्टर होने का सपना को पूरा करने का संकल्प लिया है। लिहाजा जो शिक्षक ज्वाइनिंग नहीं कर पाए थे वे भी अब दौलत की शिगुफा का सहारा लेने के लिए बीईओ और डीईओ कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।